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कङ्काल स्त्री पाश्वा मौली
द्वितीयकाण्डम् १६८
मानववर्गः७ प्रस्तावः पुंसि मूत्रस्याद् रेचनं तु विरेचने ॥६८॥ उच्चाराऽवस्करौ पुंसि गूथं च शमलं शकृत् ।
विष्ठा विट् च स्त्रियामेव वर्चस्कं न स्त्रियां कचित्।।६९॥ कङ्कालः पुंसि कायाऽस्थिन पृष्ठोऽस्थनी स्त्री कशेरुका । स्यात्पर्युका स्त्री पार्वास्नि करोटिः स्त्री शिरोऽस्थान।।७०॥
क्लीबे शीर्ष शिरोमध-मौली पुंस्यस्त्रि मस्तकम् । चक्षु रक्षोक्षणं नेत्रं नयनं लोचनं समम् ॥७॥ हर दृष्टिश्च स्त्रियां क्लीबे श्रोत्रं तु श्रवणं श्रवः ।
(१) मूत्र के दो नाम--प्रत्राव १ पु०, मूत्र (नृजल) २नपु.। (२) जुलाब के दो नाम-रेचन १, विरेचन २ नपु. । (३) विष्ठा के आठ नाम--उच्चार १, अवस्कार २ पु०, गूथ ३, शमल ४, शकृत् ५ नपुं, विष्ठा ६, विट् (विष् विश) ७ स्त्री०, वर्चस्क ८ पु० नपुं.। (४) चमड़ा मांस आदि से रहित शरीर के समस्त अस्थि संघ के दो नाम--कङ्काल १ पु०, कायास्थि २ नपुं. । (५) पीठ के हड्डी के दो नाम-पृष्ठास्थि १ नपु., कसेरुका २ स्त्री०। (१) पाव के हड्डी के दो नाम--पशुका १ स्त्री०, पास्थि २ नपु० । (७) माथे के हड्डी के दो नाम--करोटि१ स्त्री०, शिरोस्थि २ नपु. । (८) शिर के पांच नाम--शीर्ष १, शिरस् २ नपुं०, मूर्धन् ३, मौली ४ पु०, मस्तक ५ पु०नपुं.। (९) नेत्र के आठ नाम--चक्षुष् १, अक्षि २, ईक्षण ३, नेत्र ४, नयन ५, लोचन ६, नपु०, दृग् (२) ७, दृष्टि ८ स्त्री. । (१०) कान के छ नाम--श्रोत्र १, श्रवण २, श्रवस् ३ नपुं०, शब्द ग्रह ४, कर्ण ५ पु०, श्रुति ६ स्त्री० ।
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