________________
३६
अगचीति
देखो अणुचिंत।
पाइअसद्दमहण्णवो
अणुग्घास-अणुट्ठा अणुग्घास सक [ अनु + ग्रासय ] खीलाना, अणुचिय वि [अनुचित] अयोग्य (बृह १)। अणुजाय बि [अनुजात] १ पोछे से उत्पन्न। भोजन कराना; 'असणं वा पाणं वा खाइमं वा अणुचीइ र
२ सदृश, तुल्यः ‘वसभागुजाए' (मुज १२) । साइमं वा अणुग्घासेज वा अणुपाएज वा'
अणुजीव सक [अनु+जीव ] आश्रय करना। (निसी ७) । वकृ. अणुग्घासंत (निचू ७)। अणुच वि [अनुच्च] ऊंचा नहीं, नीचा।
अरगजीवंति (उत्त १५, १४)।... कुइय वि[कुचिक] नीची और अस्थिर अणुचय पुं[अनुचय] फैलाकर इकठ्ठा करना
अणु जीवि वि [अनु जीविन] १ आश्रित, शय्या वाला (कप्प)। (उप पृ १५)।
नौकर, सेवकः ‘पयईए चिय अगजीविवच्छले' अणुच्छहंत व [अनुत्सहमान] उत्साह नहीं अणुचर सक [अनु + चर् ] १ सेवा करना।
(सुग ३३७: पानः स २४३)। तण न रखता हुअा (पउम १८,१८)। २ पीछे-पीछे जाना, अनुसरण करना। ३
[व] पाश्रय, नौकरी (पि ५६७)। अनिछत्त वि [अनुत्क्षिप्त नहीं छोड़ा हुआ, अनुष्ठान करना । अणुचरइ (पारा :) । अरण
अणुजुंज सक [अनु + युज] प्रश्न करना। अध्यक्त (गउड २३८)। चरंति (स १३०)। कर्म. अणुचरिजइ। (विसे
कर्म. अणुजुजते (धर्मसं २९३) । अणु पछत्त वि [अनुत्थित] १ गर्व-रहित, २५५४)। वकृ. अणुचरंत (पुप्फ ३१३)
जत्ति स्त्री [अनुयुक्ति] योग्य युक्ति, उचित संकृ. अणुचरित्ता (चउ १४)।
विनीत । २ स्फीत, समृद्ध । ३ सब से उन्नत,
| न्याय (सन १, ३, ३)। अणुचर देखो अणुअर (उत्त २८)।
सर्वोच्च, 'पडिवद्धं नवर तुमे, नरिदचकं पयाव- अणुजेदृ वि [अनुज्येष्ट] १ बड़े के नजदीक अणुचरग वि [अनुचरक सेवा करनेवाला विवडाप । गहवलयमणाच्छत्त धुवव्व; परियत्तइ | का (पात्रम)। २ छोटा, उतरता (पउम २२,
परिद' (गउड)। (पत्र ६६)।
७६)। अणुचरिय वि [अनुचरित] अनुष्ठित, विहित,
अणुच्छूढ वि [अनुक्षिप्त प्रत्यक्त, नहीं | अणु जोग देखो अणुओअ (ठा १.)।
छोड़ा हुआ (गा ५२६)। किया हुआ (कप्प)।
अणुज्ज वि [अनूज] उत्साह-रहित. अनुत्साही, अणज पुं[अनुज छोटा भाई (स ३८८)। हताश (कप्प)। अणुचि सक[अनु + च्य ] मरना, एक जन्म से दूसरे जन्म में जाना । संकृ. अणुचि
" अणुजत्त न [अनुयात्र] यात्रा में, 'अएणया | अणुज वि [अनोजस्क] तेजरहित, फीका;
अगुजत्तं निग्गो पेच्छइ कुसुमियं चूयं' (महा)। 'अणुजं दीररावयणं बिहरई' (कप) । ऊण (महा)।
अणु जत्ता स्त्री [अनुयात्रा निर्गम, निःसरण अणुचिंत सक [अनु + चिन्त् ] विचारना,
अणुज वि [अनूद्य] उद्देश्य, लक्ष्य (धर्म १)। (पिड ८८)। याद करना, सोचना। अणुचिते (संथा ६६)।
अणुज्जा स्त्री [अनुज्ञा] अनुमति, सम्मति (पउम अणुजा सक [अनु + या] अनुसरण करना, वकृ. अणुचिंतेमाण (णाया १,१)। संकृ.
३८, २४)। पीछे चलना । अणुजाइ (विसे ७१६)। अणुचीइ, अणुचीति, अणुवीइ (प्राचा; सून
अणुज्जा देखो अणोजा (आचा २, १५, ३)। १, १, ३, १३; दस ७)।
अणुजाइ वि [अनुयायिन् ] अनुसरण करने- अणुजय वि [अनूर्जित] बल-रहित, निर्बल वाला (सुपा ४०५)।
(बृह ३)। अणुचितण न [अनुचिन्तन] सोच-विचार, पर्यालोचन (आव ४)।
अणुजाइ स्त्री [अनुयाति] अनुसरण (धर्म- अणुज्जुय वि[अनृजुक असरल, वक्र, कपटी वि ४६)।
(गा ७८६)। अणुचिंता श्री [अनुचिन्ता] ऊपर देखो (पाव
अणुजाण न [अनुयान १ पीछे-पीछे चलना। अणुज्झा सक [अनु + ध्या] चिन्तन करना,
२ महोत्सव-विशेष, रथयात्रा (बृह १)। ध्यान करना । संकृ. अणुज्माइत्ता (आवम)। अणुचिट्ठ सक [अनु + स्था] १ अनुष्ठान
अणुजाण सक [अनु + ज्ञा] अनुमति देना, अणुज्माण न [अनुध्यान] चिन्तन, विचार करना । २ करना । अणुचिट्टइ । (महा)।
सम्मति देना। अणुजारगइ (उब)। भूका. (आवम)। अणुचिण्ण वि [अनुचीणे] १ अनुष्ठित, पाच- अगुजारिणत्या (पि ५१७)। हेकृ. अणुजा- अणुझा देखो अणुझा। वकृ. अणुभारत रित, विहितः 'मोहतिगिच्छा य कया, विरियागित्तए (ठा २,१)।
(कुमा)। यारो य अणुचिएणो' (ग्रोध २४६) ।२ प्राप्त,
अणुज णण न [अनुज्ञान] अमुमति, सम्मति | अणुझिअअ वि [दे] १ प्रयत, प्रयान-शील । मिला हुआ; 'कायसंफासमणुचिरणा एगइया (मून १, ६)।
२ जागता, सावधान ( पड् )। पारणा उद्दाइया' (प्राचा) । ३ परिणमित अणुजाणावण न [अनुज्ञापन अनुमति लेना, अणुझिज्जिा वि अनुक्षयिन] क्षीण होने(जीव १)।
अग जारणावरणविहिगा' (पंचा६.१३)। वाला (वजा १,२)। अणुचिण्णव वि [अनुचीर्णवत ] जिसने
अणुजाणिय वि [अनुज्ञात सम्मत, अनुमत | अणु? वि [अनुत्य] नहीं उठा हुआ, स्थित अनुष्ठान किया हो वह (प्राचा)। (मुपा ५८४)।
(ग्रोघ ७०)। अणुचिन्न देखो अणुचिण (सुपा १६२ - अणुजाय वि [अनुयात] १ अन्गत, अनुसूत । अणदा
अणुजाय वि [अनुयात] १ अनुगत, अनुसृत अणुद्वा सक [अनु+स्था] १ अनुष्ठान करना, रयण ७५, पुष्फ ७५)।
(उप १३७ टी)।
| शास्त्रोक्त विधान करना। २ करना। कृ. अणु
Jain Education Intemational
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org