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उव्वाह-उब्वेल्ल पाइअसहमहण्णवो
१८५ किया हुआ (सुपा ५४२) । ३ दूर किया | उब्वियणिज वि [उद्वेजनीय] उद्वेग-प्रद | उन्वीलय वि [अपव्रीडक] लज्जा-रहित हुआ (गा १०६)। (पउम १६, ३६, सुपा ५६७) ।
करनेवाला, शिष्य को प्रायश्चित्त लेने में उव्याह पुं[दे] धर्म, ताप (दे १, ८७)। उबिरेयग न [उद्विरेचन] खाली करना, शरम को दूर करने का उपदेश देनेवाला उव्वाह { [उद्वाह] विवाह (मै २१)। ‘एवं च भरिउविरेयणं कुब्वंतस्स' (काल) । (गुरु) (भग २५, ७; द्र ४६) । उवाह सक [ उद् + बाधय] विशेष उबिल्ल अक [उद् + वेल्] १ चलना, उव्वुज्झमाण देखो उठवह ।। प्रकार से पीड़ित करना। कवकृ. उवाहि- कोपना । २ सक. वेष्टन करना । वकृ. उब्धि- | उच्चुण्ण वि[दे] १ उद्विग्न । २ उसिक्त। जमाण (पाचा पाया १,२) ।
ल्लंत, उव्विल्लमाण (सुपा ८८; उप उम्बुन्न । ३ शून्य (दे १, १२३) । ४ उद्भट, उव्वाहिअ वि [दे] उत्क्षिप्त, फेंका हुआ | पृ७७)।
उल्बण (दे १, १२३; सुर ३, २०५) । उव्विल्ल अक [प्र+स्] फैलना, पसरना। उव्यूढ वि [उद्व्यूढ] १ धारण किया हुमा, उव्याहुल न [दे] १ उत्सुकता, उत्कएठा | उब्विल्लइ (भवि)
पहना हुआ (कुमा)। २ ऊँचा लिया हुआ, (भविः दे १,१३६) । २ वि. द्वेष्य, | उबिल्ल का उद+वेल 1Area ऊपर धारण किया हुआ (से ५, ५४, ६, अप्रीतिकर (दे १,१३६) 10
इधर-उधर चलना; 'उबिल्लइ सयपीए ११)। ३ परिणीत, कृत-विवाह (सुपा उव्याहुलिय वि [दे] उत्सुक, उत्कण्ठित | देवो आसन्नचवणुव्व' (धर्मवि ११२)10 (भवि)। उव्विल्ल वि [उद्वेल] चञ्चल, चपल (सुपा | उव्वअणाअवि उद्वजनाय उद्ध
| उव्वेअणोअ वि [उद्वेजनीय उद्वेग-कारक उव्विआइअ वि [उद्वेदित] उत्पीडित (से | ३४)
(नाट) १३, २६)।
उबिल्लिर वि उद्वेलितृ 1 चलनेवाला, | उव्वेग पुं [उद्वेग] १ शोक, दिलगीरी (ठा उव्विक्क न [दे] प्रलपित, प्रलाप (षड् )। हिलनेवाला (सुपा ८८)।
३, ३) । २ व्याकुलता (भग ३, ६) । उव्विग्ग वि [उद्विग्न] १ खिन्न । २ भीत, | उव्विर अक [उद् + विज् ] उद्वेग करना,
उव्वेढ सक [उद् + वेष्ट्] १ बाँधना । २ घबड़ाया हुआ ( हे २, ७६)। खिन्न होना । उव्विलइ (षड्) 10
पृथक् करना, बन्धन-मुक्त करना। उव्वेढइ उव्विग्गिर वि [उद्वेगशील] उद्वेग करने. उव्विव्य) देखो उब्धिय । उब्धिव्वइ, उब्वे- (षड् ), उव्धेडिज (प्राचा २, ३, २, २)। वाला (वाका ३८)।
उव्वेअ अइ (प्राकृ ६८)IV | उव्वेढण न [उद्वेष्टन] १ बन्धन । २ वि. उबिज्ज देखो उब्विय । उविजइ (प्राकृ६८), उव्विव्व वि [दे] १ ऋद्ध, क्रोध-युक्त (षड्)। बन्धन-रहित किया हुआ (राज) उव्विजति (वै ८६)। संकृ उविजिऊरण २ उद्भट वेष वाला (पान)।
| उव्वेढिअवि [उद्वेष्टित] १ बन्धन रहित (धर्मवि ११६) IV
उव्विह सक [उत् + व्यध्] १ ऊँचा | किया हुया । २ परवेष्टित (दे ४, ४६) उव्विड वि [दे] १ चकित, भीत । २ क्लान्त, फेंकना । २ ऊँचा जाना, उड़नाः 'से जहाणा- उव्वेत्ताल न [दे] अविच्छिन्न चिल्लाना, क्लेश-युक्त (षड्)
मए केइ पुरिसे उसु उव्विहइ' (पि १२६)। निरन्तर रोदन (दे १, १०१)। उव्यिडिम वि[दे] १ अधिक प्रमाण वाला।
वकृ. 'माणसावि उम्विहंताई अणेगाई प्रास- | उव्वेय देखो उव्वेग (कुमाः महा) IV २ मर्यादा-रहित, निर्लज्ज (दे १,१३४;
सयाई पासंति' (णाया १, १७ टी-पत्र उज्वेयग वि [उद्वेजक] उद्वेग-कारक (रयण चउ० पत्र २६७-३५६ पद्य)|V
२३१)। वकृ. उव्विहमाण (भग १६)। ४०)। उविण्ण देखो उव्विग्ग (पि २१६)।
संकृ. उबिहित्ता (पि १२६) IV | | उव्वेयणग। बि [उद्वेजनक] उद्वेग-जनक उव्विद्ध वि [उद्विद्ध] १ ऊँचा गया हुआ,
उब्विह पुं [उद्विह ] स्वनाम-स्यात एक | उब्वेयणय ) (प्राउ परह १, १) उच्छूित (पएह १, ४)। २ गम्भीर, गहरा |
उव्वेयणय पुन [उद्वेजनक] एक नरक-स्थान आजीविक मत का उपासक (भग ८, ५)।
(देवेन्द्र २८) उव्वी पुं[उर्वी] पृथिवी (से २, ३०)। स (सम ४४; णाया १, १)। ३ विद्ध; 'कीलय-
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उव्वेल अक [प्र+सू] फैलना। उन्बेलइ सएहिं धरणियले उब्बिद्धो' (संथा ८७) | पुं[श] राजा (कुमा)।
(षड्)। उव्विद्ध वि [उद्विद्ध] जिसकी ऊँचाई का उब्बीढ देखो उब्बूढ (कुमा; हे १, १२०) ।
उव्वेल वि [उद्वेल] उच्छलित (से २, माप किया गया हो वह (पव १५८)। उव्वीढ वि [दे] उत्खात, खोदा हुप्रा (दे १, ३०) उव्विन्न देखो उव्विग्ग (हे २, ७६; सुर ४,
उज्वेलिअ वि [उद्वेलित] फैला हुआ, २४८) | उव्वोढ वि [उद्विद्ध] उत्क्षिप्त, 'तस्स उसुस्स
प्रसृत (माल १४२) उव्विय अक [उद् + विज् ] उद्वेग करना, उव्वीढस्स समाणस (पि १२६)। उज्वेल्ल देखो उठवेढ। उव्वेल्लइ (हे ४, उदासीन होना, खिन्न होना; 'को उविएज्ज उव्वील सक [अव + पीडय] पीड़ा २२३) । कर्म. उव्वेल्लिज्जइ (कुमा)। नरवर ! मरणस्स अवस्स गंतव्वे' (स १२६)। पहुँचाना, मार-पीट करना। वकृ. उव्वीले- उव्वेल्ल सक [उद् + वेल्ल ] १ सत्वर वकृ. उब्वियमाण (स १३६) माण (राज)
जाना । २ त्याग करना । ऊँचा उड़ना, ऊँचा २४
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