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इसिणय-ईसर पाइअसहमहण्णवो
१३५ इसिणय वि [इसिनक] इसिन नामक अनार्य | इस्सास पुं[इष्वास] १ धनुष, कामुक, शरा- संबन्धी (कप्पा सुपा ४०८ परह १, ३, स
देश में उत्पन्न (णाया १,१७ इक)। सन । २ बाण-क्षेपक, तीरंदाज (प्रारू)। ४८१); 'इहलोयपारलोइयसुहाई सव्वाई तेण इसिया स्त्री [इषिका] सलाई, शलाका (सुप्र इह पुं[इभ] हाथी, हस्ती (प्रारू)। दिन्नाई' (स १५५)। इह अ.[इदानीम् ] इस समय, अधुना (प्राकृ
ऊपर देखो (षड् ; पउम २१, ७)। इसु पुं [इष] बाण (पाप)।
८०)। इस्स वि [एष्यत् ] १ भविष्य काल, 'जुत्तं इह अ [इह] यहाँ, इस जगह (प्राचाः स्वप्न |
इइई अ[इदानीम् ] हाल, संप्रति, इस समय संपयमिस्स' (विसे)। २ होनेवाला, भावीः | २२)। पारलोइय वि [ऐहिकपारलौकिक]
(पान)। 'संभरइ भूय मिस्स' (विसे ५०८) । इस और परलोक से सम्बन्ध रखनेवाला (स।
देखो इह = इह (प्रौपः श्रा १४)। इस्सर देखो ईसर (प्रार; पि ८७ ठा २, ३)। १५६)। भविय वि [ऐहभविक इस इहरहा। देखो इयर-हा (उप८६०; भत्त ३६; इस्सरिय देखो ईसरिय (पउम ५, २७०० सम जन्म संबन्धी (भग)। "लोअ, लोग । इहरा । हे २, २१२)। १३ प्रासू ७५)।
[लोक] वर्तमान जन्म, मनुष्य-लोक (ठा ३; इहरा देखो इहई = इदानीम् (गउड) । इस्सा स्त्री [ईर्ष्या] द्रोह, असूया (उत्त ३४, प्रासू ७५; १५३), लोय, लोइय वि [ऐह- इहामिय देखो ईहामिय (पि ५४) ।
लौकिक] इस जन्म-संबन्धी, वर्तमान जन्म• इहिं अ [इह] यहाँ (रंभा) ।
॥ इन सिरिपाइअसहमहण्णवे इसाराइसद्द संकलको
णाम तइयो तरंगो समत्तो।।
ईस पुं[दे] रोझ, हरिण की एक जाति
ई [ई] प्राकृत वर्णमाला का चतुर्थ वर्ण, ईदिस देखो ईइस (स १४०; अभि १८२
स्वर-विशेष (प्रामा)। ईअ स [एतत् , इदम् ] यह (पि ४२६; ईर सक [ईर् ] १ प्रेरणा करना । २ कहना। ४२६)
३ गमन करना। ४ फेंकना। ईरेइ (विसे ईअ अ [इति] इस तरह, 'ईय मणोविस ईणं' १०६०); कृ. 'ठाणगमणगुणजोगजुंजण(विसे ५१४)।
जुगंतरनिवातियाए दिट्ठीए ईरियव्वं' (पएह ईइ पुंस्त्री [ईति] धान्य वगैरह को नुकसान २, १)। भूकृ. ईरिद (शौ) (अभि ३०) ।
पहुंचानेवाला चूहा आदि प्राणि-गरण (औप) ईरिय वि[ईरित प्रेरित (विसे ३१४४) । ईइस वि [ईदृश] ऐसा, इस तरह का, इसके ईरिया देखो इरिया (सम १०; मोघ ७४८; समान (महा: स १५) ।
सुर २, १०४)। ईजिह प्रक [धा] तृप्त होना । ईजिहइ (प्राकृ ईरिस देखो ईइस (कुमा; स्वप्न ५५) ।
ईस न [दे] खूटा, खोला, कोलक (दे १, ईड देखो कीड = कोट; 'दुईसरिणबईडसारिन्छे (गा ३०)।
| ईस सक [ई'] ईर्ष्या करना, द्वेष करना। ईडा स्त्री [ईडा] स्तुति (चेइय ८६८)। ईसाअंति (गा २४०)। ईण वि [ईन] प्रार्थी, अभिलाषी; 'प्राहाकडं | ईस पु [ईश देखो ईसर = ईश्वर (कुमाः
चेव निकाममीणे' (सूत्र १, १०, ८)TV पउम १०२, ५८)। २ न. ऐश्वर्य, प्रभुता "ईण देखो दीण (से ८, ६१)।
(पएण २)। ईति देखो ईह (सम ६०)।
ईस देखो ईसि (कप्पू)।
ईसत्थ न [इध्वस्त्रशास्त्र] धनुर्वेद, बाणविद्या (प्रौप; पण्ह १, ५); 'विन्नारगनाणकुसला ईसत्थकयस्समा वीरा' (पउम ६८, ४०; पि ११७)। ईसर पुंदे] मन्मथ, कामदेव (दे १, ८४)। ईसर पुं[ईश्वर] १ परमेश्वर, प्रभु (हे १, ८४)। २ महादेव, शिव (पउम १०६, १२)। ३ स्वामी, पति (कुमा)। ४ नायक, मुखिया (विपा १, १)। ५ देवताओं का एक प्रावास, बेलंधर देवों का आवास-विशेष (सम ७३)। ६ एक पाताल कलश (ठा ४, २) । ७ पाब्य, धनो (सुपा ४३६)। ८ ऐश्वर्य-शाली, वैभवी (जीव ३)। ६ युवराज । १० माण्डलिक, सामन्त-राजा। ११ मन्त्री (अणु )। १२ इन्द्र-विशेष, भूतवादि-निकाय का इन्द्र (ठा २, ३)। १३ पाताल-विशेष (ठा ४)। १४ एक राजा का नाम । १५ एक जैन मुनि (महानि ६)। १६ यक्ष-विशेष (पव २७)।"
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