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पाइअसद्दमण्णवो
पडबोधिअ-पडिया पडबोधिअ देखो पडिबोहिय (अभि ५६)। पंति पडिभमिय सुहडसीसइँ दलंति (भवि)। सम १६ ठा २, ३, ५, १)। "गिह न पडिबोह सक [प्रति +बोधय् ] १ जगाना। पडिभमिय वि [प्रतिभ्रान्त, परिभ्रान्त] [गृह्] मन्दिर (निचू १२)। देखो पडिम। २ बोध देना, समझाना, ज्ञान प्राप्त कराना। घूमा हुआ (भवि)।
पडिमाण न प्रतिमान] जिससे सुवर्ण आदि पडिभय न [प्रतिभय भय, डर (पउम ७३, का तौल किया जाता है वह रत्ती, मासा बोहिज्जंत (अभि ५६) । संकृ. पडिबोहिअ १२)।
प्रादि परिमाण (अरण)। (नाट-मालती १३९)। हेकृ. पडिबोहिडं पडिभा अक [प्रतिभा] मालूम होना। पडि- पडिमाण न [प्रतिमान प्रतिमा, प्रतिबिम्ब (महा) । कृ. पडिबोहियव्य (स ७०७)। भादि (शौ) (नाट-रत्ना ३)।
(चेइय ७५)। पडियोह पुं [प्रतिबोध] १ बोध, समझ। पडिभाग पुं [प्रतिभाग] १ अंश, भाग पडिमि । सक [प्रति + मा] १ तौल
२ जागृति, जागरण (गउड पि १७१)। (भग २५,७)। २ प्रतिबिम्ब (राज)। पडिमिग करना, माप करना। २ गिनती पडियोग वि [प्रतिबोधक] १ बोध देने- पडिभास अक प्रति + भास1 मालूम करना । कर्म. पडिमिरिणजइ (प्रण)। कवकृ. बाला । २ जगानेवाला (विसे २४७ टी। | होना। पडिभासदि (शौ) (नाट-मृच्छ पडिमिज्जमाण (राज)। पडिबोहण न [प्रतिबोधन] देखो पडि- १४१) ।
पडिहुंच सक[प्रति + मुच] छोड़ना । बोह = प्रतिबोध (काला स ७०८)। पडिभास सक [प्रति + भाष् ] १ उत्तर हेकृ. पडिमुंचिउं (से १४, २)। पडिबोहि वि प्रितिबोधिनी प्रतिबोध प्राप्त देना। २ बोलना, कहना; 'अप्पगे पीडभा- पडिमंडणा स्त्री प्रतिमुण्डना] निषेध करनेवाला (पाचा २, ३, १, ८)। संति' (सूत्र १, ३, १, ६)।
निवारण (बृह १)। पडियोहिय वि [प्रतियोधित] जिसको प्रति- पांडामण्ण वि [प्राताभन्न] संबद्ध, संलग्न पडिा
पडिभिण्ण वि [प्रतिभिन्न] संबद्ध, संलग्न पडिमुक्त वि [प्रतिमुक्त] छोड़ा हुप्रा (से ३, बोध किया गया हो वह (णाया १, १;
१२)। पडिभिन्न वि [प्रतिभिन्न] भेद-प्राप्त पडिमोअणा स्त्री [प्रतिमोचना] छटकारा काल)। पडिभंग पुं [प्रतिभंग] भंग, विनाश (से ५, (पव-गाथा १६; चेइय ६४२)।
(से १, ४६)। पडिभुअंग पुं [प्रतिभुजङ्ग] प्रतिपक्षी पडिमोक्खण न [प्रतिमोचन] छुटकारा (स पडिभंज अक [प्रति + भञ्] भाँगना,
भुजंग–वेश्या-लंपट (कपूर २७)। ४१)। टूटना । कृ. पडिभंजिउं (वय ४)। पडिभू पुं [प्रतिभू] जामिनदार, जमानत पडिमोयग वि [प्रतिमोचक] छुटकारा करनेपडिभंड न [प्रतिभाण्ड] एक वस्तु को करनेवाला, मनौतिया (नाट–चैत ७५)। वाला (राज)। बेचकर उसके बदले में खरीदी जाती चीज पडिभेअ पुंदे. प्रतिभेद उपालम्भ, निदाः पडिमोयण देखो पडिमोक्खण (ोप)। (स २०५; सुर ६, १५८)। । 'पडिभेनो पच्चारणं (पान)।
पडियक्क देखो पडिक (प्राचा)। पडिभंस सक [प्रति + भ्रशय् ] भ्रष्ट करना, पडिभोइ वि [प्रतिभोगिन्] परिभोग करने
पडियक्क न [प्रतिचक्र] युद्धकला-विशेष, च्युत करना; 'पंथामो य पडिभंसई' (स ३६३)। वाला, 'अकालपडिभोईरिण' (पाचा २, ३,
तेण पुत्तो विव निप्फाइतो ईसत्थे पडियके पडिभग वि [प्रतिभग्न] भागा हुआ, १,८ पि ४०५)।
जन्तुमुक्के य अन्नासुवि कलासु' (महा)। पलायित (ोघ ५३३)। पडिम वि [प्रतिम] समान, तुल्य (मोह
पडियग्गण न [प्रतिजागरण] सम्हाल, पडिभड पुं प्रतिभट] प्रतिपक्षी योद्धा (से
| खबर (धर्मसं १०१३)। १३, ७२; पारा ५६ भवि)।
पडिम देखो पडिमा। ट्राइ वि[स्थायिन] पडिमण सक [प्रति + भण्] उत्तर देना, १ कायोत्सर्ग में रहनेवाला। २ नियम-विशेष पाडयञ्च देखो पत्तिअ = प्रति+इ। जवाब देना। पडिभणइ (महा; उवाः सुपा | में स्थित (पएह २, १-पत्र १००, ठा ५, पडियरण न [प्रतिकरण] प्रतोकार, इलाज २१५), पडिभरणामि (महानि ४)। १--पत्र २६६)।
(पिंड ३६६)। पडिभणिय वि प्रितिभणिता प्रत्युत्तरित, पडिमंत सक [प्रति + मन्त्रय ] उत्तर पडियरिअ वि [प्रतिचरित] सेवित, सेवा जिसका उत्तर दिया गया हो वह (महा; सुपा देना । पडिमंतेइ (उत्त १८, ६)।
किया हुआ (मोह १०५)। पडिमल्ल पुं [प्रतिमल्ल] प्रतिपक्षी मल्ल पडिया स्त्री [प्रतिज्ञा १ उद्देश्य, "पिंडवायपडिभणिय वि [प्रतिभणित] १ निराकृत (भवि)।
पडियाए' (कस; प्राचा)।२ अभिप्राय (ठा ५, (धर्मस ६५०)। २ न. प्रत्युत्तर, निराकरण पडिमा स्त्री [प्रतिमा] १ मूत्ति, प्रतिबिम्ब: २-पत्र ३१४) । (धर्मसं ११)।
'जिणपडिमादसणेण पडिबुद्ध' (दसनि १; पडिया स्त्री [पटिका] वस्त्र-विशेष, पडिभम सक [प्रति, परि+भ्रम् ] घूमना, पामा गा १, ११४)। २ कायोत्सर्ग। ३ 'सुपमाणा य सुसुत्ता, पर्यटन करना । संकृ. 'कत्थइ कडुप्राविय गयह जैन-शास्त्रोक्त नियम-विशेष (पएण २,१
बहुरूवा तह य कोमला सिसिरे।
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