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पाइअसहमहण्णवो श्चम [एव] अवधारण-सूचक अव्यय (हे २ चिअ देखो चिअ = एव (हे २, १८४ १८४ कुमा; षड्)।
कुमा)।
देखो चेव = एव (पि ६२ जी ३२)।
॥ इम सिरिपाइअसहमहण्णवम्मि चयाराइसद्दसंकलणो
चउहसमो तरंगो समत्तो।
छ
का १ तालु-स्थानीय व्यजन वर्ण- नउय विणवत] छानबेवा, ६६ वाँ | छ उम पुंप [छद्मन्] १ कपट, शठता, माया विशेष (प्रापः प्रामा)। २ आच्छादन, ढकना: (पउम ९६, ५०)। °प्पण्ण, पन्न स्त्रीन (सम १,षड्)। २ छल, बहाना (हे २, 'छ ति य दोसारण छायणे होइ' (आवम)। पञ्चाशत् ] छप्पन, ५६ (राज; सम ११२; षड्)। ३ प्रावरण, पाच्छादन (सम छ त्रि. ब. [षष् ] संख्या-विशेष, छः; 'छ
७३)1 °प्पन्न वि [पञ्चाश] छप्पनवाँ १.ठा २, १) छडियामो जिणसासणम्मि' (श्रा ६ जी ३२;
(पउम ५६, ४८)। भाय पुं[भाग] छउम न [छद्मन] ज्ञानावरणीय प्रादि भग १, ८)। उत्तरसय वि [उत्तर
छठवाँ हिस्सा (पि २७०)। भासा स्त्री चार घाती कर्म (चेइय ३४६) । शततम] एक सौ और छठवाँ (पउम १०६,
[भाषा] प्राकृत, संस्कृत, मागधी, शौरसेनी, छउमत्थ वि[छमस्थ] १ प्रसवंज्ञ, संपूर्ण ४६)। कम्म न [कर्मन् छः प्रकार के
पैशाचिका और अपभ्रंश ये छः भाषाएँ ज्ञान से वञ्चित । २ राग-सहित, सराग (ठा कर्म, जो ब्राह्मणों के कर्तव्य हैं, यथा
(रंभा)। 'मासिय, म्मासिय वि [षाण- ४, १, ६, ७)। यजन, याजन, अध्ययन, अध्यापन, दान और मासिक] छः मास में होनेवाला, छः मास
छउलूअ देखो छलूअ (राजः विसे २५०८)। प्रतिग्रह (निच १३)1 काय न ["काय |
सम्बन्धी (सम २१, औप)। वरिस वि
| छंकुई स्त्री [दे] कपिकच्छू, वृक्ष-विशेष,
वार्षिक] छः वर्ष की उम्रवाला (सार्घ छः प्रकार के जीव, पृथिवी, अग्नि, पानी,
केवाँच, कवाछ (दे ३, २४)। वायु, वनस्पति और श्रस जीव (श्रा ७;
२६)। वीस देखो °व्वीस (पिंग)। 'विह विविध छः प्रकार का (कसः
छट पु[दे] छोंटा, जल का छोटा, जलपंचा १५) । गुण, ग्गुण वि [गुण]
च्छटा । २ वि. शीघ्र, जल्दी करनेवाला (दे छगुना (ठा ६; पि २७०)।
नव ३)। "व्वीस स्त्रीन [विंशति]
चरण पुं [°चरण] भ्रमर, भौंरा (कुमा)। जीवछव्वीस, बीस और छः (सम ४५)1 °वी
छंट सक [सिच् ] सींचना। छटसु (सुपा सइम वि [°विंशतितम] १ छब्बीसवाँ निकाय [जीवनिकाय] देखो काय
२६८)। (प्राचा)।
२६ वाँ (पउम २६, १०३)। २ लगातार उइ, °णवइ [णवति]
छंटण न [सेचन] सिंचन, सिंचना (सुपा बारह दिनों का उपवास (गाया १, १)। संख्या-विशेष, छानबे, १६ (सम १८ अजि
'सट्रि स्त्री [पष्टि] संख्या विशेष, साठ
। १३६; कुमा)। १०)1 त्तीस स्त्रीन [°त्रिंशत् ] संख्या
और छः (कम्म २, १८)। स्सार स्त्री छंटा स्त्री [दे] देखो छंट (पान)। विशेष, छत्तीस, ३६ (कप्प)। तीसइम
[सप्तति] छिहत्तर (कम्म २, १७)। छंटिअवि [सिक्त] सींचा हुआ (सुपा १३८)।वि [ त्रिंशत्तम] छत्तीसवाँ (पउम ३६,
हा देखो °द्धा (कम्म १५; ८)। ४३ पएण ३६)॥ दस त्रि. ब [षोडशन्]
छंड देखो छड्डु = मुच् । छंडइ (पारा ३२ षोडश, सोलह । इसहा प्र [षोडशधा] छइ देखो छवि = छवि (वा १२)।
भवि)। सोलह प्रकार का (वव ४)। दिसि न | छइअ वि स्थगित] आवृत्त, पाच्छादित, छडिअ वि [दे] छन्न, गुप्त (षड् )। [°दिश] छः दिशाएँ-पूर्व, पश्चिम, तिरोहित (हे २, १७ षड् )।
छंडिअ वि [मुक्त] परित्यक्त, छोड़ा हुमा उत्तर, दक्षिण, ऊध्वं और अधोदिशा (भग) छइल विदे] विदग्ध, चतुर, होशियार
द्धा [धा] छः प्रकार का (कम्म १, छइल्ल (पिंग दे ३, २४, गा ७२०० वजा छंद सक [छन्द्] १ चाहना, बान्छना। २ ३८)। नवइ, नुवइ नउइ देखो। पामः कुमा) ।
अनुज्ञा देना, संमति देना। ३ निमन्त्रण "पणउइ (कम्म ३, ४, १२; सम ७०) छउअ वि [A] तनु, कृश, पतला (दे ३, २५)। देना । कवक
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