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पाइअसद्दमहण्णवो
अणायरणया-अणियण अणायरणया स्त्री [अनाचरण] ऊपर देखो गरीब, बेचारा (णाया १, ८)। ४ पुं. एक अणिग्गह वि [अनिग्रह] स्वच्छन्द, असंयत (सम ७१)।
जैन मुनि (उत्त २०)। अणायरिय देखो अगज = अनार्य (पएह १. अगाहार पुं [अनाहार] एक दिन का उपवास
अणिच वि [अनित्य नश्वर, अस्थायी (नव १; पउम १४, ३०)। (संबोध ५८)।
२४ प्रासू ६५) । भावणा स्त्री [भावना] अणायार देखो अणागार = अनाकार (विसे)। अणाहि) वि [अनाधि, क] मानसिक
सांसारिक पदार्थों की अनित्यता का चिन्तन अगायार पुं [अनाचार] १ शास्त्र-निषिद्ध अगाहिय) पीड़ा से रहित (से ३, ४४; पि (पव ६७)। णुप्पेहा स्त्री [नुप्रेक्षा] आचरण (स १८८)। २ गृहीत नियमों का । ३६५)।
देखो पूर्वोक्त अर्थ (ठा ४, १)। जान-बूझ कर उल्लंघन करना, व्रत-भङ्ग अणाहिट्ठि पुं [अनाधृष्टि] एक अन्तकृद् मुनि अणि? वि [अनिष्ट] अप्रीतिकर, द्वेष्य (उव)। (वव १)। (अन्त ३)।
अणिद्विय वि [अनिष्ठित] असंपूर्ण (गउड)। अणारिय देखो अणज्ज = अनार्य (उवा)।
अणिइण देखो अणगिण (विचार २२)। अणिण देखो अणिरिण (नाट)। अणारिस वि [अनार्ष] जो ऋषि-प्रणीत न अणिइय वि [अनियत १ अनियमित, अध्य
अणिदा स्त्री [दे. अनिदा] १ बिना ख्याल हो वह (पउम ११,८०)। वस्थित । २ पुं. संसार (भग ६,३३)।
किये की गई हिंसा (भग १६, ५) । २ चित्त अणारिस वि [अन्यादृश] दूसरे के जैसा
की विकलता। ३ ज्ञान का प्रभाव (भग १,२)।. अणिउंचिय वि अनिकुश्चित] टेढ़ा नहीं लिया बी अणिमन 1 पाठ सिद्धियों (नाट)।
किया हुआ, सरल (गउड)। अणालत्त वि [अनालपित अनुक्त, अकथित, अणित
में एक सिद्धि, अत्यन्त छोटा बन जाने की नहीं बुलाया हुअा (उवा)।
। देखो अइमुत्त (दे ", ३८ हे शक्ति (पउम ७, १३६)। अणिउँत्तय १, १७८, कुमा)।
अणिमिस न [अनिमिष फल-विशेष (दस अणालवय पुं[अनालपक] मौन, नहीं बोलना अणिएय वि [अनियत] अनियमित, अप्रति
५, १,७३)। (पान)। अणाव सक [आ + नायय] मंगवाना, प्ररणा- बद्धः 'अखिले अगिद्धे अणिएयचारी, अभयंकरे |
अणिमिस वि अनिमिष, मेष] १ निमेष
अणिमेस शून्य (सुर ३, १७३) । २ पुं. वेमि (सिरि ६४६)। भिक्खू प्रणाविलप्पा' (सूत्र १, ७, २८)।
मत्स्य, मछली (दस ५, १) । ३ देव, देवता अणावरण वि [अनावरण] १ आवरण-रहित। अणिंदिय वि [अनिन्दित] १ जिसकी निन्दा (वव १ श्रा १६): 'नयण नयना देव,. २ न. केवल-ज्ञान (सम्म ७१)। न की गई हो वह, उत्तम (धर्म १)। २ पुं.
देवता (विसे ३४८६)। अणाविअ वि [आनायित] मंगवाया हुआ |
किन्नर देव की एक जाति (परण १)। अणिय न [अनीक] सैन्य, लश्कर (कप्प)। (सिरि ६६७ ७१८)।
| अपिदिय वि [अनिन्द्रिय] १ इंद्रिय-रहित । अणिय न [अनृत] असत्य, झूठ (ठा १०)। अणाविट्रिो स्त्री [अनावृष्टि] वर्षा का प्रभाव
२ पुं. मुक्त जीव । ३ केवलज्ञानी (ठा १०)। | अणिय न [दे] धार, अग्र-भाग (पएह २,२)। अणावुद्धि (पउम २०,८७सम ६०)।
४ वि. अतीन्द्रिय, जो इंद्रियों से जाना न जा अणिय वि [अनित्य] अस्थिर, अनित्य (उव)। अणाविल वि [अनाविल] १ निर्मल, स्वच्छ
सके; 'नय विजइ तग्गहणे लिंगंपि परिणदियत्त- अणियट्ट पुं[अनिवर्त] १ मोक्ष, मुक्ति (आचा (गउड)।
गो' (सुर १२,४८; स १६८; विसे १८६२)। १,५,१) । २ एक महाग्रह (ठा २, ३)। अणासंसि वि[अनाशंसिन् अनिच्छु, निस्पृह अणिदिया स्त्री [अनिन्दिता] ऊर्ध्व लोक में अणियट्रिवि | अनिवर्तिन् ] १ निवृत्त नहीं (बृह १)।
| रहनेवाली एक दिक्कुमारी देवी (ठा ८)। होनेवाला, पीछे नहीं लौटनेवाला (प्रौप) । २: अणासण देखो अणसण (सूत्र १,२,१,१४)। अणिक वि [अनेक] एक से ज्यादा (नव ४३)। न. शुक्ल-ध्यान का एक भेद (ठा ४,१)। ३ पुं. अणासय पुं[अनाश,"क] अनशन, भोजना- वाइ वि [वादिन] प्रक्रियावादी (ठा ८)। एक महाग्रह (चंद २०)। ४ आगामी उत्सर्पिणी भावः 'खारस्स लोणस्स अगसएणं' (सूत्र १, अणिकिणी स्त्री [अनीकिनी] ऐसी सेना जिसमें
काल में होनेवाले एक तीर्थंकर देव का नाम ७, १३)। २१८७ हाथी, २१८७ रथ, ६५६१ घोड़े और |
(सम १५४)। अणासव वि[अनाश्रव] १ आश्रव-रहित । २ १०६३५ प्यादें हों (पउम ५६, ६)। अणियट्टि वि [अनिवृत्ति] १ निवृत्ति-रहित, पु. भाश्रव का प्रभाव, संवर । ३ अहिंसा, दया अणिक्खित्त वि [अनिक्षिप्त नहीं छोड़ा
व्यावृत्ति-वजित (कर्म २, २) । २ नववाँ गुण(पएह २, १)। हुआ, अपरित्यक्त, अविच्छिन्न; 'अणिक्खित्तेणं
स्थानक (कर्म २)। करण न [करण] अणासिय वि [अनशित] भूखा (सूत्र १,
वोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पारणं भावेमाणे
प्रात्मा का विशुद्ध परिणाम-विशेष (प्राचा)। ५, २)। विहरई' (उवा औप)।
बादर न [°बादर] १ नववा गुण-स्थानक ।२ अणाह वि [अनाथ] २ शरण-रहित (निचू अणिगण ) देखो अणगिण (जीव ३; सम
नववें गुण-स्थानक में प्रवृत्त जीव (प्राव ४)। ३)। २ स्वामि-रहित, मालिक-रहित। ३रंक, | अणिगिण १७)।
अणियण देखो अणगिण (जीव ३)।
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