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चुक-चुल्ल पाइअसद्दमण्णवो
३२६ चुक्क वि [भ्रष्ट] १ चूका हुमा, भूला हुमा, अप्रीति । ५ व्यतिकर, सम्बन्ध । ६ वि. अल्प, | चुन्नण न [चूर्णन] चूर-चूर करना (रवा विस्मृत; 'चुक्कसकेमा', 'चुक्कविणपम्मि' थोड़ा । ७ मुक्त, त्यक्तः । ८ प्राघात, सूंघा (गा ३१८, १९५) । भ्रष्ट, वञ्चित, रहित | हुआ (दे ३, २२)।
चुन्नि देखो चुण्णि (विचार ३५२; चंड)। 'दसणमेत्तपसरणे चुक्का सि सुहाण बहुप्राणं चुणिअ वि [दे] विधारित, धारण किया चुन्निअ देखो चुण्णिअ (पएह २, ४)। (गा ४६५; चउ ३६; सुपा ८७)। ३ अन- हुमा (दे ३. १५)।
चुनिआ देखो चुण्णिआ (भास ७)।वहित, बे-ख्याल (से १, ६)
चुण्ण सक [चूर्णय ] चूरना, टुकड़ा-टुकड़ा चुप्प वि [दे] सस्नेह, स्निग्ध (दे ३, १५) ।। चुक्क पुं[दे] मुष्टि, मुट्ठी (दे ३, १४)। करना । संकृ. चुण्णिय (राज)। चुप्पल पुं[दे] शेखर, अवतंस (दे ३, १६)। चुक्कार पुं[दे] पावाज, शब्द (से १३, चुण्ण पुन [चूर्ण ] १ चूर्ण, पूर, बुकनी, चुप्पलिअ न [दे] नया रंगा हुआ कपड़ा २५)।
बारीक खण्ड (बृह १ हे १, ८४ प्राचा)। । (दे ३, १७)। चुक्कुड ( [दे] छाग, बकरा, अज (दे
२ पाटा, पिसान (पाचा २,२,१)। ३ घूली, चुप्पालय पुंदे] झरोखा, गवाक्ष, वातायन,
रज, रेण (दे ३,१७)। ४ गन्ध द्रव्य का रज, | जंगला (दे ३.१७)। चुक्ख [दे] देखो चोक्ख (सूक्त ४६)। बुकनी (भग ३, ७)। ५ चूना (हे १, ८४० चुरिम न [दे] खाद्य-विशेष (पव ४)।चुचुग । न [चूचुक] स्तन का अग्र भाग, विपा १, २)। ६ वशीकरणादि के लिए चुलचुल प्रक [चुलचुलाय् ] उत्कण्ठित चुच्चुय थन का वृन्त, चूची (पराह १, ४, किया जाता द्रव्य-मिलान (णाया १, १४)। होना, उत्सुक होना। वकृ. चुलचुलंत (गा राय)।
'कोसय न [कोशक भक्ष्य-विशेष (पएह ४८१)। चुचूय पुंन [चुचूक] स्तन का अग्र भाग, | २,५)।।
चुलणी स्त्री [चुलनी] १ दुपद राजा की स्तनों की गोलाई, चूची (राय ६४)।- चुण्ण न [चौर्ण] पद-विशेष, गम्भीरार्थक पद, स्त्री (णाया १, १६, उप ६४८ टी)। चुच्छ वि [तुच्छ] १ अल्प, थोड़ा, हलका। महार्थक शब्द (दसनि २)।
२ ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती की माता (महा)1°पिय २ हीन, जघन्य, नगण्य (हे १, २०४० चुण्णइअ वि [दे] चूर्णाहत, चूरन से पाहत; g["पितृ] भगवान् महावीर का एक मुख्य षड्)
जिस प्रकार चूर्ण फेंका गया हो वह (दे ३, उपासक (उवा)। चुज न [दे] माश्चर्य (द ३, १४, सठ्ठि । १७; पात्र)।
चुलसी स्त्री [चतुरशीति] चौरासी; अस्सी चुण्णा पुं [चूर्णक] वृक्ष-विशेष (प्राचा २, | और चार, ८४ (महा: जी ४७); 'चुलसीए चुडण न [दे] जीर्णता, सड़ जाना (ोध | १०, २३)।
नागकुमारावाससयसहस्सेसु' (भग)। ३४६)।
चूण्णा स्त्री चूिर्णा] छन्द-विशेष, वृत्त-विशेष चलसीड देखो चलसी (पउम २०. १० चुलिअ न [दे] गुरु-वन्दन का एक दोष, (पिंग)।
जं २)। चुण्णाआ स्त्री [दे] कला, विज्ञान (दे ३, चुलिआला स्त्री [चुलियाला] छन्द विशेष वन्दन करना (गुभा २५)।
(पिंग)। चुडली [दे] देखो चुडुली (पव २)। । चुण्णासी स्त्री [दे] दासी, नौकरानी (दे ३, चुलुअ पुंन [चुलुक] चुल्लू, पसर, एक हाथ चुडिली देखो चुडुली (तंदु ४६)।
का संपुटाकार (दे ३, १८; सुपा २१६ चुण्णि स्त्री [चूर्णि] ग्रन्थ की टीका-विशेष चुडप्प न [दे] १ खाल उतारना (दे ३, ३)।
प्रासू ५७)।(निचू)। २ घाव, क्षत (गउड)। ३ चमड़ी, त्वचा
चुलुक्क देखो चालुक्क (द १, ८४ टी) ।" चुण्णिअ वि [चूर्णित] १ चूर-चूर किया हुआ (पास)।
चुलुचुल प्रक [स्पन्द् ] फड़कना, फरकना, (पान) । २ धूली से व्याप्त (दे ३, १७)। चुडुप्पा स्त्री [दे] त्वचा, चमड़ी, खाल (दे
थोड़ा हिलना । चुलुबुलइ (हे ४, १२७)। चुण्णिआ स्त्री [चूर्णिका] भेद-विशेष, एक
चुलुचुलिअ वि [स्पन्दित] १ फरका हुमा, तरह का पृथग्भाव, जैसे पिसान का अवयव चुडुली स्त्री [दे] उल्का, अलात, जलती हुई
कुछ हिला हुआ। २ न. स्फुरण, स्पन्दन लकड़ी, उल्मुक (दे ३, १५, पामः सुर १३, अलग-अलग होता है (परण ११)।
(पास)। १५६ स २४२)।
चण्णिय वि [चूर्णिक] गणित-प्रसिद्ध सर्वा-चुलुप्प पुं[दे] छाग, प्रज, बकरा (दे ३, चुण सक [चि] चुनन, चुगना, पक्षियों का | बशिष्ट अंश (सुज्ज १०, २२–पत्र १८५; १६)। खाना। चुरणइ (हे ४, २३८); 'कानो लिंबो| १२-पत्र २१९)
| चुल्ल ( [दे] १ शिशु, बालक । २ दास, हलि चुराई' (सूक्त ८६)।
चुदस देखो चउ-हस (सुर ८, ११८)। नौकर (दे ३, २२)। ३ वि. छोटा, लघु चुणअ [दे] १ चाण्डाल । २ बाल, बच्चा। चुन्न देखो चुण्ण (कुमाः ठा ३, ४ प्रासू (ठा २, ३)1 ताय पुं[तात पिता का ३ छन्द, इच्छा । ४ प्रचि, भोजन की। १० भाव २; पभा ३१)।
| छोटा भाई, चाचा (पि ३२५)। "पिउ पुं
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