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पमिल्ल-पम्हलिय
पाइअसद्दमहण्णवो
पमिल्ल अक [प्र+मील] विशेष संकोच | पमोक्ख देखो पमुंच।
देव-विमान-विशेष (सम १५)। "प्पभ न करना, सकुचना। पमिल्लइ (हे ४, २३२ पमोक्ख पुंन [प्रमोक्ष] १ मुक्ति, निर्वाण [°प्रभ] ब्रह्मलोक का एक देवविमान प्राप्र)।
(सून १, १०, १२)। २ प्रत्युत्तर, जवाबः | (सम १५)। लेस, लेस्स न [ लेश्य पमीय देखो पमा=प्र+मा।
'नो संचाए...."किचिवि पमोक्खमक्खाइउ' ब्रह्मलोक-स्थित एक देव-विमान (सम १५; पमील देखो पमिल्ल । पमीलइ (हे ४, २३२)।। (भग)।
राज)। वण्ण न [वर्ण] वही पूर्वोक्त पमुइअ वि [प्रमुदित] हर्ष-प्राप्त, हर्षित पमोक्खण न [प्रमोचन परित्याग, 'कंठा- अर्थ (सम १५)। सिंग न [शृङ्ग] वही (प्रौप, जीव ३)।
कंठियं अवयासिय बाहरमोक्खणं करेई अर्थ (सम १५)। सिटु न [[सृष्ट वही पमुंच सक [प्र+मुच् ] छोड़ना, परित्याग (गाया १,२-पत्र ८८)।
पूर्वोक्त अर्थ (सम १५) । वित्त न [व] करना। पमुंति (उव)। कर्म, पमुच्चइ पमोयणा स्त्री [प्रमोदना] प्रमोदन, प्रमोद, वही अर्थ (सम १५)। (पि ५४२)। भवि. पमोक्खसि (प्राचा)। आह्वाद, प्रानंद (चेश्य ४११)।
पम्ह देखो पउम (परह १, ४-पत्र ६७; वकृ. पमुंचमाण (राज)।
पम्मलाअ अक [H+ म्लै] अधिक म्लान | ७८, जीव ३)। गंध वि [°गन्ध] १ पमुक्क वि [प्रमुक्त] परित्यक्त (हे २, ६७ होना । पम्मलापदि (शौ); (पि १३६; नाट- कमल की गन्ध । २ वि. कमल के समान षड्)। मालती ५३)।
गन्धवाला (भग ६,७)। लेस वि [ लेश्य] पमुक्ख देखो पमुह (सुपा १० गु ११; पम्माविम्लान] १ विशेष म्लान, पद्मा नामक लेश्यावाला (भग)। लेसा स्त्री जी १०)।
पम्माइजअत्यन्त मुरझाया हुमा; 'पम्मान- [ लेश्या] लेश्या-विशेष, पांचवीं लेश्या, पमुच्छिय पुं [प्रमूच्छित ] नरकावास
सिरीसाई व । जह से जायाई अंगाई' (गा प्रात्मा का शुभतर परिणाम-विशेष (ठा ३, विशेष (देवेन्द्र २७)।
५६; गा ५६ टि)। २ शुष्क; 'वसहा य १; सम ११)। लेस्स देखो °लेस (परण पमुक्त देखो पगुक्क (पि ५६६)। जायथामा, गामा पम्मायचिक्खल्ला' (धर्मवि
१७---पत्र ५११)। पमुदिय देखो पमुइअ (सुर ३, २०)।
पम्हअ सक [+ स्मृ] भूल जाना. विस्मरण पमुद्ध वि[प्रमुग्ध] अत्यन्त मुग्ध (नाट- पम्माण वि [प्रग्लान] १ निस्तेज, मुरझाया |
होना । पम्हअइ (प्राकृ ६१)। मालती ४४)।
हुना। २ न. फीकापन, मुरझाना; 'पम्हा पम्हगावई स्त्री [पक्ष्मकावती] महाविदेह पमुह वि [प्रमुब] १ तल्लोन दृष्टिवाला, (? म्मा) गरुएणलिंगों' (अणु १३६)। वर्ष का एक विजय, प्रदेश-विशेष (ठा २, 'एगप्पमुहे' (आचा)। २ पुं. ग्रह-विशेष, पम्मि पुं [दे] पाणि, हाथ, कर ( षड्)। ३; इक)। ज्योतिष्क देव-विशेष (ठा २, ३)। ३ न. पम्मुक्क देखो पमुक्क (हे २, ६७ षड्ः
पम्हटु वि [प्रस्मृत] १ विस्मृत (से ४, प्रकृष्ट प्रारम्भ, प्रादि, आपात; कंपागफल(कुमा)।
४२)। २ जिसको विस्मरण हुआ हो वह सरिच्छो भोगा पमुहे हवंति गुणमहुरा' | पम्मुह वि [प्रामुख] पूर्व की ओर जिसका 'किं पम्हट्ठ म्हि अहं तुइ चलणप्परगतिवह(पउम १०८, ३१, पाम)। __ मुंह हो वह (भषि; वज्जा १६४)।।
प्रापडिउएणं (से ६, १२)। *पमुह वि. ब. [प्रमुख] १ वगैरह, प्रादि । पम्ह पुंन [पक्ष्मन्] १ अक्षि-लोम, बरवनी,
पम्हट्ठ वि [दे] १ प्रभ्रट, विलुप्त (से ४, २ प्रधान, श्रेष्ठ, मुख्य (प्रौप; प्रासू १६६)। | अाँख के बाल (पान)। ३ पद्म प्रादि का
४२)। २ फेंका हमा, प्रक्षिप्त; 'पम्हटुवा पमुहर वि [प्रमुखर] वाचाल, बकवादी
परिट्रविर, ति वा एगट्ठ' (वव १)। । केसर, किंजल्क (उवाः भगः विषा १,१)। (उत्त १७, ११)।
३ सूत्र आदि का अत्यल्प भाग। ४ पंख,
पम्हय वि [पक्षन] १ पक्ष्म से उत्पन्न : पमेइल वि [प्रमेदस्विन] जिसके शरीर में पाँख (हे २, ७४ प्राप्र)। ५ केश का अग्र
२ न. एक प्रकार का सूता (पंचभा)। चर्बी बहुत हो वह, थूले पमेइले वज्झे पाइमेत्ति | भाग (से ६, २०)। ६ अग्र-भाग; 'रणपणहु
| पम्हर [दे] अामृत्यु, अकाल-मरण (दे य नो वए' (दस ७, २२)।
आसणपइत्तपत्तएपम्हं' (से १५, ७३) । पमेय वि [प्रमेय] प्रमाण-विषय, सत्य- ७ महाविदेह वर्ष का एक विजय-प्रदेश
पम्हल वि [पक्ष्मल] पक्ष्म-युक्त, सुंदर पदार्थ (धर्मसं ११९०)। (ठा २, ३, इक)। ८ न. एक देव-विमान
अक्षि-लोमवाला (हे २, ७४० कुमाः षड्, पमेह [प्रमेह] रोग-विशेष, मेह रोग, (सम १५)। कंत न [कान्त] एक देव
प्रोप; गउड; सुर ३, १३६ पास)। मूत्र-दोष, बहुमूत्रता (निचू १)। विमान का नाम (सम १५)। कूड पुं
पम्हल पुं[दे] किंजल्क, पद्म आदि का केसर पमोअ पुं [प्रमोद] १ आनन्द, खुशी, हर्ष [कूट] १ पर्वत-विशेष (राज)। २ न. | (दे ६, १३; षड् )। (सुर १, ७८ महा; एंदि)। २ राक्षस-वंश ब्रह्मलोक नामक देवलोक का एक देव-विमान | पम्हलिय वि [दे. पक्ष्मलित] धवलित, के एक राजा का नाम, एक लंका-पति (सम १५)। ३ पर्वत-विशेष का एक शिखर सफेद किया हुआ; 'लायएणजोन्हापवाहपम्ह(पउम ५, २६३)।
(ठा २, ३, ६)। भय न [ध्वज] | लियचउद्दिसाभोमो' (स ३६) ।
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