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म्मि-य्येव्य
पाइअसहमहण्णवो
गगलिसस्त मौलिपकुलपडिट्ठावकस्स अज-म्मि अ. पाद-पूत्ति में प्रयुक्त किया जाता मिव देखो इव (प्राकृ २६) । चाणकस्स' (मुद्रा ३०६)।
अव्यय (पिंग)।
| म्हस देखो भंस = भ्रश् । म्हसइ (पाकु ७६)
।। इस सिरिपाइअसहमहण्णवम्मि मयाराइसहसंकलणो
एगतीसइमो तरंगो समत्तो ।।
य य तालु-स्थानीय व्यञ्जन वर्ण-विशेष, यण देखो जण = जन (सुर १, १२१)।- याण सक [ज्ञा] जानना। याइ, याणाइ, अन्तस्थ यकार (प्राप्र; प्रामा)।.
यणद्दण (अप) देखो जणद्दणः 'तो वि ण याणेइ, याति, याणामो, यारिणमो (पि य प्र[च] १ हेतु-सूचक अव्यय (धर्मस
देउ यणदणउ गोमरीहोइ मणस्सु' (पि १४ ५१०; उवः भग; धर्मवि १७ वै ६३ प्रासू ३८५)। २ देखो च = अ (ठा ३,१८
१०२) पउम ६, ८४, १५, २; 'श्रा १२, प्राचा;
यण्ण देखो कण्ण- कणं (पउम ६६, २८) याण देखो जाण = यान (सम २)।. रंभा; कम्म २, ३३, ४, ६, १०, देवेन्द्र 'यत्तिअ वि [यात्रिक यात्रा करनेवाला,
| "याल देखो काल (पउम ६, २४३)। ११, प्रासू २७)। भ्रमण करनेवाला; 'सगडसएहिं दिसायत्तिपहिं'
याव (अप) देखो जाव = यावत् (कुमा)। य देखो ज (माचा)। (उवाः बृह १)
याव? वि [यावदर्थ] यथेष्ट, जितने को 'य वि [°द] देनेवाला (प्रौपः राय; जीव ३)।
यदावि प्र[यद्यपि अभ्युपगम-सूचक अव्यय, स्वीकार-द्योतक निपात (पंचा १४, ३६)
अाबश्यकता हो उतना (दस ५, २, २)। यउणा देखो अँउणा (संक्षि ७)।
यन्नोवइय देखो जण्याचईय (उप ६४८ "युत्त देखो जुत्त = युक्तः 'एयम् अयुत्तं जम्हा यंच सक [अञ्च ] १ गमन करना। २ टी)।
(अज्झ १६७, रंभा)। पूजा करना। संकृ. यचिय (ठा ५, १
यम देखो जम = यमः 'दो अस्सा दो यमा' येव । (पै. मा) देखो एव (पि ६०; पत्र ३००)।
(ठा २, ३-पत्र ७७)।.
| येव्व । १५)। यंत वि [यत प्रयत्नशील, उद्योगीः 'म-यते' यर देखो कर = कर (गउड)।
चिश (मा) , देखो चिट्ठ - स्था। चि(सूम २, २, ६३)। 'यल देखो तल = तल (उवा)।
यचिश्त (पै) शदि (शाकारी भाषा) (प्राकृ यंद देखो चंद (सुपा २२६) । -
या देखो जा = या; 'सुरनारगा य सम्मद्दिट्ठी । १०५)। चिश्तदि (पै) (प्राकृ १२६) 1यक्क देखो चक्क; 'दिसा-यई' (पउम ६,७१) जं यति सुरमणुएसु' (विसे ४३१, कुमा य्येव (शौ) देखो एव (हे ४, २८०)। यड देखो तड = तट (गउड)
य्येव्ध देखो येव (पि ६५)।
॥ इन सिरिपाइअसहमहण्णवम्मि यबाराइसहसंक लणो
बत्तीसइमो तरंगो समत्तो।।
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