________________
प्राकृत-भापा की सूक्तियों के संकलन का क्षेत्र कुछ प्रारम्भिक सामान्य प्रयासों को छोड़कर अभी तक अछूता ही रहा। प्रस्तुत ग्रन्थ उसी अभाव को महत्त्वपूर्ण पूर्ति है। यह उच्चस्तरीय प्रयास हैअपने आप में सर्वप्रथम और आशातीत । प्राकृत-साहित्य सूक्त-रत्नाकर है। इसमें ऐसे अनेकानेक सूक्त-रत्न विकीर्ण हैं, जिनकी प्रभा । प्रस्तुत कोश में सहज दृष्टिगत है। इसमें प्राकृतनिबद्ध प्रसिद्ध कृतियों की आचार-विचार विषयक मार्मिक सूक्तियों का विषय-वर्ण क्रमानुसार प्रस्तुतिकरण हुआ है । इसमें मूल प्राकृत, हिन्दी अनुवाद, मूल ग्रन्थ का नाम एवं ग्रन्थ की गाथा-संख्या देते हुए क्रमबद्ध संग्रह-कोश तैयार किया गया है। अतः प्रस्तुत ग्रन्थ न केवल सूक्ति-कोश है, अपितु सन्दर्भ-कोश भी बन गया है। सूक्ति-कोश के रूप में यह ग्रन्थ जनसाधारण के लिए लाभदायक है और सन्दर्भ-कोश के रूप में शोधकर्ताओं लेखकों के लिए।
Jain Education International 2010_03.
For Private & Personal Use Only -
Sawwaviainelibrary