________________
आदित्तु-आभिओगिय
पाइअसहमहण्णवो आदित्तु वि [आदात] ग्रहण करनेवाला | आपीण देखो आवीण (गउड)
'पभंकर न [ प्रभङ्कर] विमान-विशेष (सम (ठा ७)
आपुच्छ सक [आ +प्रच्छ ] प्राज्ञा लेना, आदिय सक [आ + दा] ग्रहण करना।
सम्मति लेना । मापुच्छइ (महा)। वकृ. आभक्खाण देखो अब्भक्खाण (उवा)V पादियइ (उवा)। प्रयो. आदियाति (सूम
आपुच्छत (पि ३६७)। कृ. आपुच्छणीय आभट्ट वि [आभाषित] १ कथित, उक्त २, १)।
(णाया १, १)। संकृ. आपुच्छित्ता, आपु- | (सुपा १५१) । २ संभाषित (सुर २,२४८) आदिल्ल 1 देखो आइल्ल (पि ५६५)।
च्छित्ताणं, आपुच्छिऊण, आपुच्छिउं, आभरण न [आभरण] अलंकार, प्राभूषण आदिल्लग)
आपुच्छिय (पि ५८२,५८३; कप्प; ठा | (पि ६०३)IV आदी स्त्री [आदी] इस नाम की एक महानदी
आभव्य वि [आभव्य होने योग्य, संभाव्य (ठा ५, ३)।
आपुच्छण न [आप्रच्छन] आज्ञा, अनुमति | आदीण वि [आदीन] १ अत्यंत दीन, बहुत (णाया १, ६)
आभा स्त्री [आभा] प्रभा, कान्ति, तेज (कुमा; गरीब (सूम १, ५)। २ न. दूषित भिक्षा । आपुट्ठ वि [आपृष्ट] जिसकी प्राज्ञा या सम्मति औप)। 'भोइ वि [भोजिन् दूषित भिक्षा को लेने- ली गई हो वह (सुर १०,५१)। आभागि वि [आभागिन् भोक्ता, भोगी; वाला, 'आदीणभोईवि करेति पावं' (सूम १, | आपुण्ण वि [आपूर्ण] पूर्ण, भरपूर (दे १, | 'प्रणेगाणं जम्ममरणाणं प्राभागी भवेज' (वसुः १०) २०) ।
णाया १, १८) आदीणिय वि [आदीनिक] अत्यन्त दीन
आभार पुं [आभार] बोझ, भार (सुपा संबन्धी, 'प्रादीरिणयं दुकड़ियं पुरत्या' (सूम पूरं"ससि' (कप्प) TV
२३६) आपूर देखो आऊर । कर्म, आपूरिजइ
आभास सक [आ + भाष्] कहना, संभाआदु (शौ) देखो अदु (त्रि १०) (महा)। वकृ. आपूरमाण, आपूरेमाण
षण करना । आभासइ (हे ४, ४४७) आदेज देखो आएज (पएह १, ४) (भगः राय)IV
आभास पुं[आभास] १ जो वास्तविक में आदेस देखो ओएसम्पादेश (कुमा; वव आपेड )
वह न होकर उसके समान लगता हो । २ २,८)IV
आपेडु देखो आपीड (पि १२२, महा)। विपरीत, 'करणाभासेहिं (कुमा)। आदेस पुं [आदेश] व्यपदेश, व्यवहार (सूम | आपेल्ल)
आभासिय पुं[आभाषिक] १ इस नाम का १, ८, ३)। देखो आएसम्पादेश (सूम
आप्पण न [] पिष्ट, पाटा (षड् )। एक म्लेच्छ देश । २ उसमें रहनेवाली म्लेच्छ २, १, ५६)।
आफंसपुं[आस्पर्श] अल्प स्पर्श (हे १,४४) जाति (पण्ह १, १)। ३ एक अन्तर्वीप । आधरिस सक [आ + धर्षय ] परास्त
आफर पुं[दे] द्यूत, जुआ (दे १, ६३) । ४ उसमें रहनेवाला, 'कहि णं भंते ! आभाकरना, तिरस्कारना । आधरिसहि (आवम)M
आफाल सक [आस्फालय ] प्रास्फालन सियमणुयाणं प्राभसियदीवे नाम दीवे' (जीव आधा देखो आहा (पिंड)।
करना, आघात करना । संकृ. आफालित्ता, ३; ठा ४, २)। आधार देखो आहार = आधार (पएह २,५)।
आफालिऊण (पि ५८२, ५८६)। आभासिय देखो आभद्र (निर)। आधोरण पुं [आधोरण] हस्तिपक, महावत,
आफालग देखो अप्फालण (गा ५४६) | आभिओइय देखो आभिओगिय (महा) । हाथीवान (धर्मवि १३६)
आफुण्ण वि [दे] आक्रान्त (अणु १९२) आभिओग पुं [आभियोग्य] १ किंकरआनय देखो आणय (मनु) IV
आफोडिअन [आस्फोटित] हाथ पछाड़ना | स्थानीय देव-विशेष (ठा ४, ४) । २ नौकर, आनामिय देखो आणामिय (पएह १, ४)। (पएह १, ३) ।
किंकर (राय)। ३ किंकरता, नौकरी (दस आपण देखो आवण (अभि १८८)
आबंध सक [आ + बन्ध् ] मजबूत बाँधना। | ६, २)TV आपण्ण देखो आवण्ण (अभि ६५)
वकृ. आबंधत (हे १,७)। संकृ. आब- | आभिओगा स्त्री आभियोग्यामाभियोगिक आपत्ति स्त्री [आपत्ति प्राप्ति (संबोध ३५, धिऊण (पि ५८६)IV
भावना (उत्त ३६, २५५) । पव १४६)।
आबंध ' [आबन्ध] संबन्ध, संयोग (गउड)। आभिओगि वि[ आभियोगिन् ] किंकरआपाइय वि [आपादित] १ जिसकी पापत्ति | आबद्ध वि [आबद्ध] बंधा हुआ (स ३५८)। | स्थानीय देव (दस ६)IV की गई हो वह । २ उत्पादित, जनित (विसे | आबाहा स्त्री [आबाधा] १ अल्प बाधा | आभिओगिय वि [आभियोगिक] १ मन्त्र १७४६)
(णाया १, ४)। २ अन्तर (सम १५)। ३ | आदि से आजीविका चलानेवाला (परण आपायण न [आपादन] संपादन (श्रावक | मानसिक पीड़ा (बृह)
२०)। २ नौकर स्थानीय देव-विशेष (णाया ८२; पंचा ६, १६)IV
आभंकर पुं [आभङ्कर] १ ग्रह-विशेष (ठा १,८)। ३ वशीकरण, दूसरे को वश में आपीड पुं[आपीड] शिरोभूषण (श्रा २८) २, ३)। २ न. विमान-विशेष (सम ८)। करने का मन्त्रादि-कर्म (पंचाः भहा)।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org