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२९६ शब्दरत्नमहोदधिः।
[आपाद-आपृच्छय आपाद अव्य. (पादपर्यन्तम्) ५॥ सुधी, ५६ सुधी. | आपीत न. (ईषत्पीतम्) माक्षि धातु. आपादन न. (आपद्+णिच्+ल्युट) १. ५डोय, २. .| आपीत पु. (ईषत्पीतम्) १२॥२. पी.गो. वा.
५.शित ४२, 3. ५६ न. 43 पानी | आपीत त्रि. (ईषत्पीतम्) .२ पाणु, ॥२ पाj निश्चय ४२वी, ४. संपान ४२, ५. मेणवीय ५ वगरे उ. आपान न. (आ+पीयतेऽत्र आधारे ल्युट्) १. 2561 आपीन न. (आ+प्याय्+क्त) ॥य वगेरेनु 06,
थई ३ पीवान स्थान - ताम्बूलीनां दलैस्तत्र | स्तन. - आपीनभारोद्वहनप्रयत्नाद् गृष्टिगुरुत्वाद् वपुषो रचितापानभूमयः-रघु. ४।४२ , २. मे थई ३ नरेन्द्रः रघु० २।१८ पाव.. - गन्धर्वाप्सरसो भद्रे ! मामापानगतं सदा- | आपीन प. (आ+प्याय+क्त) वी. महा० २८०।१३ , 3. ढोर वगैरेने ५ पीवानी | आपूपिक त्रि. (अपूपः शिल्पमस्य ठक्) १. पू.3. उवा..
બનાવનાર-રાંધનાર, ૨. પૂડા-ખાવાનું સાધન ગોળ आपानक न. (आपान+कन्) १. भपीवो, वग.३. उ. पू. वयना२, ४. पू. वाना
२. माहिरापाननी टी. - आपानकमुत्सवः-का० ३२ સ્વભાવવાળું. आपायिन् त्रि. (आपिबति आ+पा+णिनि) सुरापान | आपूपिक न. (अपूपानां समूहः ठक्) पूरानो समूड. २ना२.
आपूज्य पु. (अपूपाय हितम् साधु ज्य) पू3८ जनाववानु आपालि पु. (आ+पा+क्विप् तदर्थमलति अल+इन्) સાધન લોટ વગેરે. भाथानी .
आपूर पु. (आपूर्यतेऽनेन आ+पुर्+घञ्) १. ५५ आपि पु. (आप्+णिच्+इन्) धन. वगैरेने पायाउना२, વગેરેનો પ્રવાહ, ૨. સારી રીતે પૂરવું, ૩. લગાર આપ્તબંધુ.
५२, ४. अभिव्याप्ति-स्वेदापूरो युवतिसरितां व्याप आपिञ्जर पु. (ईषत्पिञ्जरम्) थोऊट पामो 4l. - गण्डस्थलानि । शि. ७७४.
आपिञ्जरा बहुरजःकणत्वान्मञ्जर्युदाराः शुशुमेऽर्जुनस्य | आपूरण न. (आ+पूर+भावे ल्युट) सारी रात. पूर, - रघु० १६५१
भ२. आपिञ्जर न. (ईषत्पिञ्जरम्) सोनु..
आपूरण त्रि. (आपूरयति ल्युट) सारी शत. पूरना२, आपिञ्जर त्रि. (ईषत्पिञ्जरम्) ५२॥२ पिं०४२ [auj. ____ मरना२, पू[ ४२८२. आपिशल न. (आपिशलिना प्रोक्तं अण्) पि.लि. आपूरण पु. में तनो ना - नागना. स. मह. મુનિએ રચેલું શાસ્ત્ર.
- कालिको मणिनागश्च नागश्चापूरणस्तथा । आपिशलि पु. (आपिशलस्य मुनेरपत्यम् इञ्) | आपूरित त्रि. (आ+पूर्+क्त) पूरे८, भरेख, अभिव्यात. - વ્યાકરણશાસ્ત્રના કતાં એક મુનિનું નામ.
आपूति स्त्री. (आ+पूर्+क्तिन्) बा२ पू२j, थाई आपिशल्या स्त्री. (आपिशले: अपत्यं स्त्री) पि.सि. २, सारी शत पू२. - मुनिनी पुत्री.
आपूर्य्यमाण त्रि. (आ+पूर्+शानच्) यारे त२३ ३सातुं आपी स्त्री. (आ+प्याय्+क्विप् पीभावः) १. पुष्ट, - आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं समुद्रमापः प्रविशन्ति यद्वत् २. डु, 3. वृद्धिवाणु.
-भग० आपीड पु. (आ+पीड्+अच्) १. शिनी. भण, | आपूष न. (आ+पूष्+करणे घञ्) 01-5ALS, मे. २. भरतर्नु भूषा, 3. भुट - तस्मिन् कुलापीडनिभे ।
___ela- तनी धातु. निपीडं सम्यग् महीं शासति शासनाङ्काम्-रघु. १८।२८ आपृच् त्रि. (आ+पृच्+क्विप्) संस.fauj, संवाj. आपीड त्रि. (आ+पीड्+अच्) पी७८ ४२२. आपृच्छा स्त्री. (आ+पृच्छ+अ+टाप्) १. पू७j, आपीडा स्त्री. (आ+पीड्+अ+टाप्) २. शत. पी3, | २. पातयात, 3. LAL-11वानी ६२७, हां, नीयोवेj, योणे.यु.
४. भूत- भविष्यमा शुभ प्रश, ५. २मानं6५%aal. आपीडित त्रि. (आ+पीड्+क्त) १. सारी शत. पाउस, | आपृच्छय त्रि. (आ+पृच्छ+ वेदे क्यप्) वायोग्य, हलेस, २. नीयोवस, योणेस..
वायोग्य, पूछवायोग्य.
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