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तेल्ल—तोसलि
(श्रोध ५६६) । णाह पुं [नाथ ] तीनों जगत् का स्वामी, परमेश्वर (षड् ) 1 मंडण न[* मण्डन] १ तीनों जगत् का भूषण । २ पुं. रावण का पट्ट-हस्ती ( पउम ८०, ६०) ।
तेल न [तैल] तेल, तिल का विकार, स्निग्ध द्रव्य- विशेष ( हे २,६८; प्रणु पव ४ ) केला स्त्री [केला ] मिट्टी का भाजन-विशेष (राज) + 'पल्लन [पल्य ] तैल रखने का मिट्टी का भाजन-विशेष (दसा १०) । • पाइया स्त्री [पायिका] क्षुद्रजन्तु-विशेष
( श्रावम) ।
तेल्लग न [तैलक] सुरा-विशेष ( जीव ३ ) । तेल्लिअ पुं [तैलिक] तेल बेचनेवाला (वव E)| तेल्लोअ तेल्लोक } देखो तेलुक (पि १९६; प्राप्र ) तेवें ? (अप) देखो तह = तथा ( हे
।
४,
३६७; कुमा) ।
तेववि [पष्ट] frre की संख्यावाला, जिसमें तिरसठ अधिक हो ऐसी संख्या 'तिन्नि बट्टाई पावादुयसयाई' (पि २६५) । तेवड (प) वि [ तावत् ] उतना ( हे ४, ४०७, कुमा)। daण्णासा स्त्री [ त्रिपञ्चाशत् ] त्रेपन, ५३ (प्राकृ ३१) । - तेवीस स्त्री [तोविंशति ] तेईस ( प्राकृ ३१) | तेत्तर देखो ते वत्तरि (कम्म ५, ४) । तेह (अप) वि [ तादृश् ] उसके जैसा, वैसा (हे ४, ४०२; षड् ) । ~
तेहिं (अप) प्र. वास्ते, लिए ( हे ४, ४२५३ कुमा
तेहिय वि [यादिक] तीन दिन का ( जीवस ११) । -
तेत्तरि देखो ते वन्तरि (१७९) । तो देखो तओ (श्राचाः कुमा) । तो [ तदा] तब उस समय (कुमा) । तोअय पुं [दे] चातक पक्षी (दे ५, १८) । तोंड देखो लुंड (हे १, ११६३ प्राप्र ) । तोंडी [दे] करम्ब, दही-भात की बनी हुई एक खाद्य वस्तु (दे ५, ४) ।
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पाइअसद्दमद्दण्णवो
तोक्कय वि [दे] बिना ही कारण तत्पर होनेवाला (दे ५, १८) । - तोक्खार देखो तुक्खारः 'खुरखुरखयखोणीय_लग्नसंखतोक्खारलक्खजुनों' (सुर १२, ११) । तोटअ न [त्रोटक ] छन्द-विशेष (पिंग) 1 तोड सक [तुड्] १ तोड़ना, भेदन करना । २. टूटना । तोडइ (हे ४, ११६) । वकृ. तोडत (भवि ) । संकृ. तोडिलं (भवि), तोडित्ता ( ती ७) 1 तोड पुं [त्रोड] त्रुटि (उप पृ १८) । तोडण वि [दे] असहन, असहिष्णु (दे ५, १८) 1
तोडण न [तोदन ] व्यथा, पीड़ा-करण (राज) ।
तोडर न [दे] टोडर, माल्य-विशेष (सिरी
१०२३) ।
तोडहिआ स्त्री [दे] वाद्य-विशेष (प्राचा २,
११)
तोडिअ वि [त्रोटित ] तोड़ा हुम्रा (महा
सण
तोड [दे] क्षुद्र कोट - विशेष, चतुरिन्द्रिय जीव की एक जाति (राज) । -
तो न [ग] रधि, भाषा, तरकस, तूणीर ( पाच औप हे १, १२५: विपा १, ३) । तोर पुन [तूणीर] शरधि, भाषा ( पात्र हे १, १२४ भवि ) । ~
तो न [तोत्र ] प्रतोद, बैल को मारने या हॉकने का बाँस का आयुध-विशेष पैना, सोंटा, चाबुक (पान; दे ३, १६: सुपा २३७ सुर १४,५१) ।
तोडि [] देखो तोंड (पा) । तोदग वि [ तोदक ] व्यथा उपजानेवाला, पीड़ा-कारक (उत्त २० ) 1तोमर पुंन [दे. तोमर ] मधपुडा, मधुमक्खी का घर या छत्ता 'ग्रह उड्डियाउ तोमर मुहाउ महुमक्खियाउ सव्वत्तो' ( घर्मंवि १२४ ) । | तोमर पुं [तोमर ] १ बाण-विशेष, एक प्रकार काबा (पह १, १ सुर २, २८ औप ) । २ न. छन्द - विशेष (पिंग) ।
तोमरिअ पुं [दे] १ शस्त्र का प्रमार्जन करनेवाला (दे ५, १८) । २ शस्त्र - मार्जन (षड् ) ।
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तोमरिगुंडी स्त्री [दे] वल्ली-विशेष (पान) 1 तोमरी स्त्री [] वल्ली, लता (दे ५, १७) । - तोम्हार (श्रप) देखो तुम्हार (पि ४३४) । तोय न [तोय ] पानी, जल ( परह १, ३ वजा १४; दे २, ४७ ) + धरा, धारा, स्त्री ["धारा] एक दिक्कुमारी देवी ( इकठा ८ ) । पटू, पिटून [[पृष्ठ ] पानी का उपरिभाग (परह १, ३ श्रीप) । तोय [तोद] व्यथा, पीड़ा (ठा ४, ४) तोरण न [ तोरण] १ द्वार का अवयव विशेष, बहिर्द्वार (गा २६२ ) । २ बन्दनवार, फूल या पत्तों की माला ( झालर ) जो उत्सव में लटकाई जाती है (भौप)। उर न [° पुर] नगर- विशेष (महा) तोरविअ वि [दे] उत्तेजित (पान; कुप्र
१६२) ।
[दे] नेत्र का रोग विशेष
तोरामदा स्त्री ( महानि ३ ) । तोल देखो तुल= तोलय् । तोलह, तोलेइ (पिंग, महा) । वकृ. तोलंत (वजा १५८ ) । कवकृ. तो लिज्जमाण (सुर १५, १४) । कृ. तोलियव्व ( स १६२ ) 1तोल पुंन [दे] मगध देश प्रसिद्ध पल, परिमारण- विशेष ( तंदु) ।
तोलण पुं [दे] पुरुष, आदमी (दें ५; १७) । - तोलण न [तोलन ] तौल करना, तौलना, नाप करना (राज)।
तोलिय वि [ तोलित ] तौला हुआ (महा) 1 तोल्ल न [तौल्य, तौल] तौल, बजन ( कुप्र १४९) ।
तोवट्ट पुं [दे] १ कान का प्राभूषण- विशेष । कमल की करिंका (दे ५, २३) । तो स [तोष ] खुशी करना, सन्तुष्ट करना । तोसइ ( उव) | कर्म. तोसिबइ (गा ५०८ ) 1
तोस [तोष ] खुशी, श्रानन्द, संतोष (पाम; सुपा २७५) रवि [कर] संतोषकारक (काल) ।
तोस न [दे] धन, दौलत (दे ५, १७ ) 1तोसलि पुं [तोसलिन] १ ग्राम- विशेष । २ देश-विशेष । ३ एक जैन भाचार्य (राज) ।
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