________________
द्वितीयकाण्डम्
वनस्पतिवर्गः गुल्मः स्तम्बोऽप्रकाण्ड द्रौ स्याद् वैल्ल्यां व्रततिर्लता। प्रतानिनीलताया सा भवेद् वीरुच्च गुल्मिनी ॥४॥ 'दैर्ये उत्सेध आरोह उच्छ्रायश्चोच्छ्यस्तरोः। स्कैन्धः प्रकाण्ड आमूलाच्छाखापर्यन्तमस्त्रियाम् ॥५॥ वृक्षमूलं तु बुध्नः स्या 'च्छिरोऽयं शिखरोऽस्त्रियाम् । शाखा लताद्रुमांशेस्या त्स्कन्धशाखा तु या पुरा ॥६॥ शिफाऽवरोहः शाखाया मूले मूले शिफाजटे। त्वच्ये स्त्री वल्कलो वल्क: सारो मज्जा समावुभौ ॥७॥
काष्ठमात्रे दारुकाष्ठं "शुष्क त्वन्धनैधसी । तरु के दो नाम-गुल्म १, स्तम्ब २ पु० । (८) लता के तीन नाम-वल्ली १, व्रतति २ लता ३ स्त्री० । (९) शाखा प्रशाखावाली लता के तीन नाम-प्रतानिनो, वीरुत् (वीरुध)२, गुल्मिनी ३ स्त्री० ।
हिन्दी-(१) ऊँचाई के अर्थ में पांच नाम-दैर्ध्य १, उत्सेध २, आरोह ३, उच्छ्राय ४, उच्छ्य ५ पु०। (२) मूल से शाखा पर्यन्त वृक्ष के दो नाम-स्कन्ध १, प्रकाण्ड २ पु. नपुं० । (३) वृक्षमूल का एक नाम-बुध्न १ पु. । (४) वृक्ष शिखर के दो नाम-शिरोग्र १ शिखर २ अस्त्री० । (५) वृक्षशाखा के दो नामशाखा १, लता २, स्त्री०, द्रुमांश ३ पु० । (६) वृक्ष के पहलो डाल का एक नाम-स्कन्धशाखा १ स्त्री० । (७) वट वृक्षादि की शाखा के मूल से लटकते हुए अवयव के दो नाम-शिफा १ स्त्री०, अवरोह २ पु० । (८) मूल में जो जड जाल के जैसे झोने २ हो उसके दो नाम-शिफा १, जटा, २ स्त्री० । ९ वृक्ष त्वचा के तीन
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org