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शब्दरत्नमहोदधिः।
दुन्दुम-दुराक दुन्दुम पुं. (दुन्दु इत्यव्यक्तशब्देन मणति मणशब्दे +ड:) | दुरध्यय त्रि. (दुःखेनाधीयते कृच्छ्रार्थे दुर्+अधि+इ+खल्) भोटुं न२.
અધ્યયન કરવાને અશક્ય, ન ભણી શકાય તેવું. दुन्दुमार पुं. (धुन्धुमार पृषो.) धुन्धुभा२ १२, मेड दुरध्व पुं. (दुष्टोऽध्वा अच्) दुपथ, ५२. २स्तो, दुष्ट तनो रातो 132, Caust, घरको धुमाउ...
भा. दुफानिकुत्थ (पुं.) du8314381' प्रसिद्ध वर्षमा यतो दुरन्त त्रि. (दुष्टोऽन्तोऽवसानं यस्य दुज्ञेयोऽन्तः परिच्छेदो ____.5 योगमेह.
यस्य वा) दृष्ट सन्त-परिमाणु, भृगया, धूत, दुम्बक, दुम्बिल पुं. (दुम्बा जै. प्रा. दुम्बिल) मे नामे મધ-પાન વગેરે વ્યસન, જેનો અન્ત મુશ્કેલીથી આવે પ્રસિદ્ધ એક જાતનો ઘેટો-મેષ.
त-संकर्षणाय सूक्ष्माय दुरन्तायान्तकाय च-भाग० । दुर् अव्य. (दु+रुक्) हुष्ट, निंह, निषेध, हुम, थोडं, -नृत्यति युवतिजनेन समं सखि ! विरहिजनस्य કષ્ટ, કૃશ, અસંપત્તિ, સંકટ એવા અર્થમાં વપરાય दुरन्ते-गीत० १। भी२, न मो0 .य. ते छ. (स्री. दृ+क्विप्) द्वार, २.
દુર્ણોય. दुर त्रि. (दु बाहुलकात् कुर्) हाता..
दुरन्तक पुं. (दुरन्त+कप्) शिव-
मदेव- 'दुर्विज्ञेयो दुरक्ष पुं. (दुष्टोऽक्षः प्रा. स.) ७५2 पासो-दुष्ट ५।सो.
महादेवो दुराधारो दुरन्तकः ।' (न. दुष्टमक्षि) हुल नेत्र. (त्रि. दुष्टमक्षि यस्य
दुरन्वय त्रि. (दुःखेन अन्वीयतेऽसौ अनु+इ+खल्) समासान्त षच्) हुल नेत्रवाणु. (त्रि. दुष्टोऽक्षो
મુશ્કેલીથી પાછળ જઈ શકાય એવું, મુશ્કેલીથી જેનો यत्र) ४५टी सवाणु, दुष्ट ॥२ (त्रि. जै. प्रा.
અન્વય - સંબંધ થઈ શકે એવું, મુશ્કેલીથી પ્રાપ્ત दुरक्ख) रेनी २६॥ ४२वी ठिन छ त.
७२वा योग्य या समवा योग्य. (पुं. दुष्टश्चासौ दुरक्षर त्रि. (जै. प्रा. दुरक्खर) ५२ष-580२ वयन.
अन्वयश्च) म प२ि५.म. या ३८, ६ष्ट अन्वय(पुं.) (दुष्टानि च तानि अक्षराणि प्रा. स.) le
वंश. "म.क्ष, हुष्ट -'दुरक्षरक्षोदधियेव धात्र्यां
दुरपचार त्रि. (दुःखेन अपचर्यतेऽसौ) भु२४८02ी. ना मुहुर्मुहुघृष्टललाटपट्टाः' -धर्मशर्माभ्युदये । दुरर्ज त्रि. (जै. प्रा. दुविढप्प) दुपथ. भगवी. २.य
થાય તેવું મુશ્કેલીથી ખિજાય તેવું.
दुरभि पुं. (जै. प्रा. दुरहि) मिगध नाम..ठेन। ते. दुरतिक्रम त्रि. (दुःखेन अतिक्रम्यतेऽसौ दुर्+अति+क्रम्
ઉદયથી જીવનું શરીર દુર્ગન્ધવાળું થાય. खल्) हुथी. मोय ते.g, दुध्य -
दुरभिग्रह पुं. (दुःखेन आभिमुख्येन गृह्यतेऽसौ दुर्+ स्वजाति१रतिक्रमा- पञ्च० १। (पुं.) वि..
अभि+ग्रह+खल्) अघाडो नमानी वनस्पतिदुरत्यय, दुरत्येतु त्रि. (दुःखेन अतीयते दुर्+अति+
अपामा (त्रि. दुःखेन अभिगृह्यतेऽसौ दुरभि+ इ+खल्/दुर्+अति+इ+कर्मणि तुन्) हुनथी
ग्रह+कर्मणि खल्) हुथी. ALथाय तेj, भु२४साथी मोजाय. तेवं, हुस्तर-दुध्य.
પકડી શકાય તેવું. दुरदृष्ट न. (दुष्टमदृष्टम्) हुमाय, ५५, हुव..
दुरभिग्रहा स्त्री. (दुरभिग्रह+टाप्) घमासो नामानी दुरद्मनी स्त्री. (अद् भावे मनिन् वा ङीष् दुष्टा अद्मनिः
___ वनस्पति, पि.४२-5वय वनस्पति.. प्रा. स.) हुष्ट मान, पराल जी।
दुरवग्रह त्रि. (दुःखेन अवगृह्यतेऽसौ अव+ग्रह +खल्) दुरधिग, दुरधिगम त्रि. (दुःखेन अधिगम्यतेऽसौ,
મુશ્કેલીથી જેનો નિગ્રહ થાય તે. दुर्+अधि+गम्+कर्मणि ड/दुःखेन अधिगम्यते
| दुरवस्था स्त्री. (दुष्टा अवस्था) ५२, अवस्था, ५२ दुर्+अधि+गम्+कर्मणि खल्) भु२४ीथी tell
सत. શકાય તેવું કઠિનપણાથી જેનું જ્ઞાન થાય તે, મુશ્કેલીથી
दुरवाप त्रि. (दुःखेन अवाप्यतेऽसौ दुर्+अव+ મેળવી શકાય તેવું, દુષ્માપ્ય-દુરય, દુધ. ___ आप्+खल्) दुःसाध्य, दुष्प्रा५. दुरधीत न. (दुष्टमधीतम्) हुष्ट अध्ययन, ५२ शत दुरस्य (ना. धा. पर. अक. सेट-दुरस्यति) हुष्ट थ. भए त[
न वी स्व२ अने. स्थान होय ते दुराक पुं. (दुनोतीति दुर्+आक्) स्व.२७ प्रेशन में પ્રમાણે ઉચ્ચારણ નહિ કરવું-ભણવું તે.
मेह.
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