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जूनी वस्तुओ वेचनार एक दुकानदारने त्यां में एक टेबल जोयेलं. लागतुं हतुं तो सामान्य पण एनी किंमत हजारो रूपियामां अंकाई हती. एनुं कारण पूछतां एणे का : "जूनुं छे एटले मोंधू छे. एना उपर घणा हाथ बेठा छे, एन काष्ठ घणी आंगळीओना स्पर्शथी सुंवाळु बन्युं छे... आ टेबल उपर पेढीओनो इतिहास बेठो छे एटले मूल्यवान छे. जाणकार घराक ए बराबर जाणे छे."
भाषा ए पुराणी चीजवस्तुओनो भंडार. दरेक शब्द ज्ञाननो रत्नजडित नानकडो कोश छे. ज्ञानी घराकनी जेम एनी कदर करतां शीखीशुं तो एनो पहेलो लाभ आपणने ज मळशे.
फाधर वालेस
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