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द्वितीयकाण्डम्
२५२ अन्त्यवर्ण वर्ग:११ शुककुक्कुटमेषादि प्राणि क्रीडा समाह्वयः॥४७॥ सेंगऽत्र ये यथा प्रोक्ता यौगिकाः शिल्पकादयः। लिङ्गान्तरेऽपि ताद्धा भविष्यन्ति भवन्ति ते ॥४८॥ ॥*॥ इत्यन्त्यवर्णवर्गः समाप्तः ॥॥ ।। इति द्वितीयः काण्डः समाप्तः ॥
(१) कुक्कुट आदि प्राणी की क्रीडा के एक नाम-समाह्वय १ पु० । (२) इस वर्ग में जो योगिक शिल्पक आदि शब्द कहे गए हैं वे सब योग मर्यादा से लिङ्गान्तर में भी होते है होंगे।
॥॥ इति अन्त्यवर्ण वर्ग समाप्त ॥॥ ॥ इति द्वितीय काण्ड समाप्त ।।
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