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द्वितीयकाण्डम् २४१
अन्त्यषणवर्ग:११ ॥ अन्त्यवर्णवर्गः प्रारभ्यते ॥ शुद्रा जघन्यजाः पद्या वृषला अन्त्यवर्णकाः । मोऽभिषिक्ता द्रथकृज्जात्यन्ता मिश्रजातयः ॥१॥ क्षत्रियायां द्विजाज्जातो मूर्धावसिंक्त उच्यते। . निषादो यदि शूद्रायां वेश्यायां द्विजजो यदि ॥२॥ अम्बष्ठोऽथ निषादेनाऽम्बष्ठायां बुक्कसः सुतः। मतपश्चैष विज्ञेयः क्षत्ता वैश्यासु शुद्रजः ॥३॥ शुद्रायां नृपजश्वोः करणो वैश्यतो यदि । क्षत्रियायां तु सूरतः स्याद् भवेद्वैदेहिकस्तु यः ॥४॥ ब्राह्मण्यां यदि वा शूद्राच्चाण्डालोऽयक्षमा भुजोः ।
हिन्दी-(१) शूद्र के पांच नाम-शूद्र १, जघन्यज २, पध 3. वपल ४. अन्त्यवर्णक ५ पु० । (२) मिश्र जातियों में ब्राह्मण से क्षत्रिया में उत्पन्न हुआ का एक नाम-मूर्धाभिषिक्त १ पु०। (३) ब्राह्मण से शूद्रा में उत्पन्न को 'निषाद' कहते हैं पु० । (४) ब्राह्मण से वैश्या में उत्पन्न को 'अम्बष्ठ' पु० । (५) अम्बष्ठा में निषाद से उप्तन्न को 'वुक्कस' १ मृतप २' पु. । (६) शुद्र से वैश्या में उत्पन्न को 'छत्ता' कहते हैं पु. । (७) शुद्रा में क्षत्रिय से उत्पन्न का नाम-उग्र १ पु. । (८) शुद्रा में वैश्य से उत्पन्न का नाम-करण १ पु. । (९) वैश्य से क्षत्रिया में उत्पन्न का नाम-सूत १ पु. । (१०) वश्य से ब्राह्मणी में उत्पन्न का नामवैदेशिक १ पृ. । (११) ब्राह्मणी में शुद्र से उत्पन्न का नामचाण्डाल १ पु. ।
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