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पाइअ-सह-महण्णवो।
(प्राकृत-शब्द-महार्णवः)
णासिअ-दोस-समूह, भासिअणेगंतवाय-ललिअत्थं । पासिअ-लोआलो, बंदामि जिणं महावीरं ॥१॥ निकित्तिम-साउ-पयं, अइसइ सयल-वाणि-परिणमिरं । वायं अवाय-रहिअं, पणमामि जिणिंद-देवाणं ।। २॥ पाइअ-भासामइअं, अवलोइअ सत्थ-सत्थमइविउल । सद्द-महण्णव-णाम, रएमि कोसं स-वण्ण-कर्म ।। ३॥
अपुं[अ] १ प्राकृत वर्ण-माला का प्रथम अक्षर ( हे १, १, प्रामा)। २ विष्णु, कृष्ण (से १,१)। अ देखो च अ (श्रा १४, जी २; पउम ११३,
अ [दे] देखो इव; 'चंदो म' (प्राकृ ७६)। अप[अ] निम्नलिखित अर्थों में से, प्रकरण के अनुसार, किसी एक को बतलानेवाला अव्यय-१ निषेध, प्रतिषेध; 'अइंसरण' (सुर ७, २४८), 'सबनिसेहे मोऽकारो' (विसे १२३२). २ विरोध, उल्टापन; 'अधम्म' (गाया १,१८)। ३ अयोग्यता, अनुचितपन; 'अयाल' (पउम २२,८५)। ४ अल्पता, थोड़ापन; 'अधरण' (गउड); 'अचेल' (सम ४०)। ५ अभाव, अविद्यमानता; 'प्रगुण' (गउड)। ६ भेद, भिन्नता; 'अमणुस्स' (रणदि)। ७ सादृश्य, तुल्यता; 'प्रचक्खुदंसरण' (सम १५)। ८अप्रशस्तता, बुरापन; 'अभाइ' (चारु २६)। ६ लघुपन, छोटाई; 'प्रतड' (बृह १)। 'अ पुं [क] १ सूर्य, सूरज (से ७, ४३)। २ अग्नि, पाग। ३ मयूर, मोर (से ६,४३)। ४
न. पानी, जल (से १,१)। ५ शिखर, टोंच अइ सक [आ + इ] आगमन करना, मा (से ६,४३) । ६ मस्तक, सिर (से ६,१८)। गिरना; 'अइंति नाराया' (स ३८३)। 'अ वि [ज] उत्पन्न, जात (गा ६७१)। | अइइ श्री [अदिति] पुनर्वसु नक्षत्र का अधिअअंख वि [दे] स्नेह-रहित, सूखा (दे १, ष्ठाता देव (सुज १०)।
अइइ सक [अति+इ] १ उल्लंघन करना। २ अअर देखो अवर (पि १६५)।
गमन करना । ३ प्रवेश करना। वकृ. अइंत अअर देखो आयर (पि १६५)।
(से ६, २६, कप्प)। संकृ. अइच (सूत्र अइ अ[अयि १-२ संभावना और आमंत्रण १,७, २८)। अर्थ का सूचक अव्यय (हे २, २०५; स्वप्न अइउट्ट वि [अतिवृत्त प्रतिगत, प्राप्त (सूम ५८) ।
१, ५, १, १२)। अइ अ[अति यह अव्यय नाम और धातु के अच सक [अति + अञ्च ] १ अभिषेक पूर्व में लगता है और नीचे के अर्थों में से किसी करना, स्थानापन्न करना । २ उल्लंघन करना। एक को सूचित करता है-१ अतिशय, अति- ३ अक. दूर जाना (से १३, ८ ८६)। रेक; 'अइउराह', 'अइउत्ति', 'अइचिंतंत' (श्रा अइंचिअ वि [अत्यञ्चित] १ मभिषिक्त, १४, रंभा, गा २१४) । २ उत्कर्ष, महत्व; स्थानापन्न किया हुआ (से १३,८)। २ उल्लं'अइवेग' (कप्प) । ३ पूजा, प्रशंसा; 'अइजाय' घित, अतिक्रान्त (से १३,८)। ३ दूर गया (ठा ४)। ४ अतिक्रमण, उल्लंघन; 'अइ- हुमा (से १३, ८६)। उक्कसो' (दस ५,४,४२)। ५ ऊपर, ऊंचा; अइंछ देखो अइंच (से १३, ८)। 'प्रहमंच'. 'अइपडागा' (औप. पाया १.१)। अइंछिअ देखो अईचिअ (से १३,८। ६ निन्दाः 'अइपंडिय' (बृह १)।
अइंछण न [अत्यश्चन] १ उल्लंघन (से १३, अइ अ [अति] सामर्थ्य-सूचक अध्यय; 'अइ- ३८ ) । २ आकर्षण, खींचाव (स ८.६४) । वहई' (सूम १, २, ३, ५) ।
| अइंत देखो अइइ प्रति +इ।
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