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उअ-उईर पाइअसहमहण्णवो
१३७ उअ वि [उदन्न्] उत्तर, उत्तर दिशा में । उअवाब देतो उक्ट्ठाण (नाट)
उआलंभ देखो उवालंभ = पा+लभ् । कृ. स्थित। महिहर महिधर हिमाचल- उअस्थिअ देखो उवद्रिय (से ११,७८) सआलंभणिज (नाट)। पर्वत (गउड)।-- उअदिट्ट देखो उवइट (नाट)।
उआलंभ देखो उवालंभ = उपालम्भ (गा उअअ न [उदक] पानी, जल (गा ५३; से | अभुत्त देखो उवभुत्त (रंभा) ६, ८८)।
उअभोग देखो उवभोग (नाट)। उआलभ देखो उआलंभ = उपा + लभ् । उअअ देखो उदय (से १०, ३१)। उअमिजत वकृ [उपमीयमान] जिसकी | उमालभेमि (त्रि ८२)। उअअन [उदर] पेट, उदर (से ६, ८८)।- | तुलना की जाती हो वह (काप्र ८६६)। उआलि स्त्री [दे] अवतंस, शिरोभूषण (दे १, उअअ वि [दे] ऋजु, सरल, सीधा (दे १, उअर न [उदर] पेट (कुमा)।
६०) ८८)।
उ देखो वाहन उआस वि [उदास नीचे देखो (पिंग)। उअअद (शौ) देखो उवगय (नाट)। उअरि ७५)
उआस देखो उवास = उपा + प्रास् । कवकृ. उअआरअ वि [उपकारक] उपकार करने- | उअरी स्त्री [दे] शाकिनी, देवी-विशेष (दे १,
उमासिजमारण (हास्य १४०) वाला (गा ५०)।
उआसीण वि [उदासीन] १ उदासी, दिलउअआर वि [उपकारिन्] ऊपर देखो (विक | उअ देखो उखम । उपाटि गोर । २ मध्यस्थ, तटस्थ (स ५४६; नाट)। २५)।(नाट)।
उआहरण देखो उदाहरण (मन ३) । उअइव्व वि[उपजीव्य पाश्रय करने योग्य,
उइ सक [उप+इ] समीप जाना। उएइ, सेवा करने योग्य (से ६, ६)।
। देखो उवरोह (प्राप; नाट)। उअरोह ।
उएउ (पि ४६३)। उअऊह सक [उप + गृह.] प्रालिंगन | उअद्ध देखो उवलद्ध (नाट)।
उइ अक [उद् + इ] उदित होना । उएइ करना । संक. उअऊहेऊण (पि ५८६)। उअविटुअ न [औपविष्टक] प्रासन (प्राक | (रंभा)। वकृ. उइयंत (रंभा)। उअएस देखो उवएस (गा १०१)। । १०)
उइ देखो उउ; 'मन्नोवि हुँतु उइमो सरिसा परं उअंचण न [उदञ्चन] १ ऊँचा फेंकना । २ | उअविय वि [दे] उच्छिष्ट, 'इहरा भे णिसि. | ते (रंभा)। 'राय पुं[ राज] वसन्त ऋतु ढकने का पात्र, पाच्छादक पात्र (दे ४,११)। भत्तं उपवियं चेव गुरुमादी' (बृह १) (रंभा)। अंचिद् (शौ) वि [उदश्चित] १ ऊँचा | उअसप्प देखो उक्सप्प। उपसप्प (रुक्मि ५१)/ उइअ वि [उदित] १ उदय प्राप्त , उद्गत उठाया हुप्रा, ऊँचा फेंका हुमा (नाट)। उअसम । देखो उवसमं उप + शम् । (सुपा १२७) । २ उक्त, कथित (विसे २३३;
उअसम्म ) उपसमइ, उवसम्मइ (प्राकृ ६६)| ८४६) । परक्कम पुं [पराक्रम] इक्षाकुउअंत पुं[उदन्त] हकीकत, वृत्तान्त, समाचार
उअह प्र[दे] देखो, देखिए (दे १, ९८ | वंश के एक राजा का नाम (प उम ५, ६)। (पानः प्रामा)।
प्राप्र)।
| उइअ वि [उचित] योग्य, लायक (से ८, उअकिद (शौ) वि [उपकृत] जिसपर उपकार
उअहस देखो उवहस । उग्रहसइ (प्राकृ ३४)। १०३)।। किया गया हो वह (पि १४)। उअहार देखो उवहार (नाट)।
उइंतण न [दे] उत्तरीय वन, चादर (द १, उअकि विदे] पुरस्कृत, मागे किया हुमा | उअहारी स्त्री [दे] दोग्ध्री, दोहनेवाली स्त्री १०३कुमा)। (द १, १०७)
| उइंद [उपेन्द्र] इन्द्र का छोटा भाई, विष्णु उअगअ देखो उवगय (गा ६४४)।
उअहि पुं[उदधि] १ समुद्र, सागर (गउड)। का वामन अवतार, जो अदिति के गर्भ से हुआ उअचित्त वि [दे] अपगत, निवृत्त (दे १,
२ स्वनाम-क्यात एक विद्याधर राजकुमार १०८)
(पउम ५, १६६)। ३ काल परिमाण, साग- | उइट्ठ वि [अपकृष्ट] हीन, संकुचित; पाउसियउअजीवि वि [उपजीविन] माश्रित (अभि
रोपम (सुर २, १३६)। ४ स्वनाम ख्यात | अक्खचम्मउइट्ठगंडदेस (णाया १,८)।
एक जैन मुनि (पउम २०, ११७)। देखो उइण्ण देखो उदिण्ण (ठा ५, विसे ५०३)।उअज्झाअ देखो उवज्झाय (नाट)।
उदहि।
उइण्ण वि [उदीच्य] उत्तर दिशा-सम्बन्धी, उअट्टी स्त्री [दे] नीवी, स्त्री के कटि-वन की | उअहि देखो उवहि = उपधि (पचर)। उत्तर दिशा में उत्पन्न (प्रावम)। नाडी; 'उमट्टी उचो नीवी' (पाय)। उअहुजंत देखो उवभुंज।।
उइन्न देखो ओइण्ण (सम्मत्त ७७)। उअहिअ देखो उवट्ठिय (प्राप)। उअहोअ देखो उवभोग (प्रबो ३०; नाट)। | उइयंत देखो उइ = उद् + इ । उअणि उआअ देखो उवाय (नाट)।
उईण देखो उदीण (राय)।देखो उवणीय (प्राकृ ६)। उअणीअ.
उआअण देखो उवायण (माल ४६) उईर देखो उदीर 'उईरेइ मइपीड' (श्रा उअण्णास देखो उवण्णास (नाट)। उआर देखो उराल (सुपा ६०७; कप्पू)। २७)। वकृ. उईरंत (पुष्फ १३) । संकृ. उअत्तंत देखो उव्वट्ट = उद् + वृत् । उआर देखो उवयार (षड्, गउड)। उईरइत्ता (सूम १, ६)।
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