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अणुहवण-अणोवाहणय
पाइअसहमहण्णवो हवणीय (पउम १७,१४; सुपा ५८१)। संकृ. अणेगंत पुं [अनेकान्त] अनिश्चय, नियम का अगोज वि [अनवद्य] निर्दोष, शुद्ध (णाया
अणुहवेऊण, अणुहविउं (प्रारू, पंचा २) अभाव (विसे) । वाय पुं[वाद] स्याद्वाद, अणुहवण न [अनुभवन] अनुभव (स २८७)। जैनों का मुख्य सिद्धान्त, सत्व-असत्व आदि अणोज्जंगी स्त्री [अनवद्याङ्गी] भगवान् महाअणुहविय वि [अनुभूत] जिसका अनुभव अनेक विरुद्ध धर्मों का भी एक वस्तु में सापेक्ष वीर की पुत्री का नाम (प्राचू)। किया गया हो वह (सुपा है) स्वीकार,
अणोज्जा स्त्री [अनवद्या] ऊपर देखो (कप्प) । अणुहारि वि [अनुहारिन्] अनुकरण करने 'जेरण विणा लोगस्सवि, ववहारो
अणोण वि [अनवनत] नहीं झुका हुआ वाला, नक्कालची (कुमा)
सबहा न निव्वडइ। (से १, १) अणुहार देखो अणुभाव (स ४०३, ६५६) 10 तस्स भुवणेकगुरुगो नमो अणे गंतवायस्स'
अणोत्तप्प देखो अणुत्तप्प (पव ६४)
(सम्म १६६) अणोम वि [अनवम] हीन-रहित, परिपूर्ण अणुहियासण न [अन्वध्यासन] धैर्य से सहन करना (जं २) अणेगंतिय बि [अनैकान्तिक] ऐकान्तिक
(प्राचा)IV नहीं, अनिश्चित, अनियमित (भग १, १)।
| अणोमाण न [अनपमान] अनादर का प्रभाव, अणुहु सक [ अनु + भू] अनुभव करना। अणेगावाइ वि [अनेकवादिन] पदार्थों को
सत्कारः ‘एवं उग्गमदोसा विजढा वकृ. अणुहुँत (पउम १०३, १५२) ।
पइरिक्कया अयोमारणं । सर्वथा अलग-अलग माननेवाला, प्रक्रियावादअणुहुंज सक [अनु + भुञ्] भोग करना,
मोहतिगिच्छा य कया, ___ मत का अनुयायी (ठा ८)IV भोगना । अणुहूंजइ (भवि)।। अणेच्छंत वि [अनिच्छत् ] नहीं चाहता
विरियायारो य अणुचिरणो' अणुहुत्त देखो अणुहूअ (गा ६५६)
(ोघ २४६) IV हुआ (उप ७६८ टी)। अणुहूअ वि [अनुभूत] १ जिसका अनुभव | अणेज वि [अनेज] निश्चल, निष्कम्प (प्राक)।
अणोरपार वि [दे] १ प्रचुर, प्रभूत (प्रावम)। किया गया हो वह (कुमा)। २ न. अनुभव अणेज वि [अज्ञेय] जानने के प्रयोरय, |
२ अनादि-अनन्त (पंचा १५; जी ४४)। ३
अति विस्तीर्ण (पण्ह १, ३) । (से ४, २७) ।। जानने के अशक्य (महा)।
अणोरुम्मि वि [अनुद्वान] अ-शुष्क, गीला अणुहो सक [अनु + भू] अनुभव करना।
अणेलिस वि [अनीदृश] अनुपम, असाधारण, अणुहोति (पि ४७५)। वकृ. अणुहोंत (पउम
__ 'जे धम्मं सुद्धमक्खाति पडिपुराणमणेलिसं' १०६, १७) । कवकृ. अणुहोईअंत, अणु
अणोलय न [दे] प्रभात, प्रातःकाल (दे १, (सूत्र १, ११) होइज्जंत, अणुहोइजमाण अणुहोईअमाण
१६) TV अणेवंभूय वि [अनेवम्भूत] विलक्षण,
अणोवणिहिया स्त्री [अनौपनिधिकी मानु( पड्)। कृ. अणुहोदव्व (शौ) (अभि विचित्र 'प्रणेवंभूयपि वेयणं वेदंति' (भग
पूर्वी का एक भेद, क्रम-विशेष (अणु) IN अणूकप्प देखो अणुकप्प; 'एत्तो बोच्छं अणू
अणोवणिहिया स्त्री [अनुपनिहिता] ऊपर अणेस देखो अण्णेस। वकृ. अणेसंत (नाट) देखो (पि ७७)कप्पं' (पंचभा)।
अणेसण न [अन्वेषण] खोज, तलाश (महा) अणोल्ल वि [अना] १ शुष्क, सूखा हुआ अणूण वि [अनून] कम नहीं, अधिक
अणेसणा स्त्री [अनेषणा] एषणा का अभाव (गा ५४१) । मण वि [मनस्क] अकरुण, (कुमा) अणूय!' [अनूप] अधिक जलवाला देश, (उवा)
निष्ठुर, निर्दय (काप्र ८६) अणूवे जल-बहुल स्थान (विसे १७०३ अणेसणिज वि [अनेषणीय। अकल्पनीय,
अणोवदग्ग वि [अनवदन] अनन्त (सूम १, वव ४)।
जैन साधुनों के लिए अग्राह्य (भिक्षा-आदि) १२, ६) अणेअ वि [अनेक] देखो अणेक (कुमा अभि (ठा ३, १ रणाया १, ५)
अणोवम वि [अनुपम] उपमा-रहित, अद्वि२४६) अणोउया स्त्री [अनृतुका] जिसको ऋतु-धर्म
तीय (पउम ७६, २६; सुर ३, १३०)। अणेकज्झ वि [दे] चञ्चल, चपल (दे १, न आता हो वह स्त्री (ठा ५, २)
अणोवमिय वि [अनुपमित] ऊपर देखो ३०)।
(पउम २, ६३) अणोक्त वि [अनवक्रान्त] जिसका पराभव अणेकवि अनेक] एक से अधिक, बहुत न किया गया हो वह, अजित, 'परवाईहि
अणोवसंखात्री [अनुपसंख्या] अज्ञान, अणेग ) (ोपः प्रासू ५३)। करण न
सत्य ज्ञान का प्रभाव (सूत्र २, १२) ।। [करण] पर्याय, धर्म, अवस्था (सम्म १०६) अणोकता' (प्रौप) ।
अणोवहिय वि [अनुपधिक] १ परिग्रह'राइय वि [रात्रिक] अनेक रातों में होने- | अणोग्गह देखो अणुग्गह = अनवग्रहः 'नाग
| रहित, संतोषी । २ सरल, अकपटी (भाचा)। वाला, अनेक रात संबन्धी (उत्सवादि) रगो संवट्टो अपोग्गहाँ (बृह ३) ।
अणोवाहणग।वि [अनुपानक] जूता(कस)। 'सोम [शस्] अनेक बार | अणोग्यसिय वि [अनवधर्षित] नहीं घिसा अणोवाहणय | रहित, जो जूता न पहिना हो (श्रा १४)
हुमा, अमाजित (राय)
1 (ोपः पि ७७)।
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