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द्वितीयकाण्डम्
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वणिस्वर्गः १०
सत्यङ्कारः स्त्रियां सत्या - कृतिः सत्यापनं तथा । धारेशोधर्ण शोधौच त्रिषु द्वावृणि धारिणौ ॥४७॥ ऋर्णे धारोऽथैनिष्कोऽस्त्री स्वर्णमुद्राऽथ टङ्कटः । रूप्यं च कार्षिकः कार्षापणः स्यात्ताम्रिकः पणः ॥४८॥ वराटिका कपर्दी स्याद् विंशतिः सातु काकिणी । तुयशः कुडवः पादोऽथार्ध - प्रस्थोऽर्द्ध शेटकः ॥४९॥ समौ स्तः शेटे कः प्रस्थो द्विशेटि तु द्विशेटिका । औंढको भाजनं कंसः पात्रं सार्द्धद्विशेटिका ॥५०॥
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(१) व्याना ( लेन देन की निश्चित बात) के तीन नाम - सत्यङ्कार १ नपुं०, सत्याकृति २ स्त्री०, सत्यपाल ३ नपुं० । (२) लहना तगादा के दो नाम-धारशोध १ ऋणशोध २ पु० । (३) खदुका (जो कि उधार लिए हों) के दो नाम - ऋणी १ घारी २ पु० । ( ४ ) ऋण के दो नाम ऋण १ नपुं०, धार २ पु० । (५) अशर्फी के दो नाम - निष्क (दीनार) १५. नपुं०, स्वर्ण मुद्रा २ स्त्री० । ( ६ ) रूपैया के चार नाम - टंकक १ पुं०, रुप्य २ नपुं०, कार्षिक ३ कार्षापण ४ पु० । (७) पैसा के दो नाम - ताम्रिक १ पण २ पु० । (८) कौडी के दो नाम वराटिका १ कपर्दी २ स्त्री० । ( ९ ) बीस कौडी की एक 'काकिणी' होतो है स्त्री० । (१०) चौथाई हिस्से के तीन नाम तुर्याश १ कुडव -२ पाद ३ पु० । (११) अर्धा सेर वजन के दो नाम - अर्धप्रस्थ २ अर्धशेट २ पु० । ( १२ ) सेर वजट के दो नाम-शेटक २ प्रस्थ २ पु० (१३) दो सेर वजन के दो नाम-द्विशेटी १ द्विशेटोका २ स्त्री० । (१४) ढाई सेर वजन के पांच नाम - आढक १ कंस २ पु०, भाजन३ पात्र ४ नपुं०, सार्द्धद्विशेटोका ५ स्त्री० ।
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