________________
४८२ पाइअसहमहण्णवो
दोमणंसिय-दोहि दोमणंसिय वि [दौर्मनस्यिक खिन्न, शोक- दोविह देखो दुविह (उत्त २: नव ३)। दोसियण्ण न [दोषिकान] बासी अन्न
ग्रस्त (ठा ५, २–पत्र ३१३)। दोवेली स्त्री [दे] सायंकाल का भोजन (दे ५, । (राज)। दोमणस्स न [दौर्मनस्य वैमनस्य, द्वेष, ।
दोसिल्ल वि [दोषवत् ] दोष-युक्त (धम्म मन की दुप्ता (सन २, २, ८२, ८३)। दोव्वल देखो दोब्बल (से ४, ४२, ८, ११ टी)। दोमासिअ वि [द्वैमासिक] दो मास का
८७)।
दोसिल्ल वि [दे] द्वेष-युक्त, द्वेषी (विसे (भगः सुर १४, २२८)। स्त्री. आ (सम
दोस देखो दूस = दूष्य (प्रौप; उप ७६८ टी)। १११०)। २१)।
दोस पुं [दोष दूषण, दुगुण, ऐब (मौपः । दोसीण न [दे] रात का बासी अन्न (पग्रह २, दोमिय (अप) देखो दृमिअ = दावित (भवि) ।
सुर १, ७३, स्वप्न ६० प्रासू १३) । न्नु ५ ओघ १४५) ।
वि [s] दोष का जानकार, विद्वान् (पि | दोसील वि [दुरशील] दुष्ट स्वभाववाला (पव दोमिली स्त्री [दोमिली] लिपि-विशेष (राज)।
१०५)। ह वि [१] दोष-नाशक; 'कुवंति ७३) । दोमुह वि [द्विमुख] १ दो मुँहवाला । २
पोसह दोसहं सुद्ध' (सुपा ६२१)। दोसोलह त्रि. ब. [द्विषोडशन् ] बत्तीस, पुं. नृप-विशेष (महा) । ३ दुर्जन (गा २५३)। दोस पुंदे] १ अर्ध, प्राधा (दे ५, ५६)। २
३२ (कप्पू)। दोर पुं. [दे] १ डोरा, धागा, सूत (पउम ४, कोप, क्रोध, गुस्सा(दे ५, ५६ षड् )। ३ द्वेष,
दोह सक [ह.] द्रोह करना । वकृ. दोहंत ५०; कुप्र २२६; सुर ३, १४१)। २ छोटी द्रोह (प्रौपः कप्पा ठा १; उत्त ६; सून १,
(संबोध ४)। रस्सी (मोघ २३२; ६४ भा)। ३ कटि-सूत्र
दोह पं. [दोह] दोहन (दे २, ६४)। १६; पएण २३, सुर १, ३३; सण; भविः
दोह वि [दोझ दोहने योग्य (भास ८९)। कुप्र ३७१)। दोरिया देखो दोरी (सिरि ६३)।
दोह [द्रोह] ईर्ष्या, द्वेष (प्रातः भवि)। दोस पु [दोस] हाथ, हस्त, बाहु (से दोरी स्त्री [दे] छोटी रस्सी (श्रा १६)।
दोहग्ग न [दौर्भाग्य] दुष्ट भाग्य, दुरदृष्ट, २,१)।
| कमनसीबी (पएह १, ४. सुर ३, १७४; गा दोल प्रक [दोलय] १ हिलना । २ झूलना। दोसणिज्जत (दे] चन्द्र, चन्द्रमा, चांद (दे दोलइ (हे ४, ४८) । दोलंति (कप्पू)। ५,५१)।
२१२)। दोसा स्त्री [दोषा] रात्रि, रात (सुर १,२१)।
दोहग्गि वि [दौर्भागिन्] दुष्ट भाग्यवाला, दोलणय न [दोलनक] झूलन, अन्दोलन दोसाकरण न दे] कोप, क्रोध (दे ५,५१)।
कमनसीब, मन्द-भाग्य (श्रा १६)। (दे ८, ४३)। दोसाणिअ विदे] निर्मल किया हुआ (दै
दोहण न [दोहन] दोहना, दूध निकालना दोलया। स्त्री [दोला झूला, हिंडोला (सुपा
(पएह १, १)। वाडण न [ पाटन ] दोला । २८६ कुमा)।
दोसायर [दोषाकर] १ चन्द्र, चाँद (उप दोहन-स्थान (निचू २)। दोलाइय वि [दोलायित] १ हिला हुआ।
७२८ टी; सुपा २७५) । २ दोषों को खान,
दोहणहारी स्त्री [दे] १ दोहनेवाली स्त्री (दे २ संशयित (हेका ११९)। दुष्ट (सुपा २७५)।
१, १०८ ५, ५६) । २ पनिहारी, पानी दोलायमाण वि [दोलायमान] १ हिलता
दोसारअण पुंदे. दोषारत्न] चन्द्र, चाँद भरनेवाली स्त्री, पनहारिन (दे ५, ५६) । हुमा । २ संशय करता हुमा (सुपा ११७ (षड्)।
दोहणी स्त्री [दे] पंक, कादा, कर्दम (दे ५, गउड)।
| दोसासय पुं[दोषाश्रय] दोष-युक्त, दुए ४८)। दोलिया देखो दोला (सुर ३, ११६)। (पउम ११७, ४१)।
दोहय वि [दोहक दोहनेवाला, (गा ४६२)। दोलिर वि [दोलायत झूलनेवाला (कुमा)। दोसि वि दोपिन् ] दोषवाला, दोषी (कुप्र दोहय वि [द्रोहक] द्रोह करनेवाला, ईर्ष्यालु दोव पुं[दोव] एक अनार्य जाति (राज)। ४३८)।
(उप ३५७ टी; भवि)। दोवई स्त्री [द्रौपदी] राजा द्रुपद की कन्या, दोसिअ ' [दौष्यिक] वस्त्र का व्यापारी दोहल 'दोहद] गर्भिणी स्त्री का मनोरथ पाण्डव-पत्नी (गाया १,१६, उप ६४८ टी; (श्रा १२ वजा १६२)।
(हे १, २१७; २२१; कप्प)। पडि)। दोसिण [दे] देखो दोसीण (पएह २, ५)।
दोहा अद्विधा] दो प्रकार (हे १, ९७)। दोवयण देखो दुवयण = द्विवचन (हे १, दोसिणा [दे] नीच देखो (ठा २, ४-पत्र
दोहाइअ वि [द्विधाकृत] जिसका दो खण्ड ६४ कुमा)।
८६)। °भा स्त्री [ भा] चन्द्र की एक पट- किया गया हो वह (हे १, ६७ कुमा)। दोवार (अप) देखो दुवार (सण)।
रानी (ठा ४, १; इक पाया २)। दोहासल न [दे] कटी-तट, कमर (दे ५, दोवारिज । [दौवारिक] द्वारपाल, दर- दोसिणी स्त्री [दे. दोषिण] ज्योत्स्ना, चन्द्र- ५०)। दोवारिय ) वान, प्रतीहार (निचू ; णाया प्रकाश (दे ५, ५०); 'ससिजुबहा दोसिणी दोहि वि [दोहिन] झरनेवाला, टपकनेवाला १, १७ भग ६, ५, सुपा ४२६)।
जत्थ' (कुप्र ४३८)।
। (गा ६३६)।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org