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द्वितीयकाण्डम् १६६ मानववर्गः ७ मूच्छेलो मूच्छिते न्युजो भुग्ने शोषिणि तु क्षयी॥६१॥
खल्वाटे खलतिया॑धे वृद्धनाभौ च तुन्दिलः । श्लेष्मा कफः श्लेष्मलस्तु श्लेष्मणः कफिनि स्मृतः॥६२॥ सर्कुष्ठ कुष्ठिनौ तुल्यौ त्रिलिङया मातुरादयः । दद्रेणोऽमुग्धेरा चर्म तरलं पिशिताऽमिषे ॥६॥ मांसं क्रव्यं च पललं "शोणिते रुधिराऽमृनौ । क्षतजं लोहितं रक्त मस्र मश्रुणि लोहिते ॥६४॥
(१) मूच्छित के दो नाम-मूर्च्छल १, मूच्छित २ पु० (२) रोग से कुबड़ हुए के दो नाम-न्युब्ज (कुब्ज) १, भुग्न २ पु० । (३) क्षयरोगी के दो नाम-शोषी १, क्षय (इन् ) २ पु० । (४) जिनके शिर से विना रोग के बाल उड़ गये हैं उनके दो नाम-खल्वाट १ पु., स्वलति २ स्त्री० । (५) बड़े पेट वाले के एक नाम-तुन्दिल १ पु० । (६) कफ के दो नाम-श्लेष्मा (श्लेष्मन् ) १, कफ २ पु० । (७) कफवाले के तीन नामश्लेष्मल १, श्लेष्मण २, कफी (कफिन्) ३ पु०। (८) कुष्टरोगी के दो नाम-सकुष्ठ १, कुष्ठी (कुष्ठिन्) २ पु० । आतुरादि स्त्रिलिङ्ग हैं (९) रोग विशेष (दिनाय) वाले का एक नामदद्रुण १ पु. । (१०) चमड़े के दो नाम-असृग्धरा १ स्त्री०, चर्म (चर्मन्) २ नपुं० । (११) मांस के छ नाम-तरल १, पिशित २, आमिष ३, मांस ४, क्रव्य ५, पलल ६ नपुं। (१२) शोणित के सात नाम-शोणित १, रुधिर २, असृक् (असृज) ३, क्षतज ४, लोहित ५, रक्त ५, अस्र ७ नपुं० 'अन' अश्रु लोहित अर्थ में भी है।
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