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७५६ पाइअसहमहण्णवो
वाउल्ल-वाडिआ वाउल्ला वि [दे. वातूल] वाचाट, प्रलाप-शील, ७२)। हेकृ. वागरिउं, वागरित्तए (कुप्र वाघुणिय वि [व्याधुणित] दोलायमान, बकवादी (दे ७,५६, पान षड्)२३८ उवा)
डोलता (णाया १,१-पत्र ३१)।वाउल्लअ पुन [दे] पूतला, गुजराती में वागरण न [व्याकरण] १ कथन, प्रतिपादन, वाघेल पुं[दे] एक क्षत्रिय-वंश (ती २६)। 'बावलु"; 'मालिहिअभित्तिवाउल्लनो ब्व ण उपदेश (विसे ५५०; कुप्र २; पण्ह १, १ | वाच देखो वाय = वाचय। कवकृ. वाचीअमाण परम्मुहं ठाई' (गा २१७), 'प्रालिहियभित्ति- | टी)। २ निर्वचन, उत्तर (प्रौपः उवाः कप्प)। (नाट-मालवि ६१) । संकृ. वाचिऊण
वाउल्लयं द न परम्मृहं ठाई' (वजा १४) ३ शब्दशास्त्र (धर्मवि ३८ मोह २) (हम्मीर १७) वाउला। स्त्री [ देखो बाउल्या, वागरण वि व्याकराणन प्रातपादन वाचय देखो वायग% वाचक (द्रव्य ४९) वाउल्ली बाउल्ली: प्रालिहिअभित्तिवाउ
करनेवाला (सम्म २)
वाचिय देखो वाइअ = वाचित (स ६२१) लल्लन व्व ण संमहं ठाई' (गा २१७ प्र; दे ६,
| वागरणीत्री [व्याकरणी] भाषा का एक सरणीपी व्यासी भाषा का
वाज देखो वाय = व्याज (कुप्र २०१) १२)
भेद, प्रश्न के उत्तर की भाषा, उतर रूप | वाजि पुं वाजिन] अश्व, घोड़ा (विपा १, वाऊल देखो वाउल = वातूल; 'अभिवायण
वचन (ठा ४, १-पत्र १८३)। वाऊलो हसिजए नयरलोएण' (धर्मवि १११;
वागरिय वि [व्याकृत] उन, कथित (उवा | वाजीकरण न [वाजीकरण] १ वीर्य-वर्धक प्राकृ ३०)
अंत ६ उप १४२ टीः पब ७३ टो) । देखो। औषध-विशेष । २ उसका प्रतिपादक शास्त्र वाऊल देखो वाउल = व्याकुल (प्राकृ ३०) वायड = व्याकृत ।
प्रायुर्वेद का एक अंग (विपा १, ७--पत्र वाऊलिअ वि [वातूलित] १ वातूल बना
वागल न विल्कल] वृक्ष की छाल (णाया ७५)10 हुआ। २ नास्तिक (टसनि १, ६६) 10 १, १६-पत्र २१३)।
वाड पुं [वाट] १ बाड, कंटक प्रादि से की वाए सक [वादय] बजाना । वाएइ (महा)। | वागल वि [वाल्कल] वृक्ष की त्वचा-छाल जाती गृहादि की परिधि (उत्त २२, १४, माल वकृ. वाएंत (महा) । कवकृ. वाइज्जत (कुप्र से बना हमा; 'वागलवत्थनियत्थे (भग ११, १९५)। २ बाड़ा, बाडवाली जगह वृतिवाला १६) । हेकृ. वाइउं (महा)। ६-पत्र ५१६)
स्थानः निवारणमहावार्ड साहत्थिं संपावेई वाए सक [वाचय ] १ पढ़ाना । २ पढ़ना। वागली स्त्री [दे] वल्ली-विशेष (पएण १- (उवा: गा २२७; दे ७, ५३ टि; गउड); वाएइ, वाएंति (भग; कप्प)। कवकृ. वाइ- | पत्र ३३) ।
'अंते सो साहरणं गोवाइनिरोहणं करेऊरणं' जंत (सुपा ३३८ कुप्र १९)।
वागिल्ल वि [वाग्मिन्] बहु-भाषी, वाचाल (विचार ५०६) । ३ वृति प्रादि से परिवेष्टित वाएरिअ वि [वातेरित] पवन-प्रेरित, हवा से | (वव .)
गृह-समूह, रथ्या, मुहल्ला (उत्त ३०, १८); हिलाया या कंपाया हुआ (गा १७६) वागुर पुं [वागुरा] मृग-बन्धन, जाल, फन्दा 'अहो गरिणावाडस्स सस्सिरीप्रया' (चारु वाएसरी स्त्री [वागीश्वरी सरस्वती देवीः 'रे रे रएह वागुरें' (मोह ७६)।
७६) 'वाएसरी पुत्थयवग्गहत्या' (पडि; सम्मत्त
वागुरि । वि [वागुरिन्, 'रिक ] देखो वाडतरा स्त्री [दे] कुटीर, झोपड़ा या झोपड़ी २१५) ।
वागुरिय वाउरिय; गुजराती में 'वाघरी'; (दे ७,५८) वाओलि । स्त्री [वातालि, ली] पवन
'सफयपलयरोहिए य साहिति वावरा (?री) वाडग देखो वाड (पिंड ३३४ विपा १. वाओली । समूह 'कि प्रयलो चालिजइ
णं' (पएह १,२-पत्र २६ सूप २, २, ४-पत्र ५५; उप पू २८६) पयंडवाउ (? पो) लिसएहिवि' (धर्मवि २७; ३६; विपा १,८--पत्र ८३)। "वाडण देखो पाडण; 'परदोहवट्टवाडणबंदग्गगउडा गाया १,१--पत्र ६३)
वाघाइय वि [व्याघातिक] व्याघात से उत्पन्न हखत्तखरगणपमुहाई' (कुप्र ११३)। वाक । देखो बक्क = वल्क (ग्रौप; विसे ९७ . (जं ७-पत्र ५३१) ।
वाडव पुं [वाडव] वड़वानल, समुद्र-स्थित काग । विपा १, ६-पत्र ६६) । वाघाइम वि [व्याघातिम] व्याघात से होने- अग्नि (सण) - वागड वागड] गुजरात का एक प्रान्त, वाला (सुज १८--पत्र २६५) । २ न. | बाडहाणग घुन बाटधानक] १ एक छोटा जो साधकल भी 'वागड' नाम से ही प्रसिद्ध मरण-विशेष--सिंह, दावानल प्रादि से होने | गांव। २ वि. उस गाँव का निवासी; 'ताहे वाली मौत (प्रौप)।
तेण वाडहाणगा हरिएसा धिज्जाझ्या कया' वागडिअ वि [व्याकृत] प्रकट किया हुआ | वाघाय पुं [व्याघात] १ स्खलना (सुज्ज (सुख ६, १; महा) (वव १)
१८)। २ विनाश (उब ६७६) । ३ प्रतिबन्ध, वाडि देखो वार्ड 3 वाटी (गा ८ गाया १, वागर सक [व्या + कृ] प्रतिपादन करना, - रुकावट (भग; प्रोघभा १८) । ४ सिंह, | ७-पत्र ११६) कहना । वागरेइ, वागरेजा (कप्पा पि ५०६)। दावानल प्रादि से अभिभव (प्रौप) | वाडिआ स्त्री [वाटिका] बगीचा, उद्यान, वकृ. चामरमाण, वागरेमाण (सुर ७, ४१; वाघारिय वि [व्याघारित] प्रलम्ब, लम्बा 'सणवाडिया' (गा ; चारु ५६; दे ७, ३५ सुपा ५११; औप) । संकृ. वागरित्ता (सम । (पंचा १८, १८ पव ६७)।
रंभा)
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