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मूल :
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-कीनाश शब्द | ६३ कीतिर्यशसि विस्तारे प्रसादे मातृकान्तरे । शब्द कर्दमयोर्दीप्तौ कीलो वैश्वानराचिषि ॥ ३३६ ॥ तम्भे कफोणिनिर्घात कफोणौशंकू-लेशयोः ।
कीशः सूर्ये खगे पुंसि वानरे त्रिष्ववाससि ॥ ३४० ॥ हिन्दी टीका-कीनाश शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. कर्षक (खींचकर ले जाने वाला) २. क्षुद्र (नीच विचार वाला) किन्तु ३. पशु घाती अर्थ में वायलिंग (त्रिलिंग) माना जाता है, ४. यम (धर्मराज) ५. वानरभेद (लंगूर)। कीर शब्द भी पुल्लिग है और उसका १. शुकविहंगम (तोता पोपट पक्षी) अर्थ होता है। कीर्ति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके सात अर्थ होते हैं-१. यश (ख्याति) २ विस्तार ३. प्रसाद (प्रसन्नता) ४. मातृकान्तर (मातृका विशेष) ५. शब्द ६. कर्दम (कीचड़) और ७. दीप्ति (ज्योति प्रकाश वगैरह।। कोल शब्द पुल्लिग है और उसके छह अर्थ होते हैं --- १. वैश्वान राचिष (अग्नि ज्वाला) २. तम्भ (खम्म) ३. कफोणि निर्घात (केहुनी का आघात) ४. कफोणि (केहुनी) ५. शंकु (खूटा) ६. लेश (अल्प) । कीश शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं-सूर्य, २. खग (पक्षी) ३. वानर किन्त ४. अवासस (दिगम्बर) अर्थ में कीश शब्द त्रिलिंग माना जाता है क्योंकि वस्त्र रहित पुरुष स्त्री साधारण कोई भी हो सकता है ।
कुक्कुटोऽस्त्री तृणोल्कायां स्फुलिंग चरणायुधे । कुक्कुभे शूद्रपुत्रेपि निषादतनये स्मृतः ॥ ३४१ ॥ कुक्कुरः सारमेये स्यात् कुक्कुरी कुक्कुरस्त्रियाम् ।
कुञ्चिका वंशशाखायां गुञ्जायां कृष्णजीरके ॥ ३४२ ॥ हिन्दी टीका-कुक्कुट शब्द पुल्लिग और नपुंसक है और उसके छह अर्थ होते हैं–१. तृणोल्का(तृण का उल्का) २. स्फुलिंग (आग की चिनगारी) ३. चरणायुध (मुरगा) ४. कुक्कुभ (पक्षी विशेष) ५. शूद्रपुत्र और ६. निषादतनय (धीवर मल्लाह का लड़का)। कुक्कुर शब्द पुल्लिग है और उसके १. सारमेय (कुत्ता) अर्थ होता है । कुक्कुरी शब्द स्त्रीलिंग है और उसका १. कुक्कुर स्त्री (कुतिया) अर्थ होता है। कुञ्चिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. वंश शाखा (करची) २. गुजा (मूंगा-करजनी) और ३. कृष्णजीरक (काला जीरा)। इस तरह कुक्कुट शब्द के छह और कुक्कुर कुक्कुरी शब्द के मिलाकर दो एवं कुञ्चिका शब्द के तीन अर्थ जानना चाहिये। मूल : मत्स्यभेदे मिथिकायां कूचिका(कुञ्जिका) यामपि स्त्रियाम् ।
कुञ्जोऽस्त्रियां लतागेहे हनु - कुञ्जरदन्तयोः ॥ ३४३ ॥ हिन्दो टीका-१. मत्स्य भेद (मत्स्यविशेष मछली विशेष को भी कंचिका कहते हैं) इसी प्रकार २. मेथिका (मेथी) और ३. कूचिका (कूची) को कुंचिका कहते हैं। (कूचिका के बदले कुंजिका) भी पाठ मिलता है । कुंज शब्द अस्त्री पुल्लिग और नपुंसक भी माना जाता है और तीन र्थ होते हैं --- १. लतागेह (कुंजगली लताओं का बना हुआ गृह) २. हनु (दाढ़ी) और ३. कुंजरदन्त (हाथी का दाँत)। इस तरह कंज शब्द के तीन अर्थ हैं।
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