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चिंच ) सक [ मण्ड ] विभूषित करना, चिंचअ ) प्रलंकृत करना । चित्र, चिचग्र (हे ४, ११५; षड् ) ।
चिंच अवि [मण्डित] शोभित, विभूषित, अलंकृत (पउम १५, १३; सुपा ८८ महा पायः प्रापः कुमा) । चिंच अवि [] चलित, चला हुआ (दे ३, १३) । चिंचणिआ चिंचणिगा चिंचणी
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चिआ स्त्री [ त्विष् ] कान्ति, तेज, प्रभा ( षड् ) 1
चिआ देखो चिया (सुपा २४१; महा) । चिइ स्त्री [चिति] १ उपचय, पुष्टि, वृद्धि चिंचिअ वि [मण्डित ] भूषित, श्रलंकृत ( पव २) २ इकट्ठा करना ( उत्त ६) । ३ बुद्धि, मेघा (पान) । ४ भीत वगैरह बनाना । ५ चिता ( परह १, १ -पत्र ८ ) । न] [कर्मन् ] वन्दन, प्रणाम विशेष (प्राव ३) ।
(कुमा) । चिंचिणिआ चिंचिणिचिंचा चिंचिणी
कम्म
चिह्न देखो चेइअ (उप ५६७; चैत्य १२; पंचा १) ।
चिंचिल्ल सक [मण्डय् ] विभूषित करना, अलंकृत करना | चिचिल्लइ (हे ४, ११५ षड् ) । चिचिल्लिअ वि [मण्डित ] विभूषित, अलंकृत, सँवारा हुआ ( पान कुमा) ।
चिइगा देखा चिrगा (जं १ ) । चिइच्छ तक [चिकित्स् ] १ दवा करना, इलाज करना । २ शंका करना, संशय करना । चिइच्छइ (हे २, २१४, २४० ) । चिइच्छवि [चिकित्सक ] १ दवा करनेवाला, इलाज करनेवाला । २ पुं. वैद्य (मा ३३) ।
चिइय देखो चिंतियः 'जेण एस सुचरियतवोवि सुचिजिरणदव गोवि' (महा) । चिउर पुं [चिकुर ] १ केश, बाल (गा १८८) । २ पीत रंग का गन्धद्रव्य - विशेष (परग १७- पत्र ५२८३ राय ) ।
[दे] देखो चिंचिणी (कुमा सुपा १२; ५८३) ।
चिंचणी स्त्री [दे] घरट्टिका, अन्न पीसने की चक्की (दे ३, १० ) । - चिंचा स्त्री [चना] १ तृण की बनाई हुई चटाई वगैरह । पुरिस पुं [पुरुष] तृण का मनुष्य, जो पशु, पक्षी श्रादि को डराने के लिए खेतों में गाड़ा जाता है (सुपा १२४) ।
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पाइअसद्दमहण्णवो
चिंचा स्त्री [दे. चिवा] इमली का पेड़ (दे ३, १०० पात्र; विपा १, ६; सुपा १२४३ ५८२५८३) ।
चिआ - चिकुर
चिंता स्त्री [चिन्ता ] १ विचार, पर्यालोचन ( पान; कुमा) । २ अफसोस, शोक, दिलगीरी (सुर २, १६१० सूत्र २. १३ प्रासू ६१ ) । ३ ध्यान (श्राव ४ ) । ४ स्मृति, स्मरण (दि) । ५ इष्ट-प्राप्ति का संदेह (कुमा) । रवि [" तुर] शोक से व्याकुल (सुर ६, ११) । दिवि [दृष्ट] विचार- पूर्वक देखा हुमा (पान) । मइअ वि [मय ] चिन्ता युक्तः 'सम चितामइथं काऊ पिनं' (गा १३३) । मणि पुं [मणि] १ मनो
छत को देनेवाला रत्न-विशेष, दिव्य मरिण (महा) । २ वीतशोक नगरी का एक राजा (पउम २०, १४२) । वर वि [पर] चिन्ता-मग्न (पउम १०, १३) । चिंतायग) वि [चिन्तक ] चिन्ता करनेवाला चिंतावग ) ( आवम ) । स्त्री. 'गा (सुपा २१) ।
चिंतिय वि [चिन्तित ] १ विचारित, पर्यालोचित (महा) । २ याद किया हुआ, स्मृत ( छाया १, १; षड् ) । ३ जिसको चिता उत्पन्न हुई हो वह ( जीव ३ श्रौप ) । ४ न. स्मरण, स्मृति (भग ६, ३३३ औप ) । चिंतिर वि [चिन्तयितृ ] चिन्ताशील, चिन्ता करनेवाला (श्रा २७ सरण) । चिंध न [चिह्न] १ चिह्न, लाञ्छन, निशानी ( हे २, ५०: प्राप्र णाया १, १६ ) । २ ध्वजा, पताका (पान) । पट्ट पुं [पट्ट] निशानी रूप वस्त्र- खण्ड (गाया १, १ ) । रिस [पुरुष] १ दाढ़ी-मूँछ वगैरह पुरुष की निशानी वाला नपुंसक, हिजड़ा । २ पुरुष का वेष धारण करनेवाली स्त्री वगैरह (ठा ३, १) । चिंतणा स्त्री [चिन्तना] ऊपर देखो (उप चिंधाल वि [चिह्नवत् ] चियुक्त, निशानी१८६ टी) । वाला (पउम १०६, ७ ) ।
चिंतग वि [[चिन्तक ] चिन्ता करनेवाला, विचारक (उप पृ ३३३; ३३६ टी) । चिंतण न [ चिन्तन ] १ विचार, पर्यालोचन (महा) । २ स्मरण, स्मृति (उत्त ३२ महा) 1
चिंतणिया स्त्री [चिन्तनिका ] याद करना, चिन्तन करना (ठा ५, ३) ।
चिंधाल वि[दे] १ रम्य, सुन्दर, मनोहर । २ मुख्य, प्रधान, प्रवर (दे ३,२२) । चिंतयवि [चिन्तक ] चिन्ता करनेवाला ( स चिंधिय वि [चिह्नित] चिह्न युक्त (पि २६७) । ५६५; निर १, १ ) । चिल्ली [] ी का पहनने का वस्त्रविशेष, लहँगा (दे ३, १३) । चिकिच्छ देखो चिइच्छ । चिकिच्छामि (स ४८५) । कृ. चिकिच्छि अव्व ( श्रभि १९७ ) । चिकुर देखो चिउर (पि ५०६) ।
[] इमली का पेड़ (श्रोध २६; दे ३, १०; सुपा ५८४३ पान ) ।
चिंत सक [ चिन्तय् ] १ चिन्ता करना,
विचार करना । २ याद करना। ३ ध्यान करना । ४ फीकिर करना, अफसोस करना । चितेइ, चितेमि (उवः कुमा) । वकु. चिंतंत, चिंतेंत, चिंतित, चिंतयंत, चिंतयमाण, चिंतेमाण (कुमा; उव; पउम १०, ४ अभि ५७; हे ४,३२२,३१०, सुर ४, २३) । कवकृ. चिंतिज्जंत (गा ६५१ ) । संकृ. चिंतिउं, चिंतिऊण ( महागा ३५८ ) । कृ. चिंतणीय, चिंतियन्त्र, चिंतेयव्व (उप ७३२ पंचा २: पउम ३१, ७७ सुपा ४४५) । - चिंत वि [चिन्त्य ] चिन्तनीय, विचारणीय,
विचार-योग्य (उप ६८५ ) ।
चिंतव देखो चिंत= चितय् । चितवइ (कुमा भवि) । चिंतविय वि [चिन्तित ] जिसकी चिंता की गई हो वह (भवि ) ।
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