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शब्दरत्नमहोदधिः। [अरुन्धतीवर्शनन्याय-अरोद्र अरुन्धतीदर्शनन्याय पु. (अरुन्धत्याः दर्शनमिव दर्शनं । ४. ससूयाम १५रातुं अव्यय, ५. ३, ७. मरे, यस्य तत् सूचको न्यायः) अरुन्धती. तारी. हेमाडवा -आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः श्रोतव्यः, न वा अरे
वो न्याय-अटले. ५.३८ भो भोटुं हेमा. ५७ । पत्युः कामायास्याः पतिः प्रियो भवति-शत० ननु नानु पाउ4॥३५ न्याय. QuTथी. सात शोध. अरेपस् त्रि. (नास्ति रेपः पापं निरुक्तोक्तं यस्य)
अरुन्धती दिदर्शयिषुस्तत्समीपस्थां स्थूलां ताराममुख्या १. निष्पा५, २. नि, पवित्र.. प्रथमरुन्धतीति ग्राहयित्वा तां प्रत्याख्याय पश्चादरुन्धती- अरेऽरे अव्य, (अरे अरे-वीप्सायां द्वित्वम्) अरे श०६ मेव ग्राहयति । - शङ्कराचार्यः.
मो. अरुन्धतीनाथ पु. (अरुन्धत्या नाथः) वशिष्ठ मुनि.. अरोक त्रि. (न रोकः यस्य) छिद्र २ , sila. __ -अरुन्धतीजानिः.)
____विनानु, निस्ते४, धूमिल... अरुन्धतीपति पु. (अरुन्धत्याः पतिः) 6५२. अर्थ
अरोग त्रि. (न रोगः यस्य) रोग विनानु, तन्दुरुस्त, अरुष त्रि. (न रुट यस्य) ठोध गर्नु, शid.
अरोगण त्रि. (न रोगोऽस्त्यस्य वा मत्वर्थे न) 0000, अरुष स्त्री. (न रुष्) ठोधनी समाव, 6:5100, ५२ढयु.
रोगशून्य. अरुष त्रि. (ऋ गतौ उषन्) १. ५. २ , २. डिंसा
अरोगता स्त्री. (अरोगस्य भावः तल्) तन्दुरस्ती, .व.२ , 3. Hशमान, 6°°341, ४. रामन.२.. घो...
अरोगत्व न. (अरोगस्य भावः त्व) 6५८ ० हुम.. अरुषी स्त्री. (ऋ गतौ उषन् ङीप्) मनशास. धो.31,
अरोगिन् त्रि. (न रोगी) नी.२०ी, रोग नलित, -अरोग्य. સારી ચાલની ઘોડી.
अरोचक पु. (न रोधयति प्रीणयति ऋच् णिच् ण्वुल्) अरुष्क पु. (अरुमर्मस्थानं कायति पीडयति के-क)
જેને લીધે કોઈ પણ પદાર્થ ઉપર રુચિ થાય નહિ ભીલામાનું ઝાડ, ભીલામો
तेवो मेरो अरुष्कर पु. (अरु: करोति ट षत्वम्) ९४२., भीमामा.
अरोचक त्रि. (न रोचकः) गुथि, न3 64वनार, अरुष्कर त्रि. (अरु: करोति ट षत्वम्) ४२८२,
રોચક નહિ તે, ભૂખને મંદ કરનાર, જુગુપ્સા. ઘાવ પાડનાર.
अरोदन न. (न रोदनम्) शवानी समाव, २७ नलित. अरुस् पु. (ऋ उसि) १. सूर्य, २. रातो २, 41531नो
अरोदन त्रि. (न रोदनं यस्य) नलि रोतस, २६न नलि छो3.
२॥२. अरुस् पु. न. (ऋ उसि) भस्थान, घा, मई.
अरोधन न. (न रोधनम्) धननी. समाव, भाव२९.नो अरुहा स्त्री. (न रुह्+क टाप्) भोयind..
समावPunो. समाव, गतिरोध व्यापार. अरूप त्रि. (नास्ति रूपमस्य) ३५. विनानु, ५२ | अधिन त्रि. (न रोधनम् यस्य) २.८३५. वगरनु, २4251यत ३५वाणु.
___ . अरूप न. (कुत्सितं रूपम्) ५२० ३५.
अरोध्य त्रि. (न रोध्यः) रा.वाने सराय, रोधी २.54 अरून्प न. (न रूपम्) ३५नो अभाव, Hiज्य सिद्धान्तमा
नहत. કહેલ પ્રધાન, વેદાન્તમાં કહેલ બ્રહ્મ.
अरोपण न. (न रोपणम्) रोपनी जमाव अरूपहार्य त्रि. (न रूपेण हार्यः) ३५थी. ५२. न. ४री अरोष पु. (न रोषः) नोमा.
शाय ते. -अरूपहार्य मदनस्य निग्रहात्-कुमा. अरोष त्रि. (न रोषो यस्य) श्री. रहित, ५, २नु. ५।५३.
अरोषण न. (न रोषणम्) कोपनो, समाज, अरूष पु. (ऋ ऊषन्) १. मे तन सा५, २. सूर्य. | अरोषण त्रि. (न रोषणम् यस्य) श्री. रडित. अरे अव्य. (ऋ+ए) १. छोपथी. पोदाaali, | अरौद्र त्रि. (न रोद्रः) १. २. नहित, २. सौम्य
२. नाना भासने बोualii, 3. अ५।२i, | तिवाणु, 3. २॥द्वेष वार्नु.
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