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मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश
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थोडी शब्दार्थचर्चा
थ' एवा अर्थो नोंधे छे. खास करीने पारसीओमां 'अदरावू' शब्द आ अर्थमां प्रचलित छे. मध्यकाळमां 'आदरवु' शब्द ज 'विवाह के सगपण करतुं' एवा अर्थमां प्रयोजायेलो मळे छे. जेमके,
आरारा.मां -
कुलधर, आदरि म था गमार, (कुलधर, (पुत्रीनो) विवाह कर, गमार न था.) संपादके पण 'सगपण कर' ए अर्थ ज आप्यो छे. गुर्जरा.मां - __ हुं नवि देखी आदरी, आदरी यादवराइ. (यादवराये मारी साथे विवाह करी मने आदरथी जोई नहीं.) संपादकोए योग्य रीते 'betrothed' एवो अर्थ आप्यो छे. चित्तसं.मां 'आदरयु'नो एक विलक्षण प्रयोग मळे छ :
जेम चंबुकगिरिनी सत्ताए करी लोहोनौका आवे आवरी. संपादके 'खंचाईने' अर्थ आप्यो छे ते ज आ संदर्भमां बंध बेसे एवो छे. “जेम लोहचुंबकवाळा पर्वतना प्रभावथी लोढानी नौका खेंचाईने आवे...."
४०. करो 'करो' शब्दनो अर्थ 'घरनी बाजुनी दीवाल' एवो सार्थ जोडणीकोश नोंधे छे अने ए अर्थमां ए शब्द प्रचलित छे. नंदब.मां आ शब्द वपरायो छे अने संपादके एनो ए अर्थ ज आप्यो छे. पंक्ति आ प्रमाणे छ :
वणीक ते जे नही आकरो, गांम ते जेहमां होये करो. देखीती रीते ज 'करो' शब्दनो उपर्युक्त अर्थ अहीं बंधबेसतो थतो नथी. करो घरने होय, गामने नहीं; अने घरने करो होय ज, पछी करो के करावाळु घर होय तेने ज गाम कहेवाय एम कहेवानो कई अर्थ खरो ? वस्तुतः राजस्थानी कोश 'करौ' शब्द 'किसान'ना अर्थमां नोंधे छे. अहीं ए अर्थ बराबर बंध बेसे छे : "जेमां खेडूत वसतो होय ते ज गाम."
४१. खगां, खगमंडल, खगाकार 'खग' शब्द आपणे 'पंखी'ना अर्थमां ज लईए छीए. 'ख' एटले आकाश, एमां गति करे ते 'खग'. पण देश्य 'खग' शब्द 'आकाश'ना अर्थमां छे अने ए मध्यकालीन गुजरातीमां प्रचलित होवानु जणाय छे. जेमके, वेताप.मां -
डोले खगमंडल चित....
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