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मूल :
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-संवित् शब्द | ३५६ हिन्दी टोका-संवित् शब्द के और भी चार अर्थ होते हैं-१. प्रतिज्ञा, २. क्रियाकार (क्रिया करना) ३. संकेत और ४. संयम । संवेश शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. सुरत (विषयभोग) २. पीठ (आसन) ३. निद्रा । संव्यान शब्द नपुंसक माना जाता है और उसके दो अर्थ होते हैं१ वस्त्रमात्र और २. उत्तरीयवासस् (चादर) । संसिद्धि शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. स्त्रीस्वभाव (स्त्रियों का स्वभाव विशेष) और २. मोक्ष तथा ३. सिद्धिविशेष को भी संसिद्धि कहते हैं।
संस्कारः प्रतियत्ने ऽनुभवे मानसकर्मणि । संस्कृतः कृत्रिमे शस्ते पक्व भूषितयो स्त्रिषु ॥२०८०॥ संस्त्यायो विस्तृतौ गेहे संस्थाने संनिवेशके।
संस्थाव्यक्तौ व्यवसायौ सादृश्ये निधने स्थितौ ॥२०८१॥ हिन्दी टोका-सस्कार शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं---१. प्रतियत्न (दूसरे के गुण का आधान ग्रहण करना) २. अनुभव तथा ३. मानसकर्म (अनुभवजन्य मानसिक संस्कार)। पुल्लिग संस्कृत शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. कृत्रिम (क्रिया द्वारा निष्पन्न) और २. शस्त (प्रशस्त) किन्तु ३. पक्व (पकाया हआ) और ४. भूषित (अलंकृत) अर्थ में संस्कृत शब्द त्रिलिंग माना जाता है। संस्त्याय शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. विस्तति (विस्तार) २. गेह (घर) ३. संस्थान (संस्था) और ४. संनिवेशक (छोटा ग्राम)। संस्था शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं -१. व्यक्ति २. व्यवस्था ३. सादृश्य (सरखापन) ४. निधन (मृत्यु) और ५. स्थिति (ठहरना)। मूल : समाप्तौ क्रतुभेदे च नाशे कल्पचतुष्टये ।
संस्थानं निधने चिह्न संनिवेशे चतुष्पथे ॥२०८२।। संस्थितिः स्त्रीगृहे मृत्यौ संस्थानेऽपि निगद्यते ।
दृढ़सन्धौ च मिलिते दृढे स्यात् त्रिषु संहतः ॥२०८३॥ हिन्दी टोका-संस्था शब्द के और भी चार अर्थ माने जाते हैं -१. समाप्ति २. ऋतुभेद (क्रतु विशेष) ३. नाश और ४. कल्प चतुष्टय । संस्थान शब्द के भी चार अर्थ माने जाते हैं-१. निधन (मृत्यु) २. चिह्न ३. संनिवेश (छोटा ग्राम) ओर ४. चतुष्पथ (चौराहा)। संस्थिति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं- १. गृह (घर) २. मृत्यु और ३. संस्थान (ठहरना या प्रस्थान करना वगैरह)। संहत शब्द त्रिलिग है और उसके भी तीन अर्थ माने गये हैं---१. दृढ़सन्धि (मजबूत सन्धि स्थल) २. मिलित और ३. दृढ़। मूल : संघातने शरीरे च प्राज्ञः संहननं स्मृतम् ।
संहर्षो ना प्रमोदे स्यात् स्पर्धयां मातरिश्वनि ॥२०८४॥ संहारो नरकेऽपि स्यात् संक्षेपे प्रलये ह्रतो ।
सखा मित्रे सहायेऽथ सगरो भूपतौ जिने ॥२०८५॥ हिन्दी टोका-संहनन शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-संघातन (संघ) और २. शरीर (देह)। सहर्ष शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. प्रमोद (आनन्द विशेष) २. स्पर्धा (कम्पीटिशन) और ३. मातरिश्वा (पवन) । संहार शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. नरक २. संक्षेप (शौर्ट) ३. प्रलय और
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