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मूल :
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-शिव शब्द | ३३६ हिन्दी टोका-नपुंसक शिव शब्द के पाँच अर्थ माने गये हैं-१. शुभ, २. सुख, ३. नीर (जल) और ४. सैन्धव (घोड़ा या नमक) तथा ५. श्वेतटङ्कण (सफेद टांकण)। पुल्लिग शिव शब्द के बारह अर्थ माने गये हैं-१. महेश्वर (भगवान शंकर) २. वेद, ३. पारद (पारा) ४. कीलकग्रह (खील काँटी वगैरह) ५. वालुक (रेती) ६. कृष्ण धुस्तूर (काला धतूर) ७. पुण्डरीकद्र म (कमल का या औषध विशेष का वृक्ष) ८. सुर (देवता) ६. मोक्ष, १०. योगान्तर (योग विशेष) ११. लिंग (मूत्रेन्द्रिय) और १२. गुग्गुलु ।
विष्णौ शैवे भङ्गरीटे शिवकीर्तन ईरितः । शिवा गौर्यां हरीतक्यां मुक्तौ दूर्वा-हरिद्रयोः ॥१६५६।। गोरोचना - तामलकी - शृगालेषु शमीतरौ ।
आमलक्यां बुद्धशक्ति विशेषे च प्रकीर्तिता ॥१६५७॥ हिन्दी टीका-शिवकीर्तन शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं-१. विष्णु, २. शैव (शिवभक्त) और ३. भृङ्गरीट (भृङ्गरीट नाम का पक्षी विशेष) । स्त्रीलिंग शिवा शब्द के ग्यारह अर्थ माने जाते हैं१. गौरी (पार्वती) २. हरीतकी (हरे) ३. मुक्ति (मोक्ष) ४. दूर्वा (दूभी) ५. हरिद्रा (हलदी) ६. गोरोचना (गोलोचन) ७. तामलकी (भूई आंवला, छोटा आँवला) ८. शृगाल (गीदड़नी) और ६. शमीतरु (शमी का वृक्ष) तथा १०. आमलकी (आँवला) और ११. बुद्ध शक्ति विशेष (भगवान बुद्ध की शक्ति विशेष) को भी शिवा कहते हैं। मूल : शिवि नपान्तरे भूर्जतरौ हिस्रपशौ च ना ।
शिबिरो ना निवेशे स्यात् क्लीवन्तु रणसमनि ॥१६५८।। शिशिरो ना हिमे प्रोक्तः शीत” त्वस्त्रियामसौ।
शिशुकः शिशुमारे स्यादु वृक्षभेदे च बालके ॥१६५६॥ हिन्दी टीका-शिवि शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. नृपान्तर (नृप विशेष-शिवि राजा) २. भूर्जतरु (भोज पत्र का वृक्ष) ३. हिंस्रपशु (घातक पशु विशेष) । पुल्लिग शिबिर शब्द का अर्थ १. निवेश (निवास स्थान वगैरह) किन्तु नपुंसक शिबिर शब्द का अर्थ २. रण सद्म (सेनाओं के ठहरने का स्थान) है । पुल्लिग शिशिर शब्द का अर्थ–१. हिम (बर्फ पाला) होता है किन्तु २. शीत ऋतु (शियाला) अर्थ में शिशिर शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक माना गया है। शिशुक शब्द के तीन अर्थ होते हैं - १. शिशुमार (जलचर उद्र मगर वगैरह) २. वृक्षभेद (वृक्ष विशेष शिंशप वगैरह) तथा ३. बालक (बच्चा) को भी शिशुक कहते हैं।
शिशुमारोऽम्बु सम्भूतजन्तौ तारात्मकाच्युते । सभ्ये शान्ते सुबुद्धौ च धीरे शिष्ट स्त्रिषु स्मृतः ॥१६६०॥ शिक्षा वेदाङ्ग भेदे स्यात् शिक्षणे शोणकद्रुमे ।
शिक्षितास्त्रिषु निष्णाते शिक्षायुक्त ऽप्यसौ मतः॥१९६१।। हिन्दी टीका-शिशुमार शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. अम्बुसम्भूतजन्तु (जल में उत्पन्न जलचर जन्तु विशेष-उँद्र मगर वगैरह) और २. तारात्मकाच्युत (तारक भगवान्) । शिष्ट शब्द त्रिलिंग
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