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विषयानुक्रमणिका
ख० बाबू श्री बहादुरसिंहजी सिंघी और सिंघी जैन ग्रन्थमाला- स्मरणांजलि प्रास्ताविक वक्तव्य
१२-१६
पृष्ठ
कथाकोष प्रकरण और जिनेश्वरसूरि * गणधरसार्धशतक तथा वृहद्गुर्वाव प्रस्तुत कथाकोष प्रकरणका प्रकाशन १-२ लिके वर्णनका सार २६-३३ प्रस्तुतग्रन्थकी प्राप्त प्रतियां १ ।
सोमतिलकसूरि वर्णित जिनेश्वर
सूरिके चरितका सार ३३-३५ जिनेश्वर सूरिका समय और तत्कालीन
वृद्धाचार्य प्रवन्धावलिगत जिनेश्वर परिस्थिति
सूरिके चरितका सार ३६-३७ जिनेश्वर-सूरिके समयमें जैन यति ।
कथाओंके सारांशका तारण ३७ जनोंकी अवस्था
अणहिल्लपुरके प्रसिद्ध जैन मन्दिर अणहिल्लपुरमें चैत्यवासियोंका प्रभाव ३
और जैनाचार्य जिनेश्वर सूरिका चैत्यवासियोंके
३८-४१
जिनेश्वर सूरिकी कार्यसफलता ४१-४३ विरुद्ध आन्दोलन विधिपक्ष अथवा खरतरगच्छका
७ जिनेश्वर सूरिकी ग्रन्थरचना ४३-७२ प्रादुर्भाव और गौरव
जिनेश्वरीय ग्रन्थोंके विषयमें कुछ , जिनेश्वर सूरिके जीवनका अन्य
विशेष विवेचन यतिजनोंपर प्रभाव
(१) हारिभद्रीय अष्टक प्रकरणवृत्ति ४४ जिनेश्वरसूरिसे जैनसमाजमे नूतन
(२) चैत्यवन्दनविवरण ४७ युगका आरंभ
(३) षट्रस्थानक प्रकरण जिनेश्वर सूरिके जीवनचरितका
(४) पंचलिंगी प्रकरण साहित्य
७-१९
(५)प्रमालक्ष्म अथवा प्रमालक्षण ५७ बुद्धिसागराचार्यकृत उल्लेख
(६) निर्वाणलीलावती कथा ६० जिनभद्राचार्यकृत उल्लेख
जैनकथासाहित्यका कुछ जिनचन्द्रसूरिकृत उल्लेख
परिचय
६७ अभयदेवसूरिकृत उल्लेख
निर्वाणलीलावती कथासारका वर्द्धमानाचार्यकृत उल्लेख देवभद्राचार्यकृत उल्लेख
संक्षिप्त परिचय जिनदत्तसूरिकृत उल्लेख
(७) कथाकोश प्रकरण ७३-१२४ जिनेश्वरसूरिके चरितकी साहित्यिक
शालिभद्रकी कथाका सार ७५ सामग्री
२१
सिंहकुमार नामक राजकुमारकी
कथाका सार जिनेश्वरसूरिकी पूर्वावस्थाका परिचय२२-२६
जैनसांप्रदायिक विचारोंकी चर्चाका जिनेश्वरमरिके चरितका सार २६-४३
कुछ चित्रण क. अनु.81
७९
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