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२०२४ शब्दरत्नमहोदधिः।
[षुट्ट-ष्टक् षुट्ट (चु. उभ. स. सेट्-सुट्टयति-ते) भना६२ ४२वी. | षोडशभुजा स्री. (षोडश भुजा यस्याः) हुवानी षुम्भ (भ्वा. प. सेट-सुम्भति) uj, शोमj -अक. । | में भूति. 61२ भा२j -सक. ।
षोडशमातृका स्त्री. (षोडशसंख्या मातरः एव कन्+टाप्) षुर् (तुदा. अक० प. सेट-सुरति) ही५g, शैश्वर्य गौरी, ५८, शथी, मेघा, सावित्री, विन्या, या, थवं.
हेवसेना, स्वust, स्वधा-शान्ति, पुष्टि, ति, तुष्टि, षुह (दिवा. अक. प. सेट-सुह्यति) तृप्त यतुं अ., भात, भातृ-मे सोम मातृमो. -गौरी पद्मा क्षमा ४२वी, सडन. २j -सक. ।
शची मेधा सावित्री विजया जया । देवसेना स्वधा षू (अदा. आत्म. स. वेट-सूते/दिवा. आ. स. वेट- स्वाहा मातरो लोकमातरः । शान्तिः पुष्टिधृतस्तुष्टिः
सूयते) ॥ छोडवो, . (तुदा. प. स. अनिट- कुलदेवात्म-देवताः । सुवति) निवा२४८ ४२j, 12514g.
षोडशत्विज पुं. (षोडशश्च ते ऋत्विजश्च) होता ३ घू स्त्री. (पू+क्विप्) ४न्म, उत्पत्ति.
સોળ ઋત્વિજો. षूद् (भ्वा. प. स. सेट-सूदति) भारी नing, भार.
| षोडशांश पुं. (षोडशश्चासौ अंशश्च) सीमो मा. (चु. उभ. स. सेट-सूदयति-ते) ८५.७, २j, अक. ।
षोडशांशु पुं. (षोडश अंशवो यस्य) शुभ नामे अड. प्रतिशत ४२वी, दू२ ४२j सक. ।
षोडशाघ्रि पुं. (षोडश अङ्घयश्चरणा यस्य/ ७२यदा षूर् (दिवा. आ. सेट-सूर्यते) थंभावj -अक. । हिंसा
___ णय२. ४२वी सक. ।
षोडशार न. (षोडश अराणि इव दलानि यस्य) शरीरमा पूर्भ (भ्वा. प. सेट्-सूक्षति) मना६२. ४२वी.
સોળ પાંખડીનું એક કમળ, તંત્ર પ્રસિદ્ધ એક યંત્ર. घूर्ण्य (भ्वा. प. स. सेट-सूर्ध्यति) ध्या ४२वी..
षोडशाचिंस् पुं. (षोडश अच्चींषि यस्य) २४ अड. खूष (भ्वा. प. स. सेट-सूषति) ४ . षभ, पृम्भ (भ्वा. प. स. सेट-सृभति/भ्वा. प. स.
(त्रि. षोडश अर्चीषि यस्य) सोम. प्र.७२
કિરણોવાળું. सेट -सृम्भति) डिंसा 5२वी, ४... षेक् (भ्वा. आ. स. सेट-सेकते) स२७, स., ४.
षोडशावर्त पुं. (षोडश आवर्ता यस्य) में तनो खेल (भ्वा. प. स. सेट-सेलति) यासत.
__. षेव (भ्वा. उभ. स. सेट-सेवति-ते) सेवj, 64मी।
षोडशिन् पुं. (षोडश+इनि) सोम. में तनु, यशपात्र, કરવો, ભોગવવું, આશ્રય કરવો, આચરવું, રક્ષણ
पूर, अनिष्टोम यशर्नु ३५iत२. ४२.
षोडशोपचार पुं. ब. व. (षोडशसंख्याता उपचाराः) षै (भ्वा. प. अ. अनिट्-सायति) क्षय पाम, घसाj.
ध्यान. (स्वागत.)-मासन-ध-मध्य-मायमान-मधु५६षो (दिवा. प. अ. अनिट-स्यति) ना. पाम, २४ मायमन.-स्नान- वस्त्र, मां.२-ध-पुष्प-धूप-हीथवी. अधि+अव+षो -उत्साड ४२वो, निश्चय. नि.
नैवेद्य-वहन, मे. सोप 64या२. -आसनं स्वागतं २. वि+अव+षो - विशेष निश्चय ४२वी, संघम
पाद्यमय॑माचमनीयकम् । मधुपर्काचमनस्नानं वसन२. अनु+अव+षो शानपूर्व tuj.
भरणानि च । गन्धपुष्पे धूपदीपौ नैवेद्यं वन्दनं षोडत् पुं. (षट् दन्ता अस्य दन्तस्य दतृ षष् उत्वं
तथा ।। दस्य टुत्वम्) ने छ हात मावे छ तेवो जह | षोढा अव्य. (षट् प्रकाराः धाच् षस्य उत्वं धस्य वगेरे.
ढत्वं) ७ ५.॥. -द्रोढा जनोर्जनितषोढामुखः समिति षोडश त्रि. (षोडशानां पूरणः, षोडश+डट) सोण. वोढा सा हाटकगिरेः-अश्व० ७। षोडशक न. (षोडश परिमाणान्यस्य कन्) सोमनीषोढान्यास पुं. (षोढा षट्प्रकारो न्यासः) तंत्र प्रसिद्ध સંખ્યાવાળી વસ્તુ.
સોળ પ્રકારનો વાસ. षोडशन् त्रि. ब. व. (षडधिका दश) सोमनी संध्या, ष्टक् (भ्वा. प. स. सेट-स्तकति) अथा, 12514j, સોળની સંખ્યાવાળું.
રોકવું, અડચણ કરવી.
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