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पाइअसहमहण्णवो
भा-भाणि
का पुत्र (पउम २६, ८७)4 वलय न भाइअ वि [भीत] १ डरा हुमा। २ न. (राज)। ६ अवकाश (सुज्ज १०, ३-पत्र [वलय जिन-देव का एक महाप्रातिहार्य, ___ डर, भय (हे ४, ५३)
१०४) धेअ, 'धेज हेअ देखो भाअपीठ के पीछे रखा जाता दीप्ति-मंडल (संबोध भाइणिज्ज) पुंस्त्री [भागिनेय] भगिनी-पुत्र, हेअ (पउम ६, ५७, २८, ८६ स १२, २. सिरि १७७)।।
भाइणेअ बहिन का लड़का, भानजा (धम्म सुर १४, ६ पात्र)। देखो भाअ = भाग ।।
भाइणेज्ज। १२ टी; नाट-रत्ना ८५स भामक [भी] डरना, भय करना। भाइ,
भागवय वि [भागवत] १ भगवान से संबन्ध भाअभाइ, भामामि (हे ४, ५३; षड्: २७०, णाया १, ५-पत्र १३२, पउम
रखनेवाला। २ भगवान् का भक्त (धर्मसं महा; स्वप्न ८०), भादि (शौ) (प्राकु ६३), ६६, ३६ कुप्र ४४०; महा)। स्त्री. जी
३१२) । ३ न. ग्रंथ-विशेष (णंदि)। भायइ (सण)। भवि. भाइस्सदि, भाइस्सं
(पउम १७, ११२)।
भाइयव्व देखो भा = भी। (शौ) (पि ५३०) । वकृ. भायंत (कुमा)।
भागि वि [भागिन्] १ भजनेवाला, सेवन कृ. भाइयव्व (पण्ह २, २, स ५६२, भाइर वि [भीरु] डरपोक (दे ६, १०४)
करनेवाला; 'भारस्स भागी' (उव), 'कि पुण माइर वि[भारु] डरपाक (द६, १०४)
मरणंपि न मे संजायं मंदभग्गभागिस्स' (सुपा भाइल्ल पुंदे हालिक, कर्षक, कृषीबल, (सुपा ४१) भाअ देखो भा= भा। भाअदि (शौ) किसान (दे ६, १०४)
५४७) । २ भागीदार, साझीदार, अंश-ग्राही (प्राकृ ६३) भाइल्ल वि [भागिन्, क] भागीदार,
(प्रामा)। भाअ सक [भायय] डराना। भाइ, साझीदार, अंश-ग्राही (सूत्र २, २, ६३;
भागिणेज। देखो भाइणेज (महाः कुप्र भाएइ (प्राकृ ६४), भाएसि (कपूर २४)।
भागिणेय । ३७१)। पएह १,२,ठा ३, १-पत्र ११३ णाया वकृ. भायमाग (सुपा २४८)। १, १४)। देखो भागि।
भागीरही देखो भाईरही (पास)। भाअ देखो भाव =भावय । कृ. भाएअव्व
भाइहंड न [दे. भ्रातृभाण्ड] भाई, बहिन भाज प्रक [भ्राज] चमकना। वकृ. (नव २५)।
आदि स्वजन: गुजराती में 'भांवड' (कुप्र भाजंत, भंत (विसे ३४४७)। भाअ [भाग १ योग्य स्थान। २ एक
१५६)।
भाड पुन [दे] भाड़, वह बड़ा चूल्हा जहाँ देश (से १३, ६)। ३ अंश, विभाग, हिस्सा भाईरही स्त्री [भागीरथी] गंगा नदी (गउड;
अन्न भुना जाता है, भट्ठी: 'जाया भाडसमाणा (पामा सुपा ४०७, पव-गाथा ३०; उवा)।
हे ४, ३४७ नाट-विक्र २८) ४ भाग्य, नसीब (साधं ८०)
मग्गा उत्तत्तवालुया अहिय' (धर्मवि १०४; भाउ घेअ,
पुं [भ्रात] भाई, बन्धु (महा; भाउअसुर ३, ८८ पि ५५, हे १,१३१
सण)। हेअ पुन [धेय] १ भाग्य, नसीब (से
उव) / जाया, जाइया स्त्री [जाया] | भाडय न [भाटक] भाड़ा, किराया (सुर , ११, ८५; स्वप्न ५१; हम्मीर १४७ अभि
भौजाई, भाई की स्त्री (दे ६, १०३; सुपा | १५७)। १९७)। २ कर, राज-देय । ३ दायाद, २६४)।
भाडिय वि [भाटकित] भाड़े पर लिया भागीदार; 'भाअहेप्रो, भामहेनं (प्राकृ ८८
भाउअ देखो भाअ%=(दे) (दे ६,१०२ टी)। नाट-चैत ६०)। देखो भाग।
हुआ, 'बोहित्थं भाडियं वियर्ड' (सुर १३, भाउअन [दे] आषाढ़ मास में मनाया । ३५)। भाअ [दे] ज्येष्ठ भगिनी का पति (दे ६,
जाता गौरी-पार्वती का एक उत्सव (दे | १०२)।
भाडिया। स्त्री [भाटिका, 'टी] भाड़ा, भाअ देखो भाव (भवि)
भाडी शुल्क, किराया; 'एक्काण देइ भाआव देखो भाअ = भायय । भानावेइ
भाउग देखो भाउ (उप १४६ टी; महा)। भाडि अन्नाहिं समं रमेइ रयणीए', 'विला
भाउज्जा स्त्री [दे] भौजाई, भाई की पत्नी सिणीए दाऊण इच्छियं भाडि' (सुपा ३८२; (प्राकृ ६४) भाइ देखो भागि; 'सारिव्व बंधवहमरणभाइयो
३८३; उवा) । कम्म न [कर्मन्] बैल, जिण ण हुति तइ दि?' (धरण ३२, उप
भाउराअण पुं [भागुरायण] व्यक्ति-वाचक गाड़ी मादि भाड़े पर देने का काम-धन्धा: ६८६ टी)। नाम (मुद्रा २२३)
'भाडियकम्म' (स ५० था २२: पडि)। भाइ । [भ्रातृ भाई, बन्धु (उप ५१६)
भाएअव्व देखो भाअ = भावय। भाण देखो भण= भण्। संकृ. भाणिऊण, भाइअ महा प्रावम)। "बीया स्त्री [द्वि- भाग [भाग १ अंश, हिस्सा (कुमाः जी | भाणिऊणं (पिंड ६१५, उव)। कृ. तीया] पर्व-विशेष, भैयादूज, कार्तिक शुक्ल २७ दे १, १६७)। २ अचिन्त्य शक्ति,
भाणियब्व (ठा ४, २, सम ८४ भगः द्वितीया तिथि (ती १९) सुअ पु[सुत]
प्रभाव, माहात्म्यः 'भागोचिंता सत्ती स महा- उवा: कप्पा औप) . भतीजा (सुपा ४७०)। देखो भाउ । भागो महप्पभावो ति (विसे १०५८)। ३ | भाण देखो भायण (मोघ ६६५, हे १, भाइअ वि [भाजित] १ विभक्त किया हुआ)
पूजा, भजन (सूत्र १, ८, २२)। ४ भाग्य, | २६७. कुमा)। बाँटा हुआ (पिड २०८)। ३ खण्डित नसीबः 'धन्ना कयपुन्ना हं महंतभागोदमोवि भाणिअ वि [भाणित] १ पढ़ाया हुमा, (पंच २, १०)
| मह प्रत्थि (सिरि ८२३)। ५प्रकार, भंगी। पाठितः 'नाणासत्थाई भारिणमा' (रयण
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