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तृतीयकाण्डम्
२८० विशेषणवर्गः २ चलिते कम्पिताऽऽधृत धुतप्रेखितवेल्लिताः ॥८॥ द्वताऽवदीर्णे न्यस्तं तु निसृष्टे गुणिताऽऽहते ।
निदिग्धोपचिते घाते घ्राण मुद्र्ण उद्यतम् ॥८२॥ "गुण्डितो रूषितो लिप्तो दिग्धे" मीड़े तु मूत्रितम् । नुन्ननिष्ठयूत-नुताऽस्त क्षिप्ताऽऽविद्ध-रिता अथ ॥८३।
"शिक्यितं काचितं शिक्ये हीत होणौ तु लज्जिते । "निशितं तेजितं शातं क्ष्णुतेऽथ "पूजितेऽश्चितम् ।८४।
(१) कम्पित के छ नाम-चलित १ कम्पित २ आधूत ३ धुत ४ प्रेलित ५ वेल्लित ६ । (२) गरमो से पिघले हुए के दो नाम-द्रुत १ अवदीर्ण.२ । (३) त्यक्त के दो नाम-न्यस्त १ निसृष्ट २ (प्रत्याख्याता)। (४) गुणित के दो नाम-गुणित १
आहत २.। (५) पुष्ट के दो नाम-निदिग्ध १ उपचित २ । (६) सुंघे गए के दो नाम-घ्रात २ घ्राण २। (७) उद्यत के दो नाम-उदगर्म १ उद्यत २ । (८) धूली आदि से भरे हुए के दो नाम-गुण्डित १ (गुण्ठित) रूषित २ । (९) गीले चन्दन मादि से लिप्त के दो नाम-लिप्त १ दिग्ध २ । (१०) मूत्रित के दो नाम-मीढ १ मूत्रित २। (११) प्रेरित के सात नामनुन्न १ निष्ठयुत २ नुत ३ अस्त ४ क्षिप्त ५ माविद्ध ६ ईरित । (१२) छोक्के पर रखे गए के दो नाम-शिक्कित १ काचित २ । (१३) लज्जित के तीन नाम-हीत १ ह्रीण २ लज्जित३ । (१४) साण पर घिस कर तेज किये गये के चार नाम-निशित १ तेजित २ शात ३ क्ष्णुत ४ । (१५) संमानित के दो नाम-पूजित १ अश्चित २ ।
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