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पेल्ल-पोअ पाइअसद्दमण्णवो
६१५ पेल्ल सक [क्षिप] फेंकना। पेल्लइ (हे ४, पेस वि [दे. पैश] पेश नामक जानवर के । पेसी स्त्री [पेशी] मांस-खण्ड, मांस-पिण्ड १४३) । कर्म. पेल्लिजइ (उव)। वकृ. पेल्लंत | चमड़े का बना हुआ (वस्त्र) (प्राचा २, ५, (तंदु ७) । देखो पेसिआ। (कुमा)। संकृ. पेल्लिऊण (महा)।
पेसुण्ण न [पैशुन्य ] परोक्ष में दोषपेल्ल देखो पेर = प्र + ईरय् । पेल्लेइ (प्राकृ६०)।
पेसण न [दे] कार्य, काज, प्रयोजन (दे ६, पेसुन्न । कीर्तन, चुगली (औप; सून १, कवक पेरिजंत (से. २५)। संक ५७; भवि; पाया १, ७-पत्र ११७; पउम। १३, २; णाया १, १; भगः सुपा ४२१)। पेल्लि (अप), पेल्लिअ (पिंग)। कृ. पेल्लेयव्व १०३, २६)
पेसेयव्य देखो पेस = + एषय ।। (प्रोघभा १८ टी)।
पेसग न [प्रेषण] १ पठाना, भेजना। २. पेस्सिदवंत देखो पेसिवंत (पि ५६६)।" पेल्ल सक [पीडय ] पीलना, दबाना, पीड़ना।
नियोजन, व्यापारण (कुमाः गउड)। ३ प्राज्ञा, पेह सफ [प्र+ ईक्ष ] १ देखना, निरीक्षण पेल्लेसि, पेल्लिसि (स ५७४ टि)। आदेश (से ३, ५४)।
करना, ध्यान-पूर्वक देखना । २ चिन्तन करना। पेल्ल सक [ पूरय ] पूरना, भरना। कवकृ.
पेसण आरी । स्त्री [दे] दूती, दूत-कर्म करने- पेहद, पेहए (पि ८७; उव), पेहंति (कुप्र पेल्लिजंत (से ६, २५) ।
पेसणआली वाली स्त्री (दे ६,५६ षड्) १६२)। भवि. पहिस्सामि (पि ५३०)। वकृ. पेल्ल । पुन [दे] बच्चा, शिशु, बालक (उप पेसणा स्त्री [पेषण] पीसना, पेषण; 'सिलाए पहंत, हिमाण (उपपृ १५४; चेय २५०;
पि ३२३)। संकृ. पहाए, पहिया (कसः पेल्लग। २१६); 'बीयम्मि पेल्लगाई' (उप | जवगोहूमपेसणाए हेऊए' (उप ५१७ टी) ।
पि ३२३)। २२० टी)
पेसल वि [पेशल] १ सुन्दर, मनोज्ञ (प्राचा पेह सक [प्र+ईह.] १ इच्छा करना, पेल्लग देखो पेरग (निचू १६) गउड)। २ मधुर, मञ्जु (पाय)। ३ कोमल
चाहना । २ प्रार्थना करना। पेहेइ (दस ६, पेल्लण देखो पेरण (पएह १, ३; गउड)। (गउड)
४, २) । पेल्लण न [क्षेपण] फेंकना (धर्म २) पेसल न[दे] सिन्ध देश के पेश नामकर
पेहण न [प्रेक्षण] निरीक्षण (पंचा ४, ११)।। पेल्लय पुं[दे] देखो पेल्ल = (दे) (विपा १,२- पेसलेस पशु के चर्म के सूक्ष्म पक्ष्म से
पत्र ३६) सपेल्लियं सियालि' (सख २.३३)M निष्पन्न बन. 'पेसारिण वा पेसलागि वा' पहा स्त्री प्रक्षण] १ निरीक्षण (उव: सम पेल्लय देखो पेरग (बृह १)।
(२ पाचा २, ५, १-सूत्र १४५), 'पेसारिण ३२)। २ कायोत्सर्ग का एक दोष, कायोत्सर्ग पेल्लय पुं [पेल्लक] भगवान् महावीर के पास वा पेसलेसाणि वा' (३ प्राचा २, ५, १, ८
में बन्दर की तरह प्रोष्ठ-पुट को हिलाते रहना दीक्षा लेकर अनुत्तर विमान में उत्पन्न एक (राज)
(पब ५)। ३ पर्यालोचन, चिन्तन (भाव ४)। जैन मुनि (अनु २) ।
पेसब सक [प्र+ एपया भेजवाना। कृ. ४ बुद्धि, मति (उत्त १, २७)। पल्लव । देखो पर। पेल्लवइ, पेल्लावइ (प्राकृ पेसवेयव्य (उप १३६ टी)।
पेहाविय वि [प्रेक्षिा] दशित, दिखलाया पेल्लाव) ६०)। | पेसवण न [प्रेषण भेजवाना, दूसरे के द्वारा
हुमा (उप पृ ३८८)। पेल्लिअ वि [दे. पीडित पीड़ित (दे ६,
प्रेषण (उवाः पडि)
पेहि वि [प्रेक्षिन निरीक्षक (प्राचाः उव)। ५७); 'बलियदाइयपेल्लियो' (महा)।
___ स्त्री. °णी (पि ३२३)। पेसविअ वि[प्रेषित भेजवाया हुमा, प्रस्था- पेल्लिअ देखो पेरिअ (गा २२१; विपा १,१)।
जानिरीक्षित (मटा पित (पान; उप पृ ५८)। पेल्लेयव्व देखो पेल्ल =प्र + ईरय ।। पेसाय वि [पैशाच] पिशाच-संबन्धी (बृह
पेहुण न [दे] १ पिच्छ, पख (दे ६, ५८; पव्वे अ. अामन्त्रण-सूचक अव्यय ( षड्) ।
पाना गा १७३: ७६५, वजा ४४% भत्त पेस सक [प्र+ एपय्] भेजना, पठाना ।
१४१; गउड)। २ मयूर पिच्छ, एयूरपेसि स्त्री पेशि] देखो पेसी (सुपा ४८७) । पेसइ, पेसेइ (भविः महा)। वकृ. पेसअंत (पि
पंख, शिखएड (पएह १, १२, ५;जं १; ४६०; रंभा)। संकृ. पेसिअ, पेसिउँ (मा
पेसिअ वि [प्रेपित] १ भेजा हुमा, प्रहित णाया १, ३) देखो पिण। ४०; महा)। कृ. पेसइयन, पेसिअव्व;
(गा ११२, भविः काल)। २ प्रेषण (पउम पोअ सक प्रि+] पिरोना, Jथना । पेसेयव्व (सुपा ३००; २७८, ६३०, उप
पोप्रति (गच्छ ३, १८; सूअनि ७४)। वकृ. १३६ टी)
पेसिआ स्त्री [पेशिका] खण्ड, टुकड़ा; 'अंब- पोयमाण (स ५१२) । संकृ. पोइऊण समोस सयंत राज
पेसिया ति वा अंबाडगपेसिया ति वा' (अनु (धर्मवि ६७) पेस पुंस्त्री [प्रेष्य] १ कर्मकर, नौकर, दास,
पोअ वि [प्रोत] पिराया हुआ (दे १, ७६)। चाकर (सम १६ सूत्र १, २, २, ३; उवा)। पेसिआर पुं [प्रेषितकार] नौकर, भृत्य, पोअ पोत] १ जहाज, प्रवहण, नौका २ वि. भेजने योग्य (हे २, ६२) । । कर्मकर (पउम ६, ३५)।
(पाय; सुपा ८८ ३६६) । २ बालक, शिशु, पेस पुं[दे. पेश] १ सिन्ध देश में होनेवाली पेसिदवंत (शौ) वि [प्रेपितवत् ] जिसने बच्चा (दे ६, ८१; पान, सुपा ३६६) ३ एक पशु-जाति (पाचा २, ५, १, ८)। भेजा हो वह (पि ५६६)।
न, वन्न, कपड़ा (ठा ३, १-पत्र ११४)
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