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पामेल
१९०८
शब्दरत्नमहोदधिः। [विश्वपा-विश्वासकारण विश्वपा पुं. (विश्वं पाति, पा+विच्) सूर्य, यन्द्र, | विश्वव्याप्ति स्त्री. (विश्व+वि+आप+क्तिन्) Lawi
भनि, 2053ID, जाउ, अपूर, यित्रानु जाउ, ५२मेश्व२. વ્યાપવું, સમગ્ર સ્થળે વ્યાપવું.
(त्रि. विश्वं पाति. पा+विच) ४गतनं २१ २ना२. विश्वसन न. (वि+श्वस्+ल्युट) विश्वास, भरोसो. विश्वपावनी, विश्वपूजिता (स्त्री.) तुलसीनो छो3. विश्वसनीय त्रि. (वि+श्वस्+अनीयर) विश्वास. ४२वा विश्वप्सन् पुं. (विश्वं प्साति-भक्ष्यति प्सा+कनिन्) योग्य, विश्वासपात्र.
सवमक्ष अनि, यन्द्र, ४५, विश्वमा, पृथ्वी, सूर्य, | विश्वसह त्रि. (विश्व+सह+अच्) सघj सडन ४२८२. यित्रानु ॐाउ, पूर, 4153lk, उ.
विश्वसार न. (विश्वेषां सारम्) ते. ना. से. तंत्र.. विश्वभुज त्रि. (विश्वं भुङ्क्ते भुज+क्विप्) ४०त्मक्ष, विश्वसारक पुं. (विश्वसार+संज्ञायां कन्) ते. नामे समय माना२. (पुं.) ईन्द्र.
मे वृक्ष. विश्वभू (पु.) मे. मुद्धविशेष.
विश्वसित त्रि. (वि+श्वस्+क्त+इडागमः) वि.वास. विश्वभेषज न. विश्वा स्त्री. (विश्वेषां भेषजम्) सू.. विश्वमदा (विश्वस्य मदो यस्याः) भनिनी. से. (म..
विश्वसेनराज् (पुं.) सोणमा छैनतीर्थ.४२. शांतिनाथन। विश्वम्भर पुं. (विश्वं बिभर्ति, भृ+अच्+मुम् च)
पिता भगवान ४िनेश्वर, वि, शिव, ब्रह, ईन्द्र
विश्वस्त त्रि. (वि+श्वस्+क्त) विश्वास. पामेस.. विश्वंभरा, विश्वसहा स्त्री. (विश्वं विभर्ति, भृ+अच्+ मुम्
विश्वस्ता स्त्री. (वि+श्वस्+क्त+टाप्) विधवा स्त्री.. टाप्/विश्व+सह्+अच्) पृथ्वी-विश्वम्भरा भगवती
विश्वस्था, विश्वा स्त्री. (विश्वतः तिष्ठति, स्था+क+टाप्) भवतीमसूत-उत्तर० १।९।- विश्वम्भराप्यतिलधुर्नरनाथ !
शतावरी वनस्पति. तवान्तिके नियतम्-काव्य० १० ।
विश्वस्रष्ट्र पुं. (विश्वस्य स्रष्टा) ४ात. ता, बहा. विश्वयु (पुं.) वायु.
विश्वा स्त्री. (विश्+क्वन्+स्त्रियां टाप्) , शतावरी,
દક્ષની એક કન્યા, અતિવિખની કળી, વીસ પળ विश्वयोनि (पुं.) ब्रह्मा, विष्Y.
બરોબર વજન. विश्वराज, विश्वाराज, विश्वौषध पुं. (विश्वेषु राजते,
विश्वाची स्री. (विश्व+अञ्च्+क्विप्+ ङीप्) ते. नामनी राज्+क्विप्/विश्वेषु राजते, राज्+क्विप् पूर्वपददीर्घः। विश्वेषु रोगेषु औषधम्) तनी. २0%1, ५२मेश्व२.
એક અપ્સરા.
विश्वात्मन् पुं. (विश्वमेव आत्मा यस्य विश्वस्य विश्वरूप पुं. (विश्वमेव रूपं यस्य) निव, ५२मे १२,
आत्मा वा) ५२भेश्वर, विष्ण, विश्वनामात्मा शिव विष्य.
-अथ विश्वात्मने गौरी संदिदेश मिथः सखीम्-कुमा० विश्वरूपक न. (विश्वं रुपं यस्य, कष्) बापुर
६।१। यंहन.
विश्वाधायस् पुं. (विश्व+आ+धा+असुन् णिच्च पूर्वपद विश्वरेतस् पुं. (विश्वे रेतः शक्तिर्यस्य) GAL.
दीर्घः) हेवासु२. विश्वरोचन पुं. (विश्वान् रोचयति, रुच्+णिच्+ल्यु) | विश्वानर (पं.) अग्नि में विप्र, सूर्य.. में तन us.
विश्वामित्र पुं. (विश्वमेव मित्रं यस्य पूर्वपददीर्घः) विश्वविधायिन्, विश्वसृज् पुं. (विश्वं विधत्ते, वि+
ગાધિપુત્ર બ્રહ્મર્ષિ વિશ્વામિત્ર. धा+णिनि/विश्वं सृजति सृज्+क्विप्) ४ात्मा sal.
विश्वामित्रप्रिय पुं. (विश्वामित्रस्य प्रियः) नालिये., -प्रायेण सामग्र्यविधौ गुणानां पराङ्मुखी विश्वसृजः
भयन्द्र. प्रवृत्ति -कुमा० ३।२८।
विश्वावसु पुं. (विश्वेषां वसु यस्मात्, पृषो० दीर्घः) ते. विश्ववेदस् पुं. (विश्वं वेत्ति विश्व+विद्+क्वसुन्) इन्द्रह
नामे में गन्ध वि. (त्रि.) समय एन२.
विश्वास पुं. (वि+श्वस्+घञ्) विश्वास, श्रद्धा. विश्वव्यापक, विश्वव्यापिन् त्रि. (विश्व+वि+
विश्वासकारण न. (विश्वासस्य कारणम्) विश्वासन आप्+ण्वुल्/विश्व+वि+आप+णिनि) 4 व्यापना२, २५५ -दुर्जतः प्रियपादीति नैतद् विश्वासकारणम्સર્વવ્યાપક જગતમાં વ્યાપનાર સર્વવ્યાપક.
शाकुं० १।१४।
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