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बिखरे मोती
काले चरंतस्स उज्जमो सफलो भवति । उचित समय पर काम करनेवाले का ही श्रम सफल होता है । - आचारांग ( १ / ५ / ४ )
ण चिय अणिधणे अग्गी दिप्पति ।
बिना ईंधन के अग्नि नहीं जलती है ।
रागदोस करो वादो ।
प्रत्येक 'वाद' रागद्वेष की वृद्धि करनेवाला है ।
-- आचारांग - चूर्णि ( १/३/४ )
arrass अबले विसीयति ।
निर्बल व्यक्ति भार वहन करने में असमर्थ होकर मार्ग में ही कहीं विश्राम करने बैठ जाता है ।
- आचारांग - चूर्णि ( १ / ६ / १ )
१८२ ]
- सूत्रकृताङ्ग ( १/२/३/५ )
नातिकं डूइयं
घाव को अधिक खुजलाना ठीक नहीं है, क्योंकि खुजलाने से घाव ज्यादा फैलता है ।
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अरुयस्सावरज्झति ।
जेहि काले परक्कतं, न पच्छापरितप्पए ।
जो समय पर अपना कार्य कर लेते हैं, वे बाद में परितप्त नहीं होते हैं । --सूत्रकृताङ्ग ( १/३/४/१५ )
- सूत्रकृताङ्ग (१/३/३/१३ )
आरओ परओ वावि, दुहावि य असंजया ।
कुछ लोग लोक और परलोक दोनों ही दृष्टियों से असंयत होते हैं ।
- सूत्रकृताङ्ग (१/८/६ )
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