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मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश
६०९।।
थोडी शब्दार्थचर्चा
(विद्या भणीने एनो बदलो न वाळे.)
संपादके 'ऋणमुक्त' अर्थ आप्यो छे, पण अहीं तो 'करे'वाळो प्रयोग छ ने 'ऋममुक्त करे' ए अर्थ अभिप्रेत नथी ज. तेथी 'बदलो वाळे' ए अर्थ ज उपयुक्त छे. (२४) नंदब.मां -
गुण के अवगुण ओसींकल थाये, पीत्री पंड तारे तो साहे. (२४१) (गुण के अवगुण - उपकार के अपकारनो बदले वाळीए त्यारे ज पितृ पंड
ले.)
अपकारना संदर्भमां 'ऋणमुक्ति' नहीं पण 'बदलो'नो अर्थ ज बेसे. संपादकना शब्दकोशमां आ शब्द नोंधायो नथी.
(२५) कस्तुवा.मां हंसहसणीनी वातमाथी कस्तुरचंद शुभ रात्रि-योग जाणे छे ने पोते पोतानी पत्नीथी दूर छे एनो अफसोस करे छे. हंसना पूछवाथी कारण कहे छे. पछी -
हंसनी कहें रे, "हंस, सुमि, पुछे उशंकल थावो,
आ वेला तम्यो एहनें मंदिर मध्ये लेइ जावो." (४१६) (हंसणी कहे छे के "हंस, सांभळो. एने पूछ्यानो बदलो वाळो.") संपादके 'आभारी' अर्थ आप्यो छे. (२६) वेताप.मां लक्ष्मीजी विष्णुने कहे छे -
भली भगत्य करें भांमीनि, ते आपणनें भार,
कीजें उशंकल एहनें, तुं नोधारां-आधार. (२३, २५) (आ स्त्रीओ आपणी खूब भक्ति करे छे. एनो आपणने भार चडे. तो एमने बदलो वाळो.)
संपादके आ अने पछीनां उदाहरणो परत्वे 'ऋणमुक्त' अर्थ आप्यो छे, पण अहीं पण (२३)ना जेवो 'उशंकल कीजे' प्रयोग छे एटले 'बदलो वाळो' ए अर्थ ज लेवानो रहेशे.
(२७) एमां ज, गरीब माबाप चार पुत्रोमां पोतानी जेवी-तेवी मिलकत वहेंची दे छे. पछी -
माबाप कहें, "सपूत छो तम्यो, किम जीवीशुं करमां अम्यो" “जेहनें शीवजीनि क्रीपा हशें, ते तमने उशंकल थशे.
नहीतर वारा फरती वार, च्यार पुत्र में दाढा च्यार.” (२४, १३-१८) (माबाप कहे छे के तमे तो सपूत छो पण आ मुश्केल वखतमां अमे केम जीवीशुं ? दीकरा उत्तर आपे छे के जेना उपर शिवजीनी कृपा हशे ते तमने बदलो
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