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फुरफुर-फेणाय पाइअसद्दमहण्णवो
६२५ फुरफुर प्रक [पोस्फुराय ] खूब काँपना, कोगलिमा (? मो)गली य तह अकबोंदीया' फुसिअ वि [भ्रमित] घुमाया हुआ (कुमा थरथराना, तड़फड़ाना। फुरफुरेजा (महानि (पएह १-पत्र ३३)।
७, ४)। १)। वकृ. फुरफुरंत, फुरफुरत (सुर १४, फुल्लवड न [दे] पुष्प-विशेष, मदिरा-वामक
फुसिआ स्त्री [दे] वल्ली विशेष, सेसविदुगो२३३; स ६६६; २५९) फूल (कुप्र ४५३)
तफुसिया' (पएण १-पत्र ३३) । फुरिअ वि [स्फुरित १ कम्पित, हिला हुआ, फुल्लविय । वि [फुल्लित] फुलाया हुआ
फुस्स देखो फुस = स्पृश् । फरका हुआ, चलित (दे ६, ८४; सुर ५, फुल्लाविय (सम्मत्त १४० विक्र २३)। फअ दे1 लोहकार, लोहार (दे ६,८५) २२६; गा १३७)। २ दीप्त (दे ६, ८४)।
फुल्लिअ वि [फुल्लित पुष्पित, विकसित (अंत फूम देखो फुम । वकृ. फूमंत (राज)। फुरिअ वि [दे] निन्दित (दे ६. ८४)। १२ स ३०३ सम्मत्त १४०; २२७)।
फूमिय वि [फूत्कृत] फूका हुआ (उप पू फुरफुर देखो फुरफुर। वकृ. फुरफुरंत, फुरु- फुल्लिम पुंस्त्री [फुल्लता] विकास, फूलना १४१) फुरत (परह १, ३, पिंड ५६०; सुर ७, 'प्रच्छ उ ता फलकाले फुल्लिमसमए फूल देखो फुल्ल = फुल्लः ‘फलफूलछल्लिकट्ठा २३१ रणाया १,८-पत्र १३३)।
वि कालिमा वयणे। । मूलगपत्तारिण बीयारिण' (जी १३) फुल देशो फुड = स्फुट । फुलइ (नाट)। फुले इय कलिउं व पलासो चत्तो
फेकार पुंफित्कार] १ शृगाल की आवाज (अप) (पिंग)।
पत्तेहि किविगो व्व' (सुर ९, २०४)। २ मावाज, चिल्लाहट फुल (अप) देखो फुर = स्फुर् । फुला (पिंग)
(सुर ३, ४४) (कप्पू) । फुल (अप) देखो फुड = स्फुट (पिंग)। फुल्लिर वि [फुल्लित] फूलनेवाला, प्रफुल्लः फेकारिय न [फेत्कारित ऊपर देखो (स फुल (अप) देखो फुल्ल = फुल्ल (पिंग)। "हिययणं दणचंदणफुल्लिरफुल्लेहि' (सम्मत्त । ३७०)। फुलिअ देखो फुडिअ = स्फुटित (से ५, ३०)। २१४)।।
फेड सक [स्फेटय ] १ विनाश करना । फुलिअ (अप) देखो फुल्लिअ (पिंग)। फुस सक [भ्रम् ] भ्रमण करना । फुसइ | २ दूर हटाना। ३ परित्याग करना। ४ फलिंग पुं[स्फुलिङ्ग] अग्नि-कण (गाया १, (हे ४, १६१)।
उद्घाटन करना। फेडइ, फेडेइ; फेडंति (उव: १ दे ६, १३५, महा)।
फुस सक [ मृज] मार्जन करना, पोंछना, | हे ४, ३५८ संबोध ५४; स ४१४) । कर्म. फुल्ल अक [फुल्ल ] फूलना, पुष्प-युक्त होना, | साफ करना । फसइ (हे ४,१०५, भवि)। फेडिजइ (भवि) विकसना। फुल्लइ, फुल्लए, फुल्लेइ (रंभा;
कर्म. फुसिजइ, फुसिजउ (कुमाः सुपा १२४)। फेडण न [स्फेटन] १ विनाश । २ अपनयन सम्मत्त १४०), फुल्लंति (हे २, २६) । भवि.
वकृ. फुसंत, फुसमाण (भविः कुप्र २८५)।
| (पव १३५)। फुल्लिहिसि (गा ८०२) संकृ. फुसिऊण (महा)।
फेडणया स्त्री [स्फेटना] ऊपर देखो (पिंड फुल्ल देखो कम = क्रम् । फुल्लइ (धात्वा १४६) फुस सक [स्पृश ] स्पर्श करना, छूना।
३८७)। फुल्ल न [फुल्ल] १ फूल, पुष्प (कुमाः धर्मवि - फुसइ (भगः प्रौपः उत्त २, ६), फुसंति (विसे
फेडावणिय न [दे] विवाह-समय की एक २० सम्मत्त १४३; दसनि १)। २ फूला २०२३), फुसंतु (भग) । वकृ. फुसंत, रीति, वधू को प्रथम बार लजा-परिहार के हुआ, पुष्पित (भगः णाया १, १-पत्र १८; फुसमाण (ोध ३८६, भग) । संकृ. | वक्त दिया जाता उपहार (स ७८)। कुमा)+ 'मालिया स्त्री [ मालिका] फूल
फुसिअ, फुसित्ता, फुसित्ताणं (पंच २, फेडिअ वि [स्फेटित] १ नष्ट किया हमा, बेचनेवाली, मालाकार की स्त्री, मालिन (सुर
३८ भगः प्रौपः पि ५८३) । कृ. फुस्स विनाशित (पउम ३६, २२)। २ त्याजित ३, ७४) + वल्लि स्त्री [वल्लि] पुष्प-प्रधान (ठा ३, २)
(सिरि ६५५) । ३ अपनीत (प्रोघभा ४२)। लता (णाया १,१)।
फुसण न [स्पर्शन] स्पर्श-क्रिया (भगः सूपा ४ उद्घाटित (स ७८) । फुलंधय पुं[फुल्लन्धय, पुष्पन्धय] भ्रमर,
फेण पु [फेण, फेन] फेण, झाग, जल-मल, भँवरा (उप ६८६ टी)
फसणा श्री स्पिर्शना] ऊपर देखो (विसे पानी आदि के ऊपर का बुादाकार पदार्थ फुल्लंधुअ [दे] भ्रमर, भौंरा (दे, ६, ८५;
४३२; नव ३२)
(पानः गाया १,१-पत्र ६२, कप्प) पामः कुमा) फुसिअ देखो फुस = स्पृश् ।
मालिणी स्त्री [ मालिन] नदी-विशेष फुसिअ वि [स्पृष्ट] छुपा हुआ (जीवस (ठा २, ३, इक)। फुल्लग न [फुल्लक] पुष्प की प्राकृतिवाला ललाट का प्राभूषण (औप)।
है पुं[दे] वरुण (दे ६, ८५)। फुसिअ वि [मृष्ट] पोंछा हुआ (उप पृ ३४५. फेगवड फुल्लण न [फुल्लन] विकास (वज्जा १५२) | सुपा २११, कुप्र २३१)
फेणाय प्रक [ फेणाय, फेनाय ] फेणफुल्या स्त्री [फुल्ला, पुष्पा] वल्ली-विशेष, फुसि पुंन [पृषत] १ बिन्दु, बुन्द, बूंद | फेन का वमन करना, झाग निकालना । पुष्पाह्वा, शतपुष्पा, सोया का गाछ; 'दहफुल्लय- | (पाचा; कप्प) । २ बिन्दु-पात (सम ६०)। वकृ. फेणायमाण (प्रयौ ७४)।
की प्राकृतिवाला १९६) मिष्ट] पोंछा हुआ (
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