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पुक्खरिणी-पुट्ठ
पाइअसहमहण्णवो पथ का बीज-कोश, कमल का मध्य भाग पुक्खलावट्टय [पुष्करावर्तक, पुष्कला- पुच्छा स्त्री [पृच्छा] प्रश्न (उवाः सुर ३, (पौप)क्ख पुं[A] १ विष्ण, श्रीकृष्ण। वर्तक] मेघ-विशेषः 'पुक्खल (?ला) वट्ठए ३५)।२ कश्मीर के एक राजा का नाम (मुद्रा णं महामेहे एगेणं वासेणं दस वाससहस्साई पुच्छिअ वि [पृष्ट] पूछा हुमा (प्रौप; कुमा; २४२), "गय न [गत] वाद्य-विशेष का भावेति' (ठा ४, ४)
भग; कप्पः सुर २, १६८)। ज्ञान, कला-विशेष (प्रौप)। द्ध न [1]
पुक्खलावत्त [पुष्करावर्त, पुष्कलावत] पुच्छिर वि [प्रष्ट्र] प्रश्न-कर्ता (गा ५६८) पुष्करवर नामक द्वीप का प्राधा हिस्सा (सुज महाविदेह वर्ष का एक विजय-प्रान्त (जं पुछल देखो पुच्छल (पिंग)। १९) वर [°वर] द्वीप-विशेष (ठा २, ४) कूड पुं [कूट] एकशैल पर्वत का | पुज्ज सक [पूजय ] पूजना, प्रादर करना। ३; पडि) संवग देखो पुक्खल-संवट्टय एक शिखर (इक)
पुज्जइ (कुप्र ४२३ भवि)। कर्म. पुज्जिज्जा ( राज)। वित्त देखो पुक्खलावट्टय
(भवि) । वकृ. पुजंत (कुप्र १२१) । कवकृ. पुगारिया स्त्री [दे] वस्त्रादि खादक जंतु-विशेष (राज)।
पुजिजंत (भवि) । संकृ. पुजिउं, पुजि(सूत्र० चू० गा० २८२) पुक्खरिणी देखो पोक्खरिणी (सूत्र २,१,२,
ऊण (कुप्र १०२, भवि) । कृ. पुजिअव्व पुग्ग पुन[दे] वाद्य-विशेष, 'सो पुरम्मि पुग्गाई ३; प्रौफ पाम)।
(ती ७)। प्रयो. पुज्जावइ (भवि) । वाएई' (कुप्र ४०३)। पुक्खरोअपं [पुष्करोद] समुद्र-विशेष
पुज देखो पूज= पूजय । पुक्खरोद (इका ठा ३,१७; सुज १९)।
पुग्गल पुं[पुद्गल] १ वृक्ष-विशेष । २ न.. पुजंत देखो पुज-पूजय ।
फल-विशेष । ३ माँस (दस ५, १, ७३) । पुजंत देखो पूर= पूरय । पुक्खल पं [पुष्कर] एक विजय, प्रान्तविशेष, जिसकी मुख्य नगरी का नाम प्रोषधि पुग्गल देखो पोग्गल (सिक्खा १५, नव ४२ पुज्जण न पूजना पूजा, अर्चा (कूप्र १२१)।. है (इक)। २ पद्म, कमला भिसभिसमुणाल
पि १२५) परट्ट, परावत्त [ परावर्त] पुज्जमाण देखो पूर= पूरय ।। पुक्खलत्ताए' (सूम २, ३, १८)। ३ पद्म
देखो पोग्गल-परिअट्ट (कम्म ५, ८६; वै. | पुजा स्त्री [पूजा] पूजा, अर्चा (उप पृ २४२)। केसर (प्राचा २, १, ८-सूत्र ४७)। ५० सिक्खा ८)
पुजिय वि [पूजित] सेवित, प्रचित (भवि)। 'विभंग न ["विभङ्ग] पद्म-कन्द (माचा
पुच्चड देखो पोश्चड: 'सेयमलपुथ्व (? च) | पुट्ट सक [प्र+उन्छ] पोंछना । पृट्टा २, १,८-सूत्र ४७)। संवट्ट, संवट्टय डम्मी' (तंदु ४०)
(प्राकृ ६७)। पुं[संवर्त, 'क] मेघ-विशेष, जिसके बर
पुच्छ सक [प्रच्छ ] पूछना, प्रश्न करना। पुट्ट न [दे] पेट, उदर (श्रा २८ मोह ४१% सने से दस हजार वर्ष तक पृथिवी वासित पुच्छइ (हे ४, ६७) । भूका, पुच्छिंस, पव १३५, सम्मत्त २२६; सिरि २४२%
सरण) रहती है (उर २, ६
पुच्छीम, पुच्छे (पि ५१६; कुमा; भग)। ठा ४, ४-पत्र
कम. पुच्छिज्जइ (भवि)। वकृ. पुच्छंत पुट्टल न [दे] गट्ठर, गाँठ; गुजराती २७०)। देखो पुक्खर । (गा ४७; ३५७कुमा)। कवकृ. पुच्छि - |
पुट्टलय में 'पोटलु"; 'संबलपुट्टलयं च पुक्खल ( [पुष्कल] १ एक विजय, प्रदेश
जंत (गा ३४७; सुर ३,१५१) । संक्र. गहिय (सम्मत्त ६१)।विशेष (ठा २, ३-पत्र ८०)। २ अनार्य पुच्छित्ता (भग) । हेकृ. पुच्छिउं, पुच्छि
पुट्टलिया स्त्री [दे] छोटी गठरी, पोटली, मोटरी देश-विशेष । ३ पुंस्त्री. उस देश में उत्पन्न, त्तए (पि ५७३, भग)। कृ. पुच्छणिज,
(सुपा ४३; ३४४)। उसमें रहनेवालाः सिंघलोहिं पुलिदिहिं पुच्छणीअ, पुच्छियव्व, पुच्छेयव्व (श्रा
पुट्टिल पुं[पोट्टिल] १ भगवान् महावीर का पुक्खलीहि (?) (भग ६, ३३-पत्र ४५७), १४, पि ५७१, उप ८६४; कप्प)
एक शिष्य, जो भविष्य में तीर्थंकर होनेवाला [सिंहलीहिं पुलिंदीहि पक्कणीहिं (?) (भग पुच्छ देखो पुंछ प्र + उच्छ् । पुच्छइ (षड्)M
है (विचार ४७८) । २ एक अनुत्तर-देवलोक६, ३३ टी-पत्र ४६०) ]। ४ वि. अत्यन्त, पुच्छ देखो पुंछ = पुच्छ (कप्प)।
गामी जैन महर्षि (अनु २) । प्रभूत (कुप्र ४१०)। ५ संपूर्ण, परिपूर्ण
पुच्छ वि [प्रच्छका पूछनेवाला. पुट्ठ वि[स्पृष्ट १ छुपा हुआ (भगः पोप: (सूम २,१,१)
पुच्छग, प्रश्न-कर्ता (ोषभा २८ सुर हे १,१३१) । २ न. स्पर्श (ठा २,१, नव पुक्खलच्छिभग । पुंन [दे] जलमह-विशेष,
१०, ६५) । स्त्री-च्छिआ (अभि १२५)। १५) पुच्छलच्छिभय ) जल में होनेवाली वनस्पति
पुच्छण न [प्रच्छन, प्रश्न] पृच्छा (सूपनि | पुट्ठ वि [पृष्ट] १ पूछा हुमा (पौपः सण हे विशेष (सूत्र २, ३, १८; १९)। देखो १९३ धर्मविश्रावक ६३ टी)
२, ३४) । २ न. प्रश्न (ठा २, १)। पोक्खलच्छिलय।।
पुच्छणया। स्त्री [प्रच्छना] ऊपर देखो लाभिय वि [लाभिक] अभिग्रह-विशेषपुक्खलालाई स्त्री[पुष्करावती, पुष्कलावती] पुच्छणा (उप ४६६, मौप)
वाला (मुनि) (प्रौप; पण्ह २, १)। महाविदह वर्ष का विजय-प्रान्त-विशेष (ठा पुच्छणी स्त्री [प्रच्छनी] प्रश्न की भाषा (ग 'सेणियापरिकम्म पुन [श्रेणिकापरिक२, ३, इक महा)। कूड पुंन [कूट] एक- ४.१-पत्र १८२)।
मन्] दृष्टिवाद का एक प्रतिपाद्य विषय शैल पर्वत का एक शिखर (इक) । पुच्छल (अप) देखो पुट्ट = पृष्ट (पिंग)। (सम १२८)।
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