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अनिवाणु देखो आहम ।
अहिवण्ण-अहुलण पाइअसहमहण्णवो
88 अहिवण्ण वि [दे] पीला और लाल रंग | अहिसरिअ वि [अभिसृत] १ प्रिय के समीप | फलमसालपरिणामावलंबि वाला (दे १, ३३)। गत । २ प्रविष्ट (आवम)।
____ अहिहरइ चूयाण' (गउड)। अहिलक्षण न जिविसहन] सहन करना अहिहर न [दे] १ देदकुल, पुराना देवमन्दिर। अहिवन्नु (ठा ६)।
२ वल्मीक (दे १, ५७)। अहिवल्ली स्त्री [अहिवल्ली] नाग-वल्ली (सिरि अहिसाअ देखो अक्कम = आ + कम् । अहि- अहिहव सक [अभि + भू] पराभव करना, सापइ (प्राकृ ७३)।
जीतना। अहिहवंति (स १६८) कर्म. अहिह. अहिवस सक [अधि+ वस्] निवास अहिसाम वि [अभिशाम] काला, कृष्ण | वीयंति (स ६६८)। करना, रहना। वकृ. अहिवसंत (स २०८)। वर्ण वाला (गउड)।
अहिहाण न दे. अभिधान] वर्णन, प्रशंसा अहिवाइय वि [अभिवादित] अभिनन्दित | अहिसाय वि [दे] पूर्ण, पूरा (दे १, २०)।। (द १, २१)। (स ३१४)।
आहसारण न [अभिसारण] १ पानयन | अहिहाण देखो अभिहाण (स १६५ गउड:अहिवायण देखो अभिवायण (भवि)। | (से १०, ६२) । २ पति के लिए संकेत स्थान सुर ३, २५; पात्र)। अहिवाल वि [अधिपाल] पालक, रक्षक | पर जाना (गउड)।
अहिहू देखो अहिहव । कवकृ. अहिहूअमाण (भवि)। अहिसारिअ वि [अभिसारित पानीत (से
(अभि ३७)। अहिवास पुं[अधिवास बासना, संस्कार १, १३)।
अहिहूअ वि [अभिभूत पराभूत, परास्त (दे ७, ८७)।
| अहिसारिआ स्त्री [अभिसारिका] नायक (द १, १५८)। अहिवासण न [अधिवासन] संस्काराधान को मिलने के लिए संकेत स्थान पर जानेवाली अही सक [अधि + इ पढ़ना। कर्म. ग्रही(पंचा ८)। स्त्री (कुमा)।
यइ (विसे ३१६६)। अहिवासि वि [अधिवासिन्] निवासी | अहिसिअ न []१ अनिष्ट ग्रह की प्राशंका | अही स्त्री [अही] नागिन, सपिणी (जीव २)। (चेइय ६८७)।
से खेद करना—रोना (दे १, ३०)। २ वि. अहीकरण न [अधिकरण] कलह, झगड़ा अहिवासिअ वि [अधिवासित ] सजाया | | अनिष्ट ग्रह से भयभीत (षड्)।
(निचू १०)। हुया, तय्यार किया हुआ (दस ३, १ टी)। अहिसिंच देखो अभिसिंच । अहिसिंचह | अहोगा
| अहीगार देखो अहिगार, 'सेसेसु अहीगारो, अहिविण्णा स्त्री [दे] कृत-सापत्न्या स्त्री, उप- (महा)। संकृ.अहिसिंचिऊण (स ११६)।
उवगरणसरीरमुक्खेसु' (प्राचानि २५४)। पत्नी (द १, २५)।
| अहिसिंचण न [अभिषेचन] अभिषेक (सम अहीण वि [अधीन] पायत्त, अधीन (पग्रह अहिसंका स्त्री [अभिशङ्का ] भ्रम, संदेह १२५)।
२, ४)। (पउम ४२, २१)।
अहिसित्त देखो अभिसित्त (महा सुर ८, | अहीण वि [अ-हीन] अन्यून, पूर्ण (विपा १, अहिसंका स्त्री [अभिशङ्का भय, डर (सूत्र ११६)।
१. उवा)। १, १२, १७)।
अहिसेअ देखो अभिसेअ (सुपा ३७; नाट)। | अहीय देखो अहिय = अधिक (पव १९४)। अहिसंजमण न [अभिसंयमन] नियन्त्रण
अहिसोढ़ वि [अधिसोढ] सहन किया हुआ
| अहीय वि [अधीत] पठित, अभ्यस्त; 'वेया (गउड)। (उप १४७ टी)।
अहीया ए भवंति ताणं' (उत्त १५, १२, अहिसंधारण न [अभिसंधारण] अभिप्राय
णाया १; १४ सं ७८)। (पंचा ६, ३६)। अहिस्संग पुं[अभिष्वङ्ग] आसक्ति (नाट)।
अहीरग वि [अहीरक तन्तुरहित (फलादि) अहिसंधि पुत्री [अभिसंधि] अभिप्राय, अहिय वि [अभिहत] १ आघात-प्राप्त
(जी १२)। प्राशय (पण्ह १, २; स ४६३)। (से ५, ७७)। २ मारित, व्यापादित (से १४, |
अहीरु वि [अभीरु] निडर, निर्भीक (भवि)। १२)। अहिसंधि पुं[दे] बारंबार (दे १, ३२)।
| अहीलास देखो अहिलासः 'देहम्मि महिलासो
अहिहर सक [अभि + ह] १ लेना । २ अहिसकण पुंन [अभिष्वष्कण] संमुख
(तंदु ४१)। उठाना । ३ अक. शोभना, विराजना। ४ गमन (पव २)।
अहीसर पुं[अधीश्वर] परमेश्वर (प्रामा)। प्रतिभास होना, लगना; अहिसर सक [अभि + स] १ प्रवेश करना। 'बीयाभरणा अकयएणमंडणा
अहुआसेय वि [अहुताशेय] अग्नि के अयोग्य २ अपने दयित-प्रिय के पास जाना। प्रयो.,
अहिहरंति रमणीयो।
(गउड)। कर्म. अभिसारीअदि (शौ)(नाट)। हेकृ. अभिसुरणामो व कुसुमफलंतरम्मि
अहुणा अ [अधुना] प्रभी, इस समय, प्राजसारिदु (शौ) (नाट)।
सहयारवल्लीप्रो।
कल (ठा ३, ३; नाट)। अहिसरण न [अभिसरण] प्रिय के समीप | इह हि हलिद्दाहयदविडसा
अहुणि (पै) देखो अहुणा (प्राकृ १२७)। गमन (स ५३३)।
मलीगंडमंडलानीलं । । अहुलण वि [अमार्जक] अनाशक (कुमा)।
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