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थोडी शब्दार्थचर्चा
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मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश
भगवद्गोमंडले आ पंक्तिओ उद्धृत करी 'ओशियालु, गरजु' एवो अर्थ आप्यो छे, जे टकी शके एम नथी. (१२) सिंहा(शा).मां -
बहु द्रव्य खरच्यो बापनो, आपी उशंकल थायु. (२०, १३४) (पितानु घणुं द्रव्य में वापर्यु छे, हवे पाईं आपीने ऋणमुक्त बनु.) संपादकना शब्दकोशमां आ पंक्तिनो संदर्भ नथी. (१३) वेताप.मां विदाय लेता सिद्धने विक्रम कहे छे -
ताहरो भार माथे मुनें, कष्ट एटलु काप्य,
कांईक मागो मुझ-कने, ते उशंकल थाउं. (१, ४३७-३८) (मारी पासे कंईक मागो, जेथी तमारा ऋण-भारमांथी मुक्त थाउं.) संपादके आ अने पछीना उदाहरण परत्वे 'ऋणमुक्त' अर्थ आपेल छे.
(१४) एमां ज, वड परथी शबने लावी आपवानुं वचन न पाळी शकेलो विक्रम सिद्धने कहे छे -
महाराज आज रात्ये जाउं छु, अरुणोदये उशंकल थाउंछु. (११, ७) (सवार पडतां ज, वचन आप्युं छे तेना भारमाथी मुक्त थाउं छु.)
(१५) कस्तुवा.मां कूड़ करनार गणिकाने विक्रम हरावे छे तेथी मुलताननो राजा पोतानी धन्यता प्रगट करे छे अने -
उसंकल अमने करो, घणुं वांक विवेक,
देहें शुभ छे दीकरी, आपुं तमने एक. (७१७) (तमने ओळख्या नहीं ए अमारा विवेकनो दोष थयो. हवे तमे करेला उपकारना भारमाथी अमने मुक्त करो. मारी सुंदर दीकरी छे ते हुं तमने आपुं.)
संपादके 'आभारी' अर्थ आप्यो छे. भगवद्गोमंडले पण आ उदाहरण संदर्भे 'आभारी, उपकार नीचे दबायेखें, अहेसानमंद' एवा अर्थ नोंध्या छे. आ अर्थो उपयुक्त नथी. (१६) रूस्तस.मां असदखान रूरतमखानने कहे छे -
लूण-ओसीकल तमारो थाउ, डाभे मोरचे एकलो जाउ. (१२७) (तमारु लुण खाधुं छे तेना ऋणमांथी मुक्त थाउं. युद्धना डाबे मोरचे हुं एकलो जईश.)
संपादके 'ओशिंगण' अर्थ आप्यो छे, जे योग्य नथी. (१७) वस्ताकृत पद (भगवद्गोमंडलमां उद्धृत)मा -
त्यां लगण सौ रहे एकठां, ज्यां लगी ओशिंगण थाय रे.
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