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जयंत कोठारी (ज. २८-१-१९३०) अमदावादनी कॉलेजोमां गुजराती भाषासाहित्यना अध्यापक तरीके वर्षो सुधी कार्य करी निवृत्त थया छे. बच्चे गुजराती साहित्य परिषदमां 'गुजराती साहित्यकोश (मध्यकालीन) 'ना संपादक तरीके ( १९८१ - १९८४) अने मानार्ह संपादक तरीके (१९८४-१९८७) कार्य कर्यु.
एमनी बीजी महत्त्वनी कामगीरी ते मोहनलाल दलीचंद देशाई संयोजित 'जैन गूर्जर कविओ' नुं नवसंस्करण. एना सात भाग प्रसिद्ध थई चूक्या छे (१९८६-१९९१) अने आठमो भाग मुद्रणाधीन छे.
एक ज विषयनी छ मध्यकालीन गुजराती कृतिओने समावती ने एमनो तुलनात्मक अभ्यास रजू करती 'आरामशोभा रासमाळा' (१९८९) एमनुं एक नमूनेदार संपादन छे.
साहित्यना तत्त्वविचार, विवेचन, संशोधन ने आस्वादनी एमनी प्रवृत्ति 'भारतीय काव्यसिद्धांत' (नटुभाई राजपरा साथे, १९६०)थी मांडीने आज सुधी अनवरत चालती रही छे अने आ प्रकारना १५ ग्रंथो एमनी पासेथी मळ्या छे.
१९९४मां पांचमी आवृत्तिमां प्रवेशेल 'भाषापरिचय अने गुजराती भाषानुं स्वरूप' (१९७४) स्नातक कक्षाना शिक्षणनी आवश्यकता पूरी पाडनार अनन्य ग्रंथ बनी रह्यो छे. शाळाकक्षानां व्याकरणोमां पण एमणे पोतीकी सूझथी काम कर्तुं छे.
आ उपरात एमणे शैक्षणिक जरूरियातने अनुलक्षीने तेमज बीजां घृणां साहित्यिक संपादनो पण कर्यां छे.
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