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प्रकाशकीय निवेदन
कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्यनी नवमी जन्मशताब्दीनी मंगल स्मृतिमां, पूज्यपाद आचार्य श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी महाराजनी शुभ प्रेरणाथी स्थपायेला आ ट्रस्टना माध्यमथी, भारतीय संस्कृतिना अणमोल वारसारूप अनेक ग्रन्थोना प्रकाशन रूपे सम्यग्ज्ञाननी भक्ति करवानो अवसर प्राप्त थतो रहे छे ते ट्रस्ट माटे धन्य अनुभव छे. पं. श्री शीलचन्द्रविजयजी गणिनी प्रेरणाथी आपणा साहित्यना तथा आपणी भाषाना नामांकित मूर्धन्य विद्वज्जनो द्वारा सर्जित अने संशोधित-संपादित प्रकाशनोने मुद्रित करवानुं श्रेय आ ट्रस्टने मळतुं रहे छ ते पण गौरवनी वात छे..
आपणा, मध्यकालीन गुर्जर साहित्यना प्रकांड अभ्यासी विद्वान प्रा. श्री जयंतभाई कोठारीए, वर्षोना सूझबूझभर्या परिश्रमना अंते 'मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश' नामे आ एक सुन्दर सन्दर्भग्रंथ तैयार कर्यो छे. “मध्यकालीन साहित्यना अध्येताओ माटे आ कोश एक मार्गदर्शक दीवादांडीरूप बनी रहे तेम छे, अने तेथी ट्रस्ट द्वारा एनुं प्रकाशन करवा योग्य छे," एवी प्रेरणा अमने पं. श्री शीलचन्द्रविजयजी द्वारा प्राप्त थतां ज, अमोए ते प्रेरणाने वधावी लीधी, अने प्रा. जयंतभाईए तथा प्राकृत जैन विद्याविकास फंडना डॉ. के. आर. चन्द्राए अमारी विनंति स्वीकारीने आ प्रकाशननो लाभ अमारा ट्रस्टने आप्यो ते बदल अमो तेओना खूब ऋणी रहीशुं. प्राकृत जैन विद्याविकास फंडे आ ग्रंथना प्रकाशनखर्चमां रू. ३०,०००४ मातबर योगदान आपेल छे तेनी पण अमे साभार नोंध लईए छीए. ____ आपणा मूर्धन्य कवि श्री उमाशंकर जोशीए “जे जन्मतां आशिष हेमचन्द्रनी पामी विरागी जिन-साधुओ तणी" एम कहीने गुर्जरी गिरानो अनुबन्ध श्री हेमचन्द्राचार्य साथे जोडी आप्यो छे ए ज गुर्जर साहित्य-गत शब्दोनो कोश श्री हेमचन्द्राचार्यना नाम साथे जोडायेला एक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित थाय त्यारे एक सुभग योगानुयोग सहजपणे रचातो अनुभवाय छे.
आ प्रकाशन माटे विविध धर्मसंस्थाओए आर्थिक सहयोग आप्यो छे ते सौनो हार्दिक आभार मानीए छीए.
आ कोशनो जिज्ञासुओ खूब उपयोग करे तेवी भावना साथे मार्च, १९९५
कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य नवम जन्मशताब्दी लालभाई दलपतभाईनो वंडो
स्मृति संस्कार शिक्षण निधिनो ट्रस्टीगण पानकोर नाका अमदावाद ३८० ००१
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