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अल्लल्ल-अवंग
पाइअसहमहण्णवो
सूरि का उपाध्याय-अवस्था का नाम (सुर अव प्र[अव निम्नलिखित अथों का सूचक | अवइ वि [अव्रतिन् ] व्रतशून्य, अविरत, १६, २३६)।
अव्यय-१ निम्नता, 'अव इएण'। २ पीछेपन; | असंयत (बृह १)। अल्लल्ल [२] मयूर, मोर (दे १,१३)। 'प्रवचुल्ली' । ३ तिरस्कार, अनादरः 'अव- अवइण्ण वि [अवतीर्ण] १ उतरा हुआ, नीचे अल्लविय अप] देखो आलत्त = पालपित गणतं । ४ खराबी, बुराई; 'अवगुण । ५ आया हुआ। २ जन्मा हुआ (कप्पू: परम ७६, (भवि)।
गमन । ६ अनुभव (राज)। ७ हानि, ह्रासः । २८)। अल्ला श्री [दे] माता, माँ (दे १,५)।
'प्रवक्कास' । ८ प्रभाव, 'अवलद्धि' । ६ मर्यादा अवइद (शौ) वि [अवचित एकत्रित, इकट्ठा अल्लि । देखो अल्ली। अल्लिइ ( षड्)।
(विसे ८२)। १० निरर्थक भी इसका प्रयोग किया हमा (अभि ११७)। अल्लिअल्लिग्रह (दे १,५८; हे ४,५४) । होता है: 'प्रवट्ठ, अवगल्लं'।
अवइद (शौ) वि [अपकृत] १ जिसका अहित वकृ. अल्लिअंत (से १२, ७१; पउम १२, अव सक [अ] १ रक्षण करना; 'अवंतु किया गया हो वह । २ न. अपकार, अहित
मुरिगणो य पयकमलं' (रयण ९)।२ जाना, (चारु ४०)। अल्लिअ सक [उप + मृप] समीप में गमन करना । ३ इच्छा करना। ४ जानना। | अवइन्न देखो अवइण्ण (सुर ३, १२२)। जाना। अल्लिाइ (हे ४,१३६)। वकृ. अल्टि- ५ प्रवेश करना । ६ सुनना। ७ मांगना, अव उज्ज सक[अवकुब्ज ] नीचे नमना। अंत (कुमा)। प्रयो. अल्लियावेइ (पि ४८२; याचना। ८ करना, बनाना । । चाहना। १० संकृ. अवउजिय (पाचा २, १, ७)।
प्राप्त करना। ११ आलिङ्गन । १२ मारना, अवउज्झ सक [अप + उज्झ] परित्याग अल्लिअ वि [आद्रित] गीला किया हुमा | हिंसा करना । १३ जलाना। १४ अक. प्रीति करना। छोड़ देना। संकृ. अवउज्झिऊण (गा ४४०)।
करना । १५ तृप्त होना । १६ प्रकाशना ।। (बृह ३)। अल्लियावण न [आलायन] पालीन करना, १७ बढ़ना । अव (था २३; विसे २०२०)। अवउज्भ देखो अवबह । लिष्ट करना, मिलान (भग ८, ६)। अव पुं[अव] शब्द, आवाज (श्रा २३)।।
अवउडग) देखो अवओडग (गाया १, २,
अवउडय अनु)। अल्लिल्ल ' [दे] भमरा ( षड् )। अवअक्ख सक [दृश् ] देखना । अवमक्खइ
अवउंठण न [अवगुण्ठन] १ ढकना। २ अल्लिव सक [ अर्पय ] अर्पण करना।। (हे ४, १८१: कुमा)।
मुंह ढकने का वस्त्र, बूंघट (चारु ७०)। अल्लिवइ (हे ४,३६; भवि; पि १९६:४८५)। अवअक्खिअ न [दे] निवापित मुख, मुंडाया
अबऊढ वि [अवगूढ] प्रालिंगित, 'संझावहूअल्ली सक[आ+ली] १ आना। २. हुमा मुंह (दे १,४०)।
"अवऊढो णववारिहरोव्व विज्जुलापडिभिन्नो' अल्लीअ प्रवेश करना। ३ जोड़ना। ४ अवअच्छ न [दे] कक्षा-वस्त्र (दे १,२६)। | (हे २, ६ स ४६६)। आश्रय करना। ५ आलिंगन करना। ६ प्रक.
अवअच्छ अक [हलाद् आनन्द पाना, खुश अवऊसण न [अपवसन] तपश्चर्या विशेष संगत होना । अल्लीपइ (हे ४, ५४)। भूका. होना । अवअच्छइ (हे ४, १२२)।
(पंचा १९)। अल्लीसी (प्रामा) हेकु. अल्लीउं (बृह ६)।
अवअच्छ सक [हलादय् ] खुश करना। | अवऊसण न [अपजोषण] ऊपर देखो (पंचा अल्लीण वि [आलीन] १ आश्लिष्ट । २ अवअच्छइ (हे ४, १२२)।
१६)। आगत । ३ प्रविष्ट। ४ संगत । ५ योजित ।
अवअच्छि [दे] देखो अवअक्खिअ (दे | अबऊहण न [अवगृहन] प्रालिङ्गन (गा ६ थोड़ा लोन (हे ४, ५४)। ७ प्राश्रित १, ४०)।
३३४७ ५५९ वजा ७४)। (कप्प)। ८ तल्लीन, तत्पर (वव १०)।
अवअच्छिअ वि [हलादित] १ हृष्ट, अवएड पू[अवएज] तापिका-हस्त, पात्रअल्लेस वि [अलेश्य लेश्यारहित (कम्म
पाहलाद प्राप्त । २ खुश किया हुआ, हर्षित | विशेष (णाया १, १ टी-पत्र ४३) । ४, ५०)। (कुमा)।
अवएस पुं [अपदेश] बहाना, छल (पाप)। अल्लोग देखो अलोग (द्रव्य १९) । अवअज्म सक [दृश] देखना। अवमझइ
अवओडग न [अबकोटक] गले को मरोड़ना, अल्हाद पुं [आह लाद] खुशी, प्रमोद, प्रानन्द
कृकाटिका को नीचे ले जाना (विपा १, २)। (प्राप्र)। अवअणिअ वि [दे] असंघटित, प्रसंयुक्त (दे
बंधण न [°बन्धन] १ हाथ और सिर को अव म [अप] इन अर्थों का सूचक अव्यय- १, ४३) ।
पृष्ठ भाग से बाँधना (पएह १, २)। २ वि. १ विपरीतता, उल्टापन; 'प्रवकय, अवंगुय'। अवअण्ण पुं[दे] ऊखल, गूगल (द १,२६)।।
रस्सी से गला और हाथ को मोड़कर पृष्ठ भाग २ वापसी, पीछेपन; 'अवकमई । ३ बुरापन, अवअत्त वि [अपवृत्त] स्खलित (से १०, के साथ जिसको बांधा जाय वह (विपा १, खराबपन; 'अवमग्ग, अवसद्द'। ४ न्यूनता, १८)। कमीः 'प्रवड्ढ' । ५ रहितपन, वियोगः 'प्रव- अवआस सक [दृश ] देखना । अवमासइ अवंग [अपाङ्ग] नेत्र का प्रान्त भाग (सुर बार । ६ बाहरपन; 'प्रवकमण। (हे ४,१८१ कुमा)।
३, १२४ ११,६१)।
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