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१२३२ शब्दरत्नमहोदधिः।
[निगड-निग्रह निगड पुं. न. (नि+गल+अच् लस्य डः) Aism, | निगादिन् त्रि. (नि+गद्+णिनि) बोरनार, भाष५५.
31, -बद्धापराणि परितो निगडान्यलावीत्- २॥२, श६ 5२नार. शिशु० ५।४८। हाथीने. ५ो Milalit laनी | निगालवत् पुं. (निगालोऽस्त्यस्य मतुप्) घाट, मश्व.
स13- वृद्धस्य निगडस्य चमनु० ४।२१०। निगीत त्रि. (नि+गै+क्त) uj, न. ४२९.. निगडन न. (नि+गल+ल्युट) 31. घासी, ३६ ४२j. निगीर्ण त्रि. (नि+गृ+क्त) गणेj, जाधे, हर निगडित त्रि. (निगडो जातोऽस्य तार० इतच्) स.. ७२८, पोतार्नु, ४२व- उपमानेनान्तर्निगीर्णस्योपमेयस्य 12ी. बांधेदु, ३६ ४२j, पद.
यदध्यवसानं सैका-काव्य० १०। निगण पुं. (निगरण पृषो०) डोमनी धुमा... निगु पुं. (निगम्यते विद्यतेऽनेन नि+गम्+बाहुल. डु) निगद पुं. (नि+गद्+अच्/पुं. नि+गद्+कर्मणि घञ्) मन, अन्तः४२९॥ भण-मेल, भूज, यित्र.म., मनोश.
नोस, भाषा, श६, अर्थ वो ते.. निगुत् त्रि. (नि+गु शब्दे क्विप् तुक्) मय ५मावो,
यदधीतमविज्ञातं निगदेनैव शब्द्यते-निरु० । भागमोडत. અસ્પષ્ટ શબ્દ કરનાર. .४५, येथी. ४५वानी मंत्र.
निगूढ, निगूढक पुं. (नि+गुह+क्त/निगूढ+स्वार्थे क्त) निगम पुं. (निगम्यतेऽत्र अनेन वा नि+गम्+घञ्) ते. गी, भ, तुवे२. (त्रि. नि+गुह्+क्त) गुप्त उसु,
नामे मे. २२, ५.२, दुडान, व्यापार, निश्चय- छान राजेj, गुप्त, छानु- अन्तर्निगूढनयनानलदाहदुःखं तथापि निगमो भवति (
निसमा मूल वसतो. जानाति कः स्वयमृते बत शीतरश्मेः-उद्भटः । श६. २०भा०, न्यायशास्त्र, तंत्रमेह, वह- कथंकारं | निगूहन न. (नि+गुह् + ल्युट) छार्नु राम, संताउj, वाच्यः सकलनिगमागोचरगुणप्रभावः स्वं यस्मात् गुप्त २५. स्वयमपि न जानासि परमम्-देवीभाग० १।५।६१। निगूहनीय त्रि. (नि+गुह+अनीयर) छार्नु वा योग्य, એક જાતની સાદડી, વણજારાનો કાફલો, ખાતરી- छुपावा योग्य. प्रताति, ५याय.
निगृहीत त्रि. (नि+गृह+क्त) ३६ ५४८, शिक्षा रे, निगमकल्पतरु पुं. (निगमः कल्पतरुरिव) ३६३५ हामीधेयु, रावे.j, सो रेयु. पवृक्ष.
निगृहीति स्त्री. (निगृह्यतेऽनया नि+गृह+क्तिन्) ५.53j, निगमन न. (निगम्यतेऽनेन गम्+करणे ल्युट) न्यायनो __घर, अड ४२.
छेस्सो विमा, प्रतिशन 6५.सं. २. वयन निगृहीतृ त्रि. (नि+गृह+तृच्) नि २२, ५६उन॥२, 'न्यायेहेत्वपदेशात् प्रतिज्ञायाः पुनर्वचनं निगमनम् ।' । ४२८२, ३६ ४२८२..
(न. नि+गम्+भावे ल्युट्) यास, रामन. ४२. निगृह्णत्, निगृह्णान त्रि. (निगृह्णाति नि+गृह+शतृ/ निगमिन् त्रि. (निगम+णिनि) व ना२, निमाणु. ___नि+गृह+शानच्) ३६ ५४3तुं, २६ २, नि.AS निगर, निगार पुं., निगरण, निगलन न. (न+गृ+भावे १२. ___ अप्/नि+गृ+घञ्/नि+गृ+ल्युट) गणत, पा. | निगोद . (णिगोअ, जै. प्रा.) अनंत कानु, साधा२९॥ निगरण, निगलन पुं., न. (निगीर्य्यते भक्ष्यतेऽनेन शरी२.
नि+गृ+करणे ल्युट्/निगीर्यतेऽनेन करणेन ल्युट) | निग्रन्थन न. (नि+ग्रन्थ+भावे ल्युट) भा२j, 4 गणु, डोमनी धूमा, j, mg त.
२वी. निगल, निगाल पुं. (नि+गृ+अप् घञ् वा रस्य लः) | | निग्रह पुं. (नि+ग्रह+अप्) ति२२७२, सीमा, ६, wiuj,
ung, ng, घोसना पानी प्रश- घण्टाबन्ध- ४४४२, - निग्रहानुग्रहस्य कर्ता-पञ्च० १। - निग्रहोऽसमीपस्थो निगालः परिकीर्तितः । अधस्ताच्च प्ययमनुग्रहीकृतः-रघु० ११।९०। -निग्रहं प्रकृतीनां च निगालस्य गलमाहुर्मनीषिणः- अश्ववैद्यके २।१४ । कुर्याद् योऽरिबलस्य च-मनु० ७।१०५ । अनुमडना. (पुं. नि+गृ करणे घञ्) घोउ.
अभाव, 'निग्रहानुग्रहे शक्तः प्रभुरितयभिधीयते ।' निगाद पुं. (नि+गद्+घञ्) पोaj, भाषा ४२j, ચિકિત્સા, નિષિદ્ધ કામ કરનારનો તિરસ્કાર કરવો, शब्द.
भार, म॥२५, घे२, रो -त्वन्निग्रहे तु वरगात्रि !
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