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२०६८ शब्दरत्नमहोदधिः।
[समुद्रकफ-समुन्नय समुद्रकफ पुं, समुद्रफेन न. (समुद्रस्य कफ इव/ | समुद्रवह्नि, समुद्राग्नि पुं. (समुदस्य वह्निः/समुद्रस्य
समुद्रस्य फेनम्) समुद्रनु 18-स.४२ १४. अग्नि) 43वान-माग्नि. समुद्रकान्ता स्त्री. (समुद्रस्य कान्ता) नही, वनस्पति | समुद्रविजय ' वासमा छैन तीर्थ४२ नेमिनायना __Y-पूरीमधुश्री.
पिता, मे. याव. २८%t. समुद्रग त्रि. (समुदं गच्छति, गम्+ड) समुद्रम ४२, समुद्रसुभगा ली. (समुद्रस्य सुभगा) नही.. દરિયા તરફ જનાર,
समुद्रा स्त्री. (सम्यक् उद्गतो रोऽग्निर्यस्याः) शमीसमुद्रगा स्त्री. (समुद्रं गच्छति, गम्+ड+टाप्) नही. ____0x3tk, झार, ध्यूरो वनस्पति.. समुद्रग्रह न. (समुद्र इव प्रचुरजलं गृहम्) हरियाई । समुद्रान्त न. (समुद्रस्यान्तः पर्य्यन्तदेशः उत्पत्तिस्थानत्वेગૃહ, દરિયામાં જળયંત્ર ગૃહ-દરિયાના પાણી ઉપર
नास्त्यस्य अच्) य... બાંધેલ ગૃહ.
समुद्रान्त पुं. त्रि. (समुद्रस्य अन्तः/समुद्रः अन्तो यस्य) समुद्रचुलुक पुं. (समुद्रश्चुलुक: गण्डुषजलमितजलमिव समुद्रनो मन्त-छ, समुद्र सुधार्नु. अनायासेन पीतत्वात् यस्य) अगस्त्य मुनि.
| समुद्रान्ता स्त्री. (समुद्रस्य अन्तः उत्पत्तिस्थानत्वेनास्त्यस्याः समुद्रज, समुद्रतनय पुं., समुद्रनवनीत न., समुद्र
अच्+टाप्) घमासो वनस्पति, वनस्पति यवासी, पुत्र, समुद्रसुत, समुद्रसूनु पुं. (समुद्राज्जायते,
सनो छो3, Yी वनस्पति.. जन्+ड/समुद्रस्य तनयः/समुद्रस्य नवनीतमिव/ | समुद्रारु पुं. (समुद्रमृच्छति ऋ+कर्तरि करणे वा उण) समुद्रस्य पुत्रः/समुद्रस्य सुतः/समुद्रस्य सूनुः) यंद्र,
એક જાતનું માછલું, એક જાતનું મોટું માછલું, સેતુબન્ધ
पुल. पू२. समुद्रजा, समुद्रतनया, समुद्रपुत्री, समुद्रसुता,
| समुद्रिय, समुद्रीय त्रि. (समुद्र+भवार्थे घ/समुद्र+भवार्थे समुद्रसूनू स्त्री. (समुद्राज्जायते, जन्+ड+टाप्/
छ) समुद्रमा बना२- वृषाग्नि वृषणं भरनपां गर्भ
समुद्रियम्-वाज. ११।४६। समुद्रस्य तनया/समुद्रस्य पुत्री/समुद्रस्य सुता/समुद्रस्य
समुद्वह त्रि. (सम्+उद्+व+अच्) श्रेष्ठ, वडन 5२८२, सून) वक्ष्मीहवी. समुद्रदयिता, समुद्रपत्नी, समुद्रप्रिया स्री. (समुद्रस्य
धा२५, ४२२.
समुद्वहत् त्रि. (सम्+उद्+व+शतृ) वडन ४२, दयिता/समुद्रस्य पत्नी/समुद्रस्य प्रिया) नही.
વહેતું, ધારણ કરતું. समुद्रतट न., समुद्रवेला स्री. (समुद्रस्य तटम्/समुद्रस्य
समुन्दन न. (सम्+उन्द्+ल्युट) सारी रात मीनु थ, वेला) हरियानो ना.
___५०ng. समुद्रफल (न.) तनी भीषधि. -समुद्रनाथ प्रथम
समुन्न त्रि. (सम्+उन्द्+क्त) भानु, भाशवाणु, ५वणे.दु. पश्चात् फलमुदाहरेत् । समुद्रफलमित्यादि नाम वाच्यं
समुद्रत त्रि., समुन्नति स्त्री. (सम्+उद्+नम्+क्त/ भिषग्वरैः-राजनिघण्टः ।
सम्+उद्+नम्+ भावे क्तिन्) अत्यन्त युं, Gad, समुद्रयात्रा स्त्री. (समुद्रस्य यात्रा) समुद्रने ती भानी
Gaतिवाj. (न.) मे.तनो स्तम. सारी रात મુસાફરી, સમુદ્રમાં ડૂબી મરવું.
नति. -'मनसः शिखराणां च सदृशी ते समुन्नतिःसमुद्रयान न. (यायतेऽनेन या+करणे ल्युट, समुद्रस्य
कुमारसं० ६६५। यानम्) हरियाई वाडन-41५1-म२ वर्ग३, हरियाई
समुत्रद्ध त्रि. (सम्+उद्+नह+क्त) गर्वित, द्धत, पोतने મુસાફરી જેનાથી થાય તે.
પંડિત માનનાર, ઊંચું કરેલ, ઊંચું કરી બાંધેલ, ઉત્પન્ન समुद्ररमणी, समुद्ररशना समुद्रवसना, समुद्रवस्त्रा,
थर. (न. सम्+उद्+नह+भावे क्त) युरी समुद्राम्बरा स्त्री. (समुद्रः रमण इव वेष्टनाकारत्वात्/
Miuj, ते. समुद्रः रशनेव यस्याः/समुद्रः वसनं यस्याः/समुद्रः ।
समुन्नय पुं., समुत्रयन न. (सम्+ उद्+नी+अच्/सम्+ वत्रं यस्याः/समुद्रः अम्बरमिव वेष्टनाकारत्वाद् यस्याः)
उद्+नी+भावे ल्युट) युं मायाjd, यु ४२j,
સારી નીતિ, મેળવવું, પ્રાપ્ત કરવું, ઉપજાવવું, કલ્પી समुद्रलवण न. (समुद्रजलजातं लवणम्) यानु, भाई. | ढj, जनाव, जनाव, त६ ४२वो. . Jain Education International
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पृथ्वी .
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