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द्वितीयकाण्डम्
मेरुवर्ग : ३
नितम्बे कटकोऽद्रेस्यात् प्रस्थः स्नुः सानुरस्त्रियाम् । गुहायां गहरः किञ्च कन्दरः कन्दरा दरी ॥४॥ स्थूलो पलो गण्डशैलो यच्युतः पर्वताद्भूवि । आकरः स्त्री खनिः खानिः पादः प्रत्यन्तपर्वते ||५|| उताऽऽद्याऽऽच्छादितस्थानं निकुञ्जः कुब्जइत्युभौ । अधिको र्ध्वभूर द्रे रासन्नाभूरुपत्यका ||६|| झरोत्स निर्झरावारि प्रवाहो गैरिकादयः ।
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४ प्रस्तर ५ पुं०, शिला ६, (दृषत् ) दृषद् ७, स्त्री० । (४) पर्वत शिखर के तीन नाम- शृङ्ग १ शिखर २, कूट ३, अत्रो० (५) उच्चस्थान से पतन के तीन नाम-प्रपात १, अतर २, भृगु ३ अत्रो० । (६) पर्वत के मध्य भाग अन्तिम भाग कटि प्रदेश के दो नाम - नितम्ब १ कटक २ अस्त्री० । (७) पर्वत समभूभाग के तीन नाम - प्रस्थ १ स्तु २ सानु ३ अत्रीं ० |
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हिन्दी - (१) गुफा के पांच नाम-गुड़ा १ स्त्री०, गहर २, अस्त्री० | कन्दर ३, पु०, कन्दरा ४ दरी ५, बी० (२) पर्वत से टूटकर पृथ्वी पर पडे हुए पर्वतखण्ड का एक नाम - गण्डशैल १ पु० (३) आकर खान के तीन नाम - आकर १ पु०, स्वनि २ स्वानि ३ स्त्रो०। (४) प्रधान पर्वत से सटे हुए पर्वत माला का एक नाम - पाद १ पु० ) (५) वृक्ष लतादि वेष्टित स्थल के दाँ नामनिकुञ्ज १, कुञ्ज २ पु० । ( ६ ) पर्वत के उपरी प्रदेश का नामअधित्यका' हैं स्त्री० (७) पर्वत के नीची समतल भूमि का एक नाम - उपत्यका ' है स्त्री०। (८) झरना के चार नाम-झर १,
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